धार~रेहड़ी वालों से ‘वसूली व्यवस्था’ में होगा बदलाव, रोज-रोज नहीं एक मुश्त लेंगे राशि~~
रेहड़ी-फेरी वालों की महापंचायत में सीएम ने की थी रोज-रोज बाजार बैठक वसूली व्यवस्था को बंद करने की घोषणा~~
नगरीय एवं प्रशासन विकास विभाग से मिले नए आदेश, ठेकेदारी व्यवस्था बंद~~
धार~( डॉ. अशोक शास्त्री )
धार। नगरपालिकाओं और निगमों में सड़क पर व्यापार करने वाले पथ विक्रेताओं से बाजार बैठक शुल्क वसूली में बदलाव हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा 29 मई को भोपाल में पथ विक्रेताओं की महापंचायत के दौरान की गई घोषणाओं के तहत व्यवस्था परिवर्तन किया गया है। निकायों में बाजार बैठक शुल्क वसूली की ठेका प्रथा बंद कर दी गई है। 15जून को इसको लेकर आदेश आ गए है। 1 महीने के अंदर वसूली व्यवस्था में बदलाव लाना है। अब वेंडर्स को प्रतिदिन शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा। निकाय के कर्मचारी उनसे छह माह और 1 साल की एक मुश्त राशि लेंगे।
अग्रिम लेंगे या अवधि के बाद.....
सड़क पर फेरी लगाकर और बैठकर व्यापार करने वालों से धार नगरपालिका में बाजार बैठक शुल्क के रूप में प्रतिदिन के 10 रुपए लिए जाते है। इस तरह नियमित रूप से व्यापार करने वाले लोग साल भर में करीब 3600 रुपए बाजार में बैठने के शुल्क के रूप में देते है। नई व्यवस्था को लागू होने के बाद स्ट्रीट वेंडर्स को 6 माह से लेकर 1 साल की एक मुश्त राशि देना होगी। सड़क पर बैठने वालों में कई लोग नियमित नहीं बैठते है। कुछ घूम-घूमकर अपना व्यापार करते है। ऐसी स्थिति में छह माह का शुल्क 10 रुपए के हिसाब से चुकाना नुकसान का सौदा होगा। अभी यह तय होना भी बाकी है कि यह राशि एडवांस ली जाएगी या 6 महीने पूरे होने के बाद वसूली जाएगी। इस नई व्यवस्था से हितग्राही के साथ निकाय की राजस्व आय भी प्रभावित होगी। दरअसल 6 महीने के भीतर यदि कोई व्यापारी अपना व्यवसाय बंद कर लेता है या दूसरा काम करता है तो उसकी वसूली कैसे हो पाएगी। इधर यदि वेंडर्स से अग्रिम लिए जाते है तो उनके लिए यह दिक्कतों भरा होगा।
परिषद् तय करेगी शुल्क......
15 जुलाई तक निकायों को नई व्यवस्था लागू करना है। विभाग द्वारा व्यवस्था परिवर्तन के आदेश पत्र में भोपाल नगरपालिका का उदाहरण दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि वहां पर पीएम स्वनिधि के हितग्राहियों से 500 से लेकर 1 हजार रुपए एक मुश्त शुल्क के रूप में लिए जाते है। पथ विक्रेताओं में हजारों लोगों ने पीएम स्वनिधि में लोन नहीं लिया है। ऐसे में पथ विक्रेताओं से समान रूप से वसूली होगी या फिर पीएम स्वनिधि वाले पथ विक्रेताओं को रियायत मिलेगी और दूसरों से वार्षिक शुल्क 3600 रुपए के तौर पर लिए जाएंगे। हालांकि उम्मीदें की जा रही है कि 6 महीने और 1 साल का एक मुश्त बैठक शुल्क देने वालों को नियमित शुल्क की तुलना में आधी राशि ही देना पड़ेगी। शुल्क व्यवस्था को लेकर यह सब आंकलन है। संपूर्ण निर्णय निकायों में साधारण परिषद् के सम्मेलन में होना है।
प्रचार ऐसे हुआ कि वसूली निरस्त कर दी गई......
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को महापंचायत में बैठक शुल्क वसूली ठेकेदारों द्वारा वेंडरों से तय राशि से अधिक वसूली करने की शिकायत मिली थी। ठेका प्रथा बंद करने की मांग की थी। इस आवेदन के तहत ठेका व्यवस्था बंद की जा रही है। हालांकि उस दौरान सीएम की घोषणा को इस तरह प्रचारित किया गया था कि अब से पथकर विक्रेताओं से बाजार बैठक शुल्क नहीं लिया जाएगा। ऐसी स्थिति में लोगों ने राहत की सांस ली थी। हालांकि इस घोषणा के बाद निकायों की वित्तीय स्थिति का आंकलन किया गया। जिसमें बैठक शुल्क से प्राप्त राजस्व को निकाय की आय का महत्वपूर्ण घटक माना गया। इसके पश्चात ठेका प्रथा को बंद करके वसूली को जारी रखने के तारतम्य में वसूली निकाय के हाथों में रखी जाएगी। वहीं रोज की जगह एक मुश्त राशि लेने की व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
ठेके निरस्त होंगे, राशि लौटाएंगे........
नगरीय एवं प्रशासन विकास विभाग के आदेश जारी होने के बाद निकायों में बाजार बैठक शुल्क वसूली के ठेके निरस्त किए जाएंगे। समयावधि का आंकलन करके शेष समय के ठेके निरस्त किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि धार नगरपालिका में सालों बाद बाजार बैठक वसूली शुल्क का ठेका इसी वर्ष जारी किया गया था। करीब 14 लाख रुपए में ठेका दिया गया था। इस आय के अनुपात में वार्षिक और छह माही शुल्क निर्धारण किया जा सकता हैं ।
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