झाबुआ~जरा सी गलती पर जिला निर्वाचन अधिकारी को उल्टा टांगने जैसी ताकत वाले इलेक्शन कमीशन ने दोनों चरण में हुए मतदान के संशोधित आंकड़े 11 दिन बाद जारी किए~~
इलेक्शन कमीशन ने खुद की विश्वसनीयता पर तो कीचड़ उछाला ही साथ ही विपक्ष को भी सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता भी दिखा दिया~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~
कहते हैं ना समरथ को नहीं दोष गुसाईं तो फिर इलेक्शन कमीशन पर अंगुली उठाने की ताकत किस में हो सकती है.......... इक्कीसवीं सदी के भारत में शक्ति और अत्याधुनिक साधन सम्पन्न इलेक्शन कमीशन को पहले और दूसरे चरण में हुए मतदान के सही आंकड़े जारी करने में 11 दिन लग गए, इस बात की सफाई पर कौन भरोसा करेगा....? वह भी तब,जब विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत का लोहा बाकी देश मानते है,यह चिंतनीय विषय तो है।
शेर के मुंह में हाथ डाल कर दांत गिनने का साहस कौन करता....?
धार, गुना या झाबुआ-रतलाम में किसी जिले में मतदान के बाद यदि जिला निर्वाचन अधिकारी मतदान का सही आंकड़ा जारी करने में ऐसी चूक करेगा तो बहुत संभव है कि इलेक्शन कमीशन उस जिला निर्वाचन अधिकारी को उल्टा ही लटका देगा और निर्वाचन कार्य में लगी टीम के जाने कितने अधिकारी दंडित कर दिए जाएगे। लेकिन खुद जनाब-ए-आली ही गलती कर बैठें, तो किसकी हिम्मत है जो शेर के मुंह में हाथ डाल कर दांत गिनने का साहस कर सके....?
लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है ..............
भारत के आज तक के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दो चरणों का मतदान सम्पन्न होने के 11 दिन बाद मतदान का सही प्रतिशत जारी करने का होश आया है। ऐसी चूक तो तब भी नहीं हुई जब इलेक्शन कमीशन को रबर-स्टैम्प के नाम से पहचाना जाता था। वह वक्त भी नहीं रहा जब टीएन शेषन की दहाड़ के आगे सूरमा बनने वाले राजनेताओं की पैंट गीली हो जाती थी। अब तो यह धारणा बनती जा रही है कि चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद इलेक्शन कमीशन चादर तान कर खर्राटे भरने लग जाता है। लोकतंत्र के इस महान पर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले आम भारतीय मतदाता के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक भी है कि क्या अब इलेक्शन कमीशन जैसी संस्था भी ईडीए,आईटी, सीबीआई संस्था की तरह ही होती तो नहीं जा रही है....?
सत्ता पक्ष के हाथों से तो तोते ही उड़ गए .........................
लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में होने वाले मतदान के तहत पहले चरण का मतदान 19 और दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को सम्पन्न हुआ था। इन दोनों चरणों के मतदान का जो अंतिम आंकड़ा इलेक्शन कमीशन ने तत्काल जारी किया था,उसने तो सत्ता पक्ष के हाथों से तोते ही उड़ा दिए थे। इंडिया गठबंधन सहित अन्य विरोधी नेताओं को दहाड़ने का अवसर भी मिल गया था कि भाजपा का चार सौ पार का नारा हवाहवाई से अधिक कुछ नहीं था।
पुर होश उड़ा दिए थे.....................
इलेक्शन कमीशन ने 102 सीटों के लिए हुए मतदान में पहले चरण में 60.03 फीसदी और दूसरे चरण में 60.96 फीसदी मतदान के आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ों के बाद प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा में घबराहट फैली थी,जो उनके पुर होश उड़ाने जैसी ही थी।
इलेक्शन कमीशन को भी 11 दिन बाद अहसास हुआ.................
इन आंकड़ों को जारी करने वाले इलेक्शन कमीशन को भी 11 दिन बाद अहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ हो गई है। ईसी ने नए सिरे से दोनों चरणों के मतदान के आंकड़े जारी किए। जो पहले चरण के मतदान को 66.1 प्रतिशत जिसे पहले 60.03 प्रतिशत बताया था और दूसरे चरण का मतदान 66.07 प्रतिशत बता दिया जो पहले 60.96 प्रतिशत बताया था। यही नहीं राज्यवार भी मतदान प्रतिशत में भी इजाफा के साथ आंकड़ा बताया गया।
इलेक्शन कमीशन ने खुद की विश्वसनीयता पर तो कीचड़ उछाला ही,साथ ही विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता भी दिखा दिया.................
विरोधी दलों की नजर में कांग्रेस शासन में इलेक्शन कमीशन लुंज-पुंज या सरकार आश्रित कहा जाता था। लेकिन अब इलेक्शन कमीशन ने 11 दिन बाद अपनी भूल स्वीकारते हुए प्रतिशत में इजाफा बता दिया। इसकी तारीफ तो होना ही चाहिए,लेकिन यह भी तो पूछना स्वाभाविक है कि इतने एडवांस सिस्टम और सर्व शक्तिमान होने के बाद भी मतदान के सही आंकड़े जारी करने में 11 दिन का विलंब क्यो हो गया....? यह तो सरकार विरोधियों को सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए प्रेरित करने जैसा नहीं है क्या.....?
लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी शंका के बादल मंडराते नजर आ रहे...............
इलेक्शन कमीशन को मतदान प्रतिशत में हुआ इजाफा बताने में 11 दिन का समय लग गया लेकिन मतगणना तो उसे निर्धारित अवधि में ही कराना है। फिर क्या सीटों पर जीत-हार का परिणाम बताने में भी वक्त लगेगा या पहले घोषित परिणाम के बाद संशोधित परिणाम भी जारी किये जाएंगे.....? दुनिया के बाकी सभी देशों की तुलना में भारत का इलेक्शन सिस्टम इतना कारगर है कि अन्य देश इसे देखने-समझने और सीखने के लिए भारत आते रहते हैं। पहली बार इलेक्शन कमिशन पर आलसी होने या प्रतिष्ठा को आघात लगने जैसे हालात बने हैं और हमारे लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी शंका के बादल मंडराते नजर आ रहैं हैं।
ऐसे बताया गया 11 दिन बाद प्रदेश वार बड़ा हुआ मतदान प्रतिशत..........................
-उत्तर प्रदेश में 54.82 से बढ़कर 55.19 प्रतिशत
-बिहार में 54.91 से बढ़कर 59.45 प्रतिशत।
- मध्य प्रदेश 56.60 बढ़कर 58.59 प्रतिशत।
-राजस्थान में 63.82 से बढ़कर 65.03 प्रतिशत।
-महाराष्ट्र में 54.34 से बढ़कर 62.71 प्रतिशत
-पंजाब में 71.84 प्रतिशत से बढ़कर 76.98 प्रतिशत बता दिया गया।
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