*16 फरवरी: सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग में मनाया जाएगा मां सरस्वती का प्राकट्योत्सव है बसंत पंचमी*~~

          मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री ने एक विशेष भेंट मे बसंत पंचमी के बारे विस्तार से चर्चा करते हुए बताया की ऋतुराज बसंत के आगमन का पर्व बसंत पंचमी इस बार माघ शुक्ल पंचमी के दिन 16 फरवरी को मनाया जाएगा । इस बार यह रेवती नक्षत्र में मनाया जाएगा , जिससे सारा दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं । लोहड़ी और मकर सक्रांति के बाद बसंत पंचमी का पर्व अब धूमधाम से मानने की तैयारी है । जहां शादियों के लिए यह दिन खास रहेगा तो वहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी इस दिन का खास महत्व है , प्रकृति में भी नए बदलाव इस दिन से देखने को मिलेंगे ।

*मां सरस्वती को किए जाते हैं पीले रंग के फूल अर्पण*
          डाँ. अशोक शास्त्री के दृष्टिकोण      बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग का फूल और फूल अर्पण किए जाते हैं । पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व भी काफी है । यह दिन बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक होता है । इसलिए श्रद्धालु गंगा मां के साथ - साथ अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के साथ आराधना करेंगे । वहीं इस दौरान फूलों पर बाहर आ जाती है , खेतों में सरसों चमकने लगती हैं , गेहूं की बालियां भी खिल उठती हैं ।

       *बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त*

          ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री के कहा कि बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त इस बार 16 फरवरी को सुबह 3 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 17 फरवरी को सुबह 5:42 पर होगा । पंचमी के मौके पर रेवती नक्षत्र में अमृत सिद्धि योग व रवि योग में मां सरस्वती की पूजा होगी । बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त लगभग 6 घंटे का है । जिसमें अभिजीत मुहूर्त 11:41 से दोपहर 01:02 मिनट तक रहेगा । इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने के साथ पतंग और स्वादिष्ट चावल बनाए जाते हैं । पीला रंग बसंत का प्रतीक होता है ।

*ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं मां सरस्वती*
          शिक्षा और संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन का सालभर से इंतजार करते हैं । ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री के मुताबिक माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं । इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है । पुराणों में बताया जाता है कि एकबार ब्रह्माजी भ्रमण पर निकले थे , तब सारा ब्रह्मांड मूक नजर आ रहा था , चारों ओर अजबी सी खामोशी नजर आ रही थी , इसको देखकर ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना में कुछ कमी सी महसूस हुई । तब ब्रह्माजी के मुख से वीणा बजाती हुई मां सरस्वती प्रकट हुईं और संसार में ध्वनि और संगीत की लय गुंजने लगी ।

*शुभ कार्यों के लिए खास है दिन*
शादी विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए यह अबूझ मुहूर्त माना जाता है । इस दिन नामकरण , पूजन हवन , कथा , वाहन - ज्वेलरी खरीदारी के लिए भी शुभ है शादियों के चलते बाजारों में भी खरीदारों की काफी भीड़ है । इसके बाद 22 अप्रैल से शादी के मुहूर्त शुरू हैं। 15 जुलाई के बाद फिर नंवबर से मुहूर्त शुरू होंगे ।

*शुभ संयोग में जरूर करें ये काम*
           हिंदू धर्म में बसंत पंचमी पर्व का विशेष महत्व है । इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है । इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी दिन मंगलवार को रेवती नक्षत्र में मनाई जाएगी । बसंत पंचमी को शुभ कार्य, शादी-विवाह स्वयं सिद्ध माना गया है । इस दिन विवाह के लिए शुभ और दिव्य संयोग का निर्माण हो रहा है ।
          ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री ने बताया की इस शुभ संयोग में सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य किये जा सकते है । बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है । डाँ.शास्त्री के मुताबिक इस बार इसी दिन सिद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है । वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब योग और नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा हो तो उस समय विवाह करना अत्यंत शुभ माना जाता है. वैसे भी बसंत पंचमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है । इस दिन विशेष संयोगों के कारण और भी खास हो जाता है ।
          बसंत पंचमी के दिन विशेष संयोग होने से यह दिन शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम हो गया है । जिन लोगों के विवाह का संयोग नहीं बन पा रहा है, कोई ना कोई बाधा आ रही है , वे लोग इस दिन भगवान श्रीगणेश सहित पूरे शिव परिवार का पूजन करेंगे तो जल्दी ही उनके विवाह का योग बनने लगेगा ।
          जिन लोगों के दांपत्य जीवन में परेशानी आ रही है । पति - पत्नी के बीच अनबन चल रही है , तो वे लोग बसंत पंचमी के दिन पीले पुष्पों से मां दुर्गा का पूजन करें । किसी सुहागिन स्त्री को सुहाग की सामग्री भेंट करें तो वैवाहिक जीवन में आ रहीं समस्त परेशानियां दूर हो जाएंगी ।
          अगर आप प्रेम संबंध पाना चाहते हैं अथवा आपका पुराना प्रेम संबंध टूट गया है , प्रेमी - प्रेमिका के बीच अनबन हो गई है तो बसंत पंचमी के दिन अनेक रंगों के सुगंधित फूलों से कामदेव का ध्यान करते हुए पूजन करें और अपने मन में प्रेमी या प्रेमिका की छवि लाए । जिसे आप पाना चाहते है तो वह शीघ्र आपके पास आ जाएगा ।
          धन सम्बंधी परेशानी के लिए आप अथवा लगातार आपको धन हानि हो रही है तो बसंत पंचमी के दिन देवी महालक्ष्मी का लाल गुलाब के फूलों से पूजन करे । इसके बाद मिश्री का भोग लगाए आर्थिक संकटो का समाधान हो जाएगा ।

