श्राद्ध पक्ष में एक तिथि का हो रहा है क्षय , जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि का पता नहीं होने पर इन तिथियों में करे श्राद्ध ( डॉ. अशोक शास्त्री )
इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस संदर्भ में मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया की हर साल श्राद्ध पक्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरंभ होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। जो दिनांक 17 सितंबर से आरंभ होकर यह 02 अक्टूबर तक चलेंगे। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण के साथ पिंड किए जाते हैं। साथ ही पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म किया जाता है। मतलब जिस तिथि को पितर स्वर्गलोक गए थे, उस तिथि को ही उनके नाम से तर्पण व पिंड दान कर ब्राह्राण भोज कराया जाता है। साथ ही दान- दक्षिणा दी जाती है।
श्राद्ध 2024 की सभी प्रमुख तिथियां
पितृ पक्ष श्राद्ध की 16 तिथियां :
17 सितंबरपूर्णिमा श्राद्ध : भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11:44 से 18 सितंबर सुबह 08:04 बजे तक रहेगी।
18 सितंबर 2024 प्रतिपदा श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 08:04 बजे से 19 सितंबर सुबह 04:19 बजे तक रहेगी।
19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध : अश्विन माह की कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि 19 सितंबर को सुबह 04:19 बजे से 20 सितंबर को प्रातःकाल 12:39 तक रहेगी।
20 सितंबर तृतीया श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 20 सितंबर को सुबह 12:39 बजे से रात 09:15 बजे तक रहेगी।
21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 सितंबर को रात 09:15 बजे से 21 सितंबर को सायं 6:13 बजे तक रहेगी।
22 सितंबर 2024 पंचमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 21 सितंबर को शाम 6:13 बजे से लेकर 22 सितंबर को दोपहर 03:34 बजे तक रहेगी।
23 सितंबर षष्ठी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 22 सितंबर को दोपहर 03:43 बजे से 23 सितंबर को दोपहर 1:50 बजे तक रहेगी।
24 सितंबर सप्तमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 23 सितंबर से दोपहर 1:50 बजे से 24 सितंबर को दोपहर 12:38 बजे तक रहेगी।
25 सितंबर अष्टमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को दोपहर 12:38 से 25 सितंबर को दोपहर 12:10 बजे तक रहेगी।
26 सितंबर नवमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि25 सितंबर को दोपहर 12:10 बजे से 26 सितंबर को दोपहर 12:25 बजे तक रहेगी।
27 सितंबर दशमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 26 सितंबर को दोपहर 12:25 से 27 सितंबर दोपहर 01:20 बजे तक रहेगी।
28 सितंबर एकादशी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर दोपहर 01:20 से 28 सितंबर को दोपहर 02:49 बजे तक रहेगी।
29 सितंबर 2024 द्वादशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 28 सितंबर को दोपहर 02:49 से 29 सितंबर को शाम 04 :47 बजे तक रहेगी।
30 सितंबर 2024 को त्रयोदशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 :47 से 30 सितंबर को शाम 07:06 बजे तक रहेगी।
1 अक्टूबर को चतुर्दशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 सितंबर को शाम 07:06 बजे से 1 अक्टूबर को रात 09:34 बजे तक रहेगी।
2 अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध : अश्विन माह की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को रात 09:34 से 3 अक्टूबर को सुबह 12:18 बजे तक रहेगी ।
डॉ. अशोक शास्त्री के अनुसार पितृपक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और हम उनके निमित्त क्या कर रहे हैं। ये सब वह देखते हैं। पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं श्रद्धा के साथ श्राद्ध के कार्य करें इसलिए ही इसे श्राद्ध कहते हैं। जिस भी श्राद्ध कार्य करते हैं उस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने का विधान है। साथ ही जिस दिन आपके पूर्वज का श्राद्ध होता है, उस दिन गाय, कुत्ता कौवा और चींटी को भी जिमाया जाता है। वहीं इसे पंच ग्रास या पंच बली कहते हैं। साथ ही जिन लोगों की जन्मकुंडली में पितृदोष है, उन लोगों को पंचबली जरूर निकालनी चाहिए।
डॉ. अशोक शास्त्री के मुताबिक जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि नहीं पता होने पर इस दौरान करें श्राद्ध
भरणी श्राद्ध
भरणी श्राद्ध पंचमी तिथि के दिन जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ होता है, उनका श्राद्ध किया जाता है। पंचांग को देखते हुए भरणी श्राद्ध का समय 21 सितंबर को सुबह 04:09 बजे शुरू होगा। वहीं, इसका समापन अगले दिन 22 सितंबर दोपहर 02:43 मिनट पर हो रहा है।
नवमी श्राद्ध
श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मातृ नवमी को माना जाता है। इस दौरान जिन लोगों की मां, दादी, नानी आदि नहीं है, उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस साल नवमी तिथि 25 सितंबर, 2024 को पड़ रही है। नवमी तिथि में मातृ पक्ष का श्राद्ध होता है।
सर्वपितृ अमावस्या
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या का दिन बेहद अहम माना जाता है। इस दौरान उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है। इससे उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यह 2 अक्टूबर को पड़ रही है। यही कारण है कि इसे पितृ पक्ष की सबसे अहम तिथि माना जाता है।
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