झाबुआ~क्या प्रश्न चिन्हो से लबरेज है व्यापारी संघ का स्वेच्छिक लॉक डाउन का निर्णय~~
क्या जिला प्रशासन हां में हां मिलाने में करता है विश्वास ~~
ऐसे तगलूकी निर्णय का क्या औचित्य~~
झाबुआ। संजय जैन~~
सकल व्यापारी संघ झाबुआ एवं प्रशासन की और से एसडीएम मालवीय ,एसडीओपी मोर्य ,टीआई सुरेंद्र सिंह ,सी.एम.ओ. डोडिया ,नायब तहसीलदार हर्षल ,पटवारी नानुराम की उपस्थिति मे कोरोना संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए पदाधिकारी एवं सदस्यों की एक मीटिंग का आयोजन किया गया था। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 11 जुलाई से 25 जुलाई तक झाबुआ शहर के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान प्रात: 7बजे से साँय 6बजे बजे तक ही खोले जावेंगे। केवल भोजनालय रात्रि 9 बजे तक खुले रहेंगे। सकल व्यापारी संघ ने इसका सभी व्यापारियो से पालन करने का आव्हान किया है । सकल व्यापारी संघ के इस निर्णय की जहा नगर मे मिश्रित प्रतिक्रियाये दिखाई दे रही है,वही प्रशासन की भूमिका को लेकर भी क ई सवालिया निशान खडे किये जा रहे है।
-व्यापारियों ने एक तीर से दो निशाने साधे.....
नगर में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर झाबुआ के सकल व्यापारी संघ एवं प्रशासन ने निर्णय लिया है। इस निर्णय से व्यापारियों ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं । वर्तमान में झाबुआ नगर में वैसे भी 4-00 बजे बाद इक्का-दुक्का ग्राहक व्यापार करने के लिए आते हैं दुकानदारों को कॉम्पिटिशन के चलते मजबूरी में दो ढाई घंटे वहां बैठना पड़ रहा था। चारों ओर से प्रशासन और व्यापारियों पर संक्रमण को रोकने के लिए झाबुआ नगर में पूरी तरह से कुछ दिनों के लिए लॉक डाउन लगाये जाने का दबाव आ रहा था तथा उदाहरण दिया जा रहा था जिस प्रकार राणापुर,जोबट,पारा आदि जगहों पर लोगों ने स्वैच्छिक रूप से पूर्ण रूप से लॉक डाउन करने का निर्णय लिया है ,वैसा ही यहां भी कुछ किया जावे।
प्रशासन ने हां में हां मिला कर कर ली इतिश्री ......
झाबुआ के व्यापारियों को लगता है कि कोरोना का प्रकोप 6-00 बजे के बाद ही होता है, इसलिए उन्होंने 2 घंटे की अवधि कम कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं । उनके इस निर्णय से लगता है कि जब झाबुआ नगर में कोंरोना संक्रमण का प्रकोप कम होगा। प्रशासन ने भी व्यापारियों की हां में हां मिला कर इसकी इतिश्री कर ली है।
खडे किये जा रहे है,प्रशासन की भूमिका को लेकर भी क ई सवालिया निशान....???
