झाबुआ~पत्रकार यदि तलुवे चाटने लग जाएंगे तो सत्ता भ्रष्ट और अहंकारी हो जाएगी~~
मन की बात और पीड़ा....पत्रकार कैसा होना चाहिए? ---संजय जैन~~
झाबुआ।ब्यूरो चीफ-संजय जैन~~
पत्रकारिता तो पौराणिक काल से चली आ रही है हनुमानजी, नारदजी, मंथरा, शकुनी, शूर्पणखां और रावण ये धर्मग्रंथों के पात्र हैं लेकिन सब पत्रकारिता के प्रतीक भी हैं।फेक न्यूज, नकारात्मक जर्नलिज्म, सच से परे पत्रकारिता तब से ही चली आ रही है लेकिन पत्रकार हो तो हनुमानजी जैसा जो पॉजिटिव जर्नलिज्म तो करे ही, वक्त आने पर सत्ता की आंख में आंख डाल कर सच कहने का साहस भी रखे।यदि पत्रकार सत्ता के तलुवे चाटने लग जाएगा तो सत्ताधीश अहंकारी और भ्रष्ट हो जाएंगे।
पत्रकारों का किरदार तो आदिकाल से चला आ रहा...
पत्रकारों का किरदार तो आदिकाल से चला आ रहा है। जिसका धर्मग्रंथ गवाह भी है। शास्त्र नुसार रावण और शूर्पणखां फेक पत्रकारिता करते रहे लेकिन हनुमान जी ने सदैव पॉजिटिव पत्रकारिता की । वही मंथरा व शकुनी भी नकारात्मक पत्रकारिता करते रहे।यदि पत्रकार सत्ता के तलुवे चाटने लगेगी तो वो भ्रष्ट और निरंकुश हो जाएगी। पत्रकारों की आंख और कलम में सच लिखने का साहस और तेज होना चाहिए।आज तो पार्टियों के पत्रकार हो गए हैं। सिर्फ पत्रकार के पास जानकारी के साथ ज्ञान और समझ होना पर्याप्त नही है लेकिन उसके पास परिश्रम और आत्मविश्वास भी होना चाहिए।मुंह पर तारीफ पर फूल मत जाना।आपके पीठ के पीछे आपके काम की तारीफ हो, ऐसी पत्रकारिता ही सार्थक और पहचान देने वाली होती है।नेगेटिव पत्रकारिता करने वालों की दशा भी शूर्पणखां की तरह एक दिन नाक कान कट जाने जैसी हो जाती है।रावण का जो अंत हुआ उसका कारण उनकी फेक पत्रकारिता को बढ़ावा देना ही था। सीता के अपहरण के लिए उन्होंने मारिच को मृग बन कर लक्ष्मण की आवाज में पुकारने जैसी फेक पत्रकारिता की, परिणाम रामजी के हाथों उनके अंत का कारण भी बन गया।
नारद पहले पत्रकार थे....
हनुमान जी संविधान वाली व्यवस्था लागू करने वाले और टाइम मैनेजमेंट के मुताबिक काम करने वाले पत्रकार थे।नारद पहले पत्रकार थे, लेकिन जब उन्हें भी अपने काम पर अहंकार हो गया तो उनका भ्रम भी भगवान विष्णु ने दूर कर दिया था।अपने काम को लेकर नारद जैसा तपस्वी पत्रकार हो तो सत्ता को भी हिला सकता है। लेकिन वह भी यदि झूठी प्रशंसा का शिकार होता है तो वह अपने ध्येय से अवश्य भटक जाएगा।
पत्रकार मूल रूप से दूत ही होता है....
प्रणाम, पुष्प और प्रशंसा ये तीनों अच्छे अच्छों को निपटा देते हैं।पत्रकार मूल रूप से दूत ही होता है जैसे राम के दूत बन कर हनुमान गए थे। नारद और हनुमानजी से सीखिये कि आपका पुरुषार्थ आप के मूल काम में है या नही।हनुमान जी की पत्रकारिता इसका सबसे सफल उदाहरण है। रावण की आंख में आंख डाल कर बात करना,यही साहस,आज के पत्रकारो में होना चाहिए ऐसा मेरा मानना है।
नारदजी सृष्टि के पहले पत्रकार ...
ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारद तीनों लोकों में विचरण करने वाले अपने नामानुकूल अज्ञान का नाश और ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले थे। आज ब्रेकिंग न्यूज का जो सर्वत्र हल्ला है, दुनिया की सबसे बड़ी तीन ब्रेकिंग नारदजी ने की थी। नारद जी ने पहली ब्रेकिंग देवता-दानव युद्ध में समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल की, दूसरी नारद जी के भाई दक्ष के यज्ञ में (पार्वती) सती ने हवन कुंड में कूद कर प्राण दे दिए तब शिवजी को यह खबर दी थी। तीसरी ब्रेकिंग बलराम को तीर्थाटन पर भेजने के बाद यह कहा था कि अब महाभारत का अंत हो गया है ,आप लौट आएं।वामपंथी विचारक कहते हैं कि आरएसएस ने नारदजी को पहला पत्रकार बता कर उनका महिमामंडन किया है,तो उन्हें पता होना चाहिए था कि पहले अखबार उदंड मार्तंड में संपादक ने नारदजी को पहला संवाददाता बताया और नारद जयंती के दिन ही अखबार की लॉंचिंग भी की थी।
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