झाबुआ~प्रदेश का प्रवेश द्वार बैरियर के कारण हो रहा बदनाम -बैरियर पर खुलेआम हो रही अवैध इंट्री वसूली~~

जिला प्रशासन के संज्ञान में होने के बाद भी नहीं उठाए जा रहे कदम,चल रही है *** कानून मे कायदा बात करे तो फायदा *** वाली परिपाटी~~
 
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~




भ्रष्टाचार की वैतरणी बह रही है नाक के नीचे, जिम्मेदारों को फुरसत नही है देखे वहा का आलम, सुबे मे बात होती है ईमानदार कद्रदानों की, ओर लुटे जा रहे है सनम खुले आम आखो के सामने। उक्त पंक्तियां प्रदेश के प्रवेश द्वार एवं जिले की अंतिम सीमा पिटोल बैरियर पर हो रहे खुलेआम भ्रष्टाचार लूट खसोट, मनमानी एवं दादागिरी को लेकर सामयिक लगती है। गुजरात एवं मप्र की सीमा पर स्थित भ्रष्टाचार का यह आलम है कि नियम और कायदे को ताक मे रखकर *** कानून मे कायदा बात करें तो फायदा *** वाली परिपाटी चल रही है।


इन्ट्री के नाम पर चुकाना पड़ता है प्रति वाहन 1000 से 1500 रुपये तक .....

राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस बैरियर पर ट्रक एवं लोडिंग वाहनों को तोल कांटा एवं बैरियर से गुजरना होता है और यहां पर तैनात जिम्मेदारों को दस्तावेजों की जांच एवं सत्यापन के नाम पर वहां बैठे कथित लुटेरे को प्रति वाहन 1000 से 1500 रुपये तक इन्ट्री के नाम पर चुकाना पड़ता है। प्रतिदिन करीब दो से तीन हजार वाहन को बैरियर की लक्ष्मण रेखा को पार करना पड़ता है और इस तरह प्रतिदिन छ: अंकों मे ऊपरी अंक कमाई इन भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा समेटी जा रही है। यह बात जिला अधिकारी को ज्ञात ना हो और इस तरह का खेल बेधडक चलता रहे यह कदापि संभव नहीं है। उक्त घालमेल एवं गोलमाल करके प्रतिदिन शासन के राजस्व को कितनी बडी नुकसानी उठानी पड रही है,इसका अंदाजा किसी को नहीं है। सिर्फ निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिये निचे से ऊपर तक श्रृंखला बद्ध रूप से इस प्रकार का भ्रष्टाचार अनियमितता धड़ल्ले से जारी है।
 
मरता क्या नही करता....

पिटोल के इस बैरियर पर मोटी रकम खर्च करके सरकार ने तोल काटा लगाया है किन्तु सिर्फ एक ही कांटे का उपयोग किया जा रहा है। जिससे इस मार्ग से गुजरने वाले लोडिंग वाहनों को अपनी बारी के इंतजार में घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। पिटोल का यह बैरियर गुजरात एवं म प्र को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है और प्रतिदिन अंतरराज्यीय परिवहन हजारो टन का होता है। जिसका फायदा पिटोल बैरियर पर बैठे जिम्मेदार अवैध इंन्ट्री के रूप में उठा रहे है। ओर तो ओर कई ट्रक चालको ने होने वाली इस परेशानी को अवगत कराते हुये बिना रसीद दिये अवैध इन्ट्री फिस वसूली के बारे में आक्रोश भी व्यक्त किया है। यदि किसी वाहन चालक ने कुछ भी आनाकानी की तो उन्हे साईड में खडा कर दिया जाता है। उनका समय जानबूझकर बर्बाद किया जाता है। मरता क्या नही करता....? की तर्ज पर इन वाहनों को भी इस अवैध इन्ट्री फिस को देना मजबूरी बन जाता है।


शासन को राजस्व की करोडो की हानि .......

वही सरकारी कर को चुना लगाने में भी यह बैरियर अहम भूमिका निभा रहा है। कई वाहनों से नकली बिल राजस्व बचाने के लिये परिवहन होता है। उदाहरणार्थ 10 लाख के माल का बिल मात्र डेढ से दो लाख रुपये दर्शाकर (मूल्यांकन के अभाव में ) टैक्स चोरी में मददगार साबित हो रहा है। जिससे शासन को राजस्व की करोडो की हानि हो रही हे। इस बैरियर से गुजरने वाले हर गाड़ी को अवैध इन्ट्री देना मजबूरी है। सबसे मजेदार तथ्य तो यह है कि जिस स्थान पर खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है वहा पर सीसीटीवी कैमरे ही नही लगे हुये है और जो दिखावटी तोर पर लगाये गये है वे भी बंद पडे है। बैरियर भांजगडियो ओर दलालों का चारागाह बन चुका है और ऐसे दलाल किस्म के लोग सेटलमेन्ट करके वाहनों को आगे निकलवा देते है।

बैरियर पर जाकर औचक रूप से निरीक्षण करने का कदम उठाने की दरकार ......

जिला कलेक्टर झाबुआ को इस बैरियर पर होने वाली प्रत्येक गतिविधियों की जानकारी,यहा होने वाले भ्रष्टाचार,वसूली के तौर तरीके यहां चल रही भानगडी बिचौलिया पन आदि की जानकारी होने के बाद अभी कलेक्टर को इस बैरियर पर जाकर औचक रूप से निरीक्षण करने का कदम उठाने की दरकार है। इससे बैरियर की बदनामी के साथ ही जिला प्रशासन पर भी इसको लेकर छींटे पड़ना स्वाभाविक तोर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पारदर्शिता के साथ स्वच्छ प्रशासन, ईमानदार तंत्र, भ्रष्टाचार मुक्त शासन तथा लोगो को अधिक से अधिक सुविधा देने के साथ ही किसी भी प्रकार के गोलमाल करने वालों पर सख्ती करने की बात करते है तथा मप्र को एक आइडियल प्रदेश बनाना चाहती है। किन्तु ऐसे बैरियर पर बैठने वाले तंत्र के कारण पूरे प्रशासन एवं शासन पर उंगलिया उठ रही है। ऐसे में कार्यवाही की अपेक्षा किससे की जावे यह यक्ष प्रश्न है........?
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