क्या बैंकों में भीड़ कम करने के लिए प्रशासन ने कोई व्यवस्था की है...? क्या नगर में फालतू घूमने वालों के लिए नगर में प्रशासन ने कोई व्यवस्था की है ...? क्या वे व्यापारी जिनका व्यापार रात 10-30 बजे तक चलता था, उनके बारे में क्या निर्णय हुआ है....? क्या करोना वायरस दिन में नहीं आता है....? झाबुआ में रात्रि को तो वैसे भी भीड़ कम हो जाती है। ऐसे में यह निर्णय कितना सार्थक है,यह मनन का विषय है। क्या दुकानदार एवं लोग दिनभर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे ...? क्या स्वयं मास्क लगाकर व्यापार कराएंगे और जो कोई आदमी जिन्होंने मास्क नही लगाया उन्हें उन्हें राशन या सामान देने से मना करेंगे.....? मोहल्लों एवं गलियों के व्यापारी क्या शाम 6-00 बजे बाद दुकान बंद कर देंगे.... ? क्या दूध वाले,मेडिकल वाले ,पान वाले जिनका व्यवसाय रात 9-00 बजे तक चलता है, वे भी शाम 6-00 बजे अपनी दुकान बंद कर देंगे ? क्या प्रशासन के लोग भी स्वयं नियमों का ईमानदारी से पालन करेंगे ? क्या प्रशासन ने इस ओर भी विचार किया है....? क्या प्रशासन केवल व्यापारियों के निर्णय पर एक्शन ले सकता है ....? क्या उन्हें नगर एवं जिले के जनप्रतिनिधियों की नगर के प्रबुद्ध वर्ग समाज के प्रतिनिधियों की सलाह की जरूरत नहीं है....? अब देखना यह है कि झाबुआ की जनता इस निर्णय को किस रूप में लेती है......?
-निर्णय करोना वायरस को शायद सुरसा के मुँह की ओर धकेल देगी...
वैसे तो पुरे प्रदेश में रविवार को सम्पूर्ण लॉक डाउन केआदेश जारी किये जा चुके है। लेकिन झाबुआ नगर और जहा रविवार को हाट बाजार लगता था,उन्हें हफ्ते में सिर्फ एक दिन ही अपनी दुकाने बंद रखनी होगी,वही दूसरी ओर जिले में हाट बाजार के दिन भी बाजार बंद रहता है। इस मान से तो जहा रविवार को हाट नहीं था,उस गांव को क्या हफ्ते में अब 2 दिन अपनी दुकाने बंद रखनी होगी.....? क्या हाट बाजार के दिन उन्हें दुकाने खोलने मिलेगी....? या क्या हाट बाजार यथावत रूप से प्रारम्भ हो जायेंगे ......? यदि ऐसा होता है तो शायद यह निर्णय तो करोना वायरस को सुरसा के मुँह की ओर धकेल देगी।
शराब की दुकानों के लिए क्या निर्णय शायद स्पष्ट नहीं .....?
जिस निर्णय की चर्चा नगर में हो रही है उसके अनुसार क्या रविवार को शराब की दुकाने भी पूर्ण रूप से बंद रहेगी.....? और क्या वे भी अन्य दुकानदारों की तरह बाकी के दिनों में अपनी दुकान शाम 6 बजे बंद कर देंगे.....? यदि ऐसा नहीं होता है तो हर पहलु पर बिना सोचे समझे लिए गए ऐसे तगलूकी निर्णय का क्या औचित्य.......?
०००००००००००० बॉक्स खबर ००००००००००००
-लोगो की प्रतिक्रिया .......
झाबुआ को तो शायद ये लोग ही चला लेंगे ..........
जब हमारी टीम ने इस निर्णय पर लोगो की राय ली तो कुछ लोगो का कहना था हम तो हमारी दुकाने शाम 5 से 8 बजे तक ही खोलते थे। अब इस निर्णय के बाद हमें क्या करना होगा....? यह हमारी समझ से परे है,जबकि दुकान बंद करने हेतु शासन के कोई भी लिखित आदेश के बारे में कोई सुचना भी नहीं मिली है। कई लोगो ने रोष पूर्वक बताया कि सिर्फ कुछ गिनती भर के लोगो के साथ प्रशासन बैठक कर लेता है और उनकी हाँ में हाँ मिला देता है। यह प्रथा जिले में काफी समय से चली भी आ रही है । प्रशासन को चाहिए कि नगर के प्रबुद्ध और वरिष्ठ लोगो की सूची भी अपने पास रखे और ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों में उन्हें भी सम्म्मान के साथ शामिल अवश्य करे। अन्यथा ऐसी प्रायोजित बैठकों का क्या मतलब ......? फिर तो जिले में शायद प्रशासन कि आवश्यकता ही कहा बचती है......? झाबुआ को तो शायद ये लोग ही चला लेंगे ..........
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