*बसंत पंचमी के दिन गलती से भी न करें ये पांच काम , जान लें नियम*
          ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री के अनुसार , बसंत पंचमी के पावन दिन पर कुछ विशेष बातों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए । आइए जानते हैं बसंत के दिन किन बातों का पालन करना चाहिए ।
*रंग - बिरंगे कपड़े न पहनें*
बसंत पंचमी के दिन रंग - बिरंगे कपड़े नहीं पहनने चाहिए , बल्कि पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए । बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है । यह रंग मां सरस्वती को प्रिय है । इसलिए इस दिन विद्या की देवी को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें ।
*गलती से भी नहीं काटें पेड़ - पौधे*
बसंत पंचमी के दिन पेड़ पौधों को भूलकर भी नहीं काटना चाहिए । दरअसल , यह पर्व प्रकृति में परिवर्तन का संकेत माना जाता है । इस दिन प्रकृति में बसंत ऋतु का सुंदर और नवीन वातावरण पूरी प्रकृति में छा जाता है ।
*बिना स्नान किए भोजन न करें*
बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए । संभव हो तो इस दिन मां सरस्वती के लिए व्रत रखें । धार्मिक दृष्टि से बसंत पंचमी का पर्व बेहद ही महत्व है । यह पर्व ज्ञान और सुरों की देवी मां सरस्वती को समर्पित है ।
*मन मे न लाए किसी के प्रति बुरे विचार*
शास्त्रों मे बसंत पंचमी को विद्यारंभ एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है । बसंत पंचमी के दिन किसी को अपशब्द नही बोलना चाहिए और ना ही किसी के प्रति मन मे बुरे विचार लाने चाहिए ।
*मांस - मदिरा से दूर रहे*
बसंत पंचमी के दिन जातकों को सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए । साथ ही इस दिन शारीरिक संबंध नही बनाना चाहिए बल्कि व्रत का पालन करना चाहिए ।

*शुभ कार्यो के लिए खास है बसंत पंचमी*जाने शुभ मुहूर्त*
          ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री ने बताया की ऋतुराज बसंत के आगमन का पर्व बसंत पंचमी इस बार माघ शुक्ल पंचमी के दिन 16 फरवरी को मनाया जाएगा । इस बार यह रेवती नक्षत्र में मनाया जाएगा , जिससे सारा दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं । लोहड़ी और मकर सक्रांति के बाद बसंत पंचमी का पर्व अब धूमधाम से मानने की तैयारी है । जहां शादियों के लिए यह दिन खास रहेगा तो वहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी इस दिन का खास महत्व है , प्रकृति में भी नए बदलाव इस दिन से देखने को मिलेंगे ।

*मां सरस्वती को किए जाते हैं पीले रंग के फूल अर्पण*
         डाँ. शास्त्री के अनुसार बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग का फूल और फूल अर्पण किए जाते हैं । पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व भी काफी है । यह दिन बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक होता है । इसलिए श्रद्धालु गंगा मां के साथ - साथ अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के साथ आराधना करेंगे । वहीं इस दौरान फूलों पर बाहर आ जाती है , खेतों में सरसों चमकने लगती हैं , गेहूं की बालियां भी खिल उठती हैं ।

*ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं मां सरस्वती*
         शिक्षा और संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन का सालभर से इंतजार करते हैं । ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री के मुताबिक माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं । इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है । पुराणों में बताया जाता है कि एकबार ब्रह्माजी भ्रमण पर निकले थे , तब सारा ब्रह्मांड मूक नजर आ रहा था , चारों ओर अजबी सी खामोशी नजर आ रही थी , इसको देखकर ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना में कुछ कमी सी महसूस हुई । तब ब्रह्माजी के मुख से वीणा बजाती हुई मां सरस्वती प्रकट हुईं और संसार में ध्वनि और संगीत की लय गुंजने लगी ।

*शुभ कार्यों के लिए खास है दिन*
          डाँ. अशोक शास्त्री के मुताबिक शादी विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए यह अबूझ मुहूर्त माना जाता है । इस दिन नामकरण , पूजन हवन , कथा , वाहन - ज्वेलरी खरीदारी के लिए भी शुभ है शादियों के चलते बाजारों में भी खरीदारों की काफी भीड़ है । इसके बाद 22 अप्रैल से शादी के मुहूर्त शुरू हैं। 15 जुलाई के बाद फिर नंवबर से मुहूर्त शुरू होंगे । ( डाँ. अशोक शास्त्री )

                  *ज्योतिषाचार्य*
          डाँ. पं. अशोक नारायण शास्त्री
          श्रीमंगलप्रद् ज्योतिष कार्यालय
245 , एम. जी. रोड ( आनंद चौपाटी ) धार , एम. पी.
                  मो. नं.  9425491351

                 *--:  शुभम्  भवतु  :--*


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