*झाबुआ~मजदूरों के हक का खाओगे तो,कहा परvभुगतोंगे  *~~

*अधिकारी ने बाटी रेवड़ी... अपने अपने दलालों और बिचौलियों को दी*~~

*दलाल मजदूरो के खाने में से भी खाना छीन रहे*~~

झाबुआ से दशरथ सिंह कट्ठा की रिपोर्ट...9685952025~~

झाबुआ - प्रकृति वैसे ही नाराज हैं और उसे नाराज करने के लिए स्थानीय प्रशासन और उनके दलाल मजदूरो के खाने में से भी खाना छीन रहे है।जो दलाल साहब के ऑफिस के चक्कर काटते थे। आज वो साहब के साथ सड़कों पर भी पीछे-पीछे घूम रहे हैं ।यही नहीं साहब को नाश्ता उच्च स्तर का वैसे खिला रहे हैं जैसे कभी उन्होंने अपने मां बाप को भी नहीं खिलाया होगा। अब इन लोगों को कौन समझाए कि प्रकृति जिस तरह से नाराज है, उस नाराजी में तुम मजदूरों के हक का खाना खाओगे ओर मजदूरों के भोजन पैकेट में से भी पूड़ी छीन,सब्जी छीन लोगे तो कैसे बच पाओगे।कितने दिन खा लेंगे और कितने दिन बन साहब को खिला देंगे ।ऐसी चापलूसी कब तक करते रहेंगे यह समझ से बाहर है ।कोरोना के चलते ट्रेनों का मजदूरों को लेकर आना लगातार जारी  है।मेघनगर रेल्वे स्टेशन पर 10 से 15000 मजदूर आ चुके है। और इन मजदूरों को खाना खिलाना जिसमें उच्चतम क्वालिटी की पूरी और लौंजी दी जानी थी। अब यह मीनू किस ने तय किया, यह तो हम नहीं बता सकते ।लेकिन यह मीनू बनाने वाला जो भी ठेकेदार है वह इस सरकार के नुमाइंदे से इस तरह मिला हुआ है कि  सरकार के स नुमाइंदा ने उसे अपने ऑफिस से लेकर अपने कार्यालय से हर काम कराना शुरू कर दिया है..और अब उसी के माध्यम से गरीब मजदूरों को पुड़िया खिलाई जा रही है ।अब पुड़ियों की गिनती की जाए तो कभी 8 जगह 4 या कभी 6 पूड़ी ही निकल रही है। कभी पूड़ी कच्ची तो कभी छोटी कभी बड़ी।कभी भोजन पैकेट से लौंजी गायब तो कभी लौंजी में पैस्ट की जगह पानी वाली बे- स्वाद लौंजी, बिना स्वाद की मजदूरों को खिलाई जा रही है। इसमें भी कमीशन और कमीशन से कमीशन निकाला जा रहा है ।एक कमीशन ठेकेदार का, एक कमीशन दलाल का, और एक कमिशन सरकार के नुमाइंदे का।हमारी राय इस मामले में केवल इतनी है..कि प्रकृति को नाराज और मत करो। यह पुड़ी तुम्हारे पेट में दुखेगी, तुम्हारे परिवार को परेशान करेगी।इसलिए लाज रखो, शर्म करो, जो कर्तव्य दिया गया है उसको बराबर निभाओ। वरना समय तुम्हारे पीछे है उसके आगे से नहीं पाओगे। अब इस पूरे काले खेल में वर्क आर्डर की तह तक हम पहुंचेंगे और सारी हकीकत को उजागर करेंगे वह यह भी बच्चों के हिसाब से पता लगा जाएगा कि कितनी सवारी उतरी है और कितने फर्जी बिल पास होंगे। लेकिन एक बात तो तय है मजदूरों के मुंह से निवाला छीनने वाला कभी सुखी नहीं रहेगा जिसकी चर्चा मेघनगर सहित पूरे जिले में जोरों पर है इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय विधायक भाजपा जिला अध्यक्ष और आला अधिकारी के साथ नगर के कई समाजसेवी भी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।


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