धार~फ्लूय कास्ट खरीदी के नाम पर बिजली कंपनी उपभोक्ताओं से वसूल रही राशि ~~
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन ने किया विरोध~~
धार ( डॉ. अशोक शास्त्री )
धार। मप्र पावर मैनेंजमेन्ट कम्पनी फ्यूल कास्ट पर्चेस के नाम पर केन्द्र सरकार की स्वीकृति से प्रदेश के आम उपभोक्ताओं से हर माह चार्ज वसूली चालू कर दी जो गलत हैं। अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के प्रदेश उपसचिव सतीश वर्मा ने प्रेस रिलीज के माध्यम से बताया कि हमेशा वर्ष में एक बार कंपनी रेट बडाना संबधी विद्युत नियामक आयोग में वाद दायर करती हैं। उसके बाद आयोग आम उपभोक्ताओं के सुझाव व आपत्तियां बुलवाती हैं उसके बाद सुनवाई के बाद रेट निर्धारण का निर्णय होता हैं, जो नहीं हुआ है।
केन्द्र सरकार का एक पक्षीय निर्णय
केन्द्र सरकार ने मप्र पावर मैनेजमेंट के पक्ष में निर्णय करने के पूर्व आम उपभोक्ताओं के सुझाव बुलवाए जाने थे, किंतु नहीं बुलवाए व रेट बढ़ाने का निर्णय स्वंय लिया। क्योंकि बिजली कम्पनी खपत से ज्यादा बिजली को बिजली उत्पादक प्लांट वालों को फायदा पहुंचाने व स्वयं फायदा लेने के लिए जरूरत से ज्यादा बिजली खरीदती है। बचत की हुई बिजली जो बिकती नहीं हैं उसका घाटा बताकर हर बार बिजली के रेट बढ़ाने की मांग करती हैं जिसका भार प्रदेश के आम उपभोक्ताओं पर पड़ता हैं। इस मामले की जांच आज तक न तो बिजली कम्पनी की हुई हैं और ना ही बिजली निर्माताओं की हुई हैं।
अन्य चार्ज की अवैध वसूली
किसी भी व्यापार व वाणिज्य के मामलों में स्लेब का सिस्टम नहीं हैं। बाजार से कोई कितनी भी वस्तु खरीदे भाव एक रहता हैं किंतु बिजली कम्पनी ने अलग अलग स्लेब बना रखी हैं। व प्रत्येक स्लेब का चार्ज अलग अलग हैं उपभोक्ता इसमें भी ठगा रहा है। उसके अलावा भी बिजली कम्पनी कई प्रकार के भार लगाकर वसूली कर रही हैं जो नियम के विरुद्ध है। उपभोक्ता अधिकार नियम में उपभोक्ताओं को जो 6 अधिकार प्राप्त हैं उसमें उपभोक्ताओं को चयन करने का अधिकार प्राप्त हैं किंतु बिजली कम्पनी ने उपभोक्ताओं से यह अधिकार छिन लिया हैं। बिजली के मीटर अनेको कम्पनी के बाजार में उपलव्ध रहना चाहिये ताकि अपनी पंसद का मीटर बाजार से खरीदकर उपभोक्ता स्व्यं लगा सके, ऐसा नहीं हो रहा हैं। बिजली कंपनी स्वंय के मीटर लोगों के घरो में लगा रही हैं जो गलत हैं। उपभोक्ता न्यायालय धार एक प्रकरण मे निर्णय दे चुका हैं कि मीटरों का प्रमाण-पत्र दिया जाए, जो नही ंदिया जा रहा हैं एवं बिजली के मीटर की शिकायत होने पर तीसरा पक्ष जांच करता हैं इसमें बिजली कंपनी स्वयं कर रही हैं, जो गलत है।
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