सरदारपुर~लाखों कि लागत का ताबल निर्माण चढ़ा भ्रष्टाचार कि भेंट~

उपयंत्री राजेश पवैया ही लगा रहे मनरेगा योजना को पलीता~

दिन मे गीने चूने मजदूर दिखाकर रात के अंधेरे धड़ल्ले से चलाई जा रही जेसीबी मशीन~~

कैसे मिलेगा गरीब बैरोजगार ग्रामीणों को रोजगार~

सरदारपुर (शैलेन्द्र पँवार)

ग्रामीण जनता को रोजगार उपलब्ध कराने वाली कैन्द्रीय सरकार कि मनरेगा योजना इन दिनों सरदारपुर विधानसभा क्षैत्र मे दम तोड़ती नजर आ रही है! इस योजना अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग यानी आरईएस विभाग सरदारपुर द्वारा ग्राम पंचायतों मे तालाब निर्माण कार्य किये जाते है लेकिन  ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सरदारपुर के उपयंत्री राजेश पवैया के संरक्षण के चलते बैरोजगार ग्रामीणों को रोजगार देकर निर्माण स्थल पर मौजूद रहने के बजाय छूट्ट भय्यै ठेकेदारों को बीना किसी प्रावधानों के ठेके दिये जा रहे है! परीणाम सामने ये आ रहे है कि तालाबों के घटीया निर्माण मशीनों से कर दिये जा रहे है! यही कारण है कि सरकारी खजाने से सरदारपुर विधानसभा क्षैत्र मे करोड़ों-अरबों रूपयै फूँक देने के बावजूद शीतऋतु व ग्रीष्मऋतु मे किसानों को सिंचाई जल के लिये जद्दोजहद करना पड़ती है!
       ग्राम पंचायत सोनगढ़ एवं ग्राम पंचायत टीमाईची मे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग द्वारा तालाब जेसीबी मशीन से धड़ल्ले से बनाये जा रहे है! इतना ही बल्कि सोनगढ मे बबूल वाला नाका तालाब का जेसीबी मशीन से निर्माण करते हुए पड़ोस के खेत की हि उपजाऊ काली मिट्टी खोदकर तालाब निर्माण मे प्रयोग कर ली गयी ये जानकारी तब सामने आई जब कलाबाई नामक महीला एसडीएम विजय राॅय एवं एसडीओपी ऐश्वर्य शास्त्री से न्याय कि गुहार लगाने पहुँची!
      गौरतलब है कि नियमों के विपरीत बनाये जा रहे इन तालाबों का मुल्यांकन भी गलत तरीके से करके जवाबदार अधिकारी अपनी जैब गरम कर रहे है! बस! फिर क्या था उपयंत्री  राजेश पवैया ने भ्रष्टाचार कि गंगा बहाना तो ऐसे प्रारम्भ की, कि "ना खाते ना बही जो पवैया कहे वो सही"!
    यदी विगत दो वर्षों मे इस योजना अंतर्गत उपयंत्री राजेश पवैया द्वारा बनाये गये तालाबों का पुनर्मुल्यांकन किया जाये तो सरकार को करोड़ों रूपयै पुनः वसूल करने के आदेश जारी करना पड़ेगा! बड़ी आश्चर्यजनक बात तो ये है कि प्रत्येक तालाब निर्माण के दौरान जागरूक ग्रामीण आरईएस विभाग के वरीष्ठ अधिकारीयो को अवगत भी करवाते है लेकिन ना जाने किस लाभ के चलते ग्रामीणों कि आवाज को दबा दिया जाता है! अब देखना ये होगा कि गरीबों व बैरोजगार ग्रामीणों का हितैषी होने का दावा करने वाले क्षैत्रीय विधायक प्रताप ग्रेवाल इस भ्रष्टाचार के नंगे नाच पर कोई ठोस कदम उठा पायेगे या चुप्पी साधे उक्त भ्रष्टाचारीयो कि टोली को मौन स्वीकृति प्रदान कर डालेगे!


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