बड़वानी~12 वें राष्ट्रीय शिक्षा दिवस संगोष्ठी में बोले प्राचार्य डाॅ. शुक्ल- अपने कर्तव्यों को समझें और ईमानदारी से उनका निर्वाह करें
गंभीरता से ग्रहण करें शिक्षा, यह संस्कार और संसार दोनों देती है- डाॅ. पंडित~~

बड़वानी  / मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरबी, फारसी, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के विद्वान थे। आप भी उनका अनुकरण करें और भाषाओं पर अच्छा अधिकार स्थापित करें। उन्होंने आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के उपरांत राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आप भी अपने कर्तव्यों को समझें और उनका ईमानदारी से निर्वाह करें। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के प्राचार्य डाॅ. रामनरेश शुक्ल ने स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित 12 वें राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में तीन सौ से अधिक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी डाॅ. प्रमोद पंडित, इतिहास के प्रो. डाॅ. एम. एल. गर्ग और कॅरियर काउंसलर डाॅ. मधुसूदन चैबे उपस्थित थे। इस अवसर पर डाॅ. पंडित ने कलाम साहेब के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा ही आपका उद्धार करेगी। शिक्षा को गंभीरता से ग्रहण करें, यह संस्कार और संसार दोनो देती हैं। सर्वप्रथम कलाम साहेब के चित्र का पूजन अर्चन विद्यार्थियों अजय पाटीदार और लक्ष्मी वास्केल ने किया।
ये हुई गतिविधियां
कार्यक्रम की संयोजक प्रीति गुलवानिया और राहुल मालवीया ने बताया कि आज ‘मौलाना अबुल कलाम आज़ाद- व्यक्तित्व एवं योगदान’ विषय पर संगोष्ठी, ‘उच्च शिक्षा व्यवस्था-अतीत से आज तक’ विषय पर परिचर्चा और ‘मानव जीवन में उच्च शिक्षा का महत्व’, ‘श्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’, ‘वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण एवं दोष’ तथा ‘मेरी दृष्टि में आदर्श उच्च शिक्षा नीति’ विषयों पर निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
177 विद्यार्थियों ने लिखे निबंध
कार्यकर्ता जितेंद्र चैहान ने बताया कि 177 विद्यार्थियों ने निबंध लिखकर अपने विचार व्यक्त किये। इनमें प्रथम कोमल सोनगड़े, द्वितीय पूजा भूरिया एवं तृतीय स्थान पर अंशुल सुलिया रहे।
परिचर्चा में रखे विचार
परिचर्चा में दस विद्यार्थियों ने विचार व्यक्त किये। इसमें संदीप चैहान प्रथम एवं लक्ष्मी अवास्या द्वितीय तथा मुकेश चैहान एवं अंशुल सुलिया तृतीय  स्थान पर रहे।
संगोष्ठी में बताया व्यक्तित्व एवं कृतित्व
डाॅ. मधुसूदन चैबे और डाॅ. महेश लाल गर्ग ने  कलाम साहब के 11 नवम्बर, 1888 से 22 फरवरी, 1958 तक के जीवन वृत्त, स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान, संविधान निर्माण में उनकी भूमिका, पत्रकार और लेखक के रूप में उनकी उपलब्धियां, देश के प्रथम केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यों को विस्तार से बताया। डाॅ. चैबे ने कहा कि उन्होंने नवस्वतंत्रत राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था को नये आयाम दिये थे। पुस्तकालय विशेषज्ञ प्रीति गुलवानिया ने कलाम साहेब की रचना इंडिया विन्स फ्रीडम तथा उनकी अध्ययनशीलता के बारे में जानकारी दी।
संचालन प्रीति गुलवानिया, कोमल सोनगड़े एवं राहुल मालवीया ने किया। सहयोग रवीना मालवीया, सूरज सुल्या, राहुल वर्मा, अंशुल सुल्या, जितेंद्र चैहान, राहुल सेन, राहुल भंडोले, सुनील धनगर ने किया। आभार राहुल वर्मा ने व्यक्त किया।


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