झाबुआ~खाद से फुल हुए सरकारी गोदाम,प्रतिस्पर्धा के चलते अपना मार्जिन घटाकर कम रेट में बेच रहे डीएपी व्यापारी.-किसानों को प्रति बोरी 25 रुपए का फायदा~~
डीएपी अब बोरियों में नहीं बॉटल में मिलेगी,कीमत भी आधी-किसानों को 50 किलो की बोरी उठाने से मिलेगी राहत, मालभाड़ा व पल्लेदारी भी बचेगी~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~
खरीफ सीजन में इस बार किसानों को खाद की कमी नहीं आएगी। खपत के हिसाब से सीजन शुरू होने से पहले ही जिले में डीएपी का पर्याप्त स्टॉक मिल गया। कृषि क्षेत्र में खाद, बीज और उपकरण की उन्नत किस्म तैयार करने लगातार शोध और प्रयोग हो रहे हैं। उर्वरक के मामले में जहां नैनो लिक्विड यूरिया पहले से ही तैयार होकर बाजार में भी आ चुका है। पहले से खाद का इतना स्टॉक हो जाने के कारण किसानों को दो बड़े फायदे मिलने लगे हैं। पहला तो उन्हें आसानी से हर जगह खाद की आपूर्ति हो रही है। वहीं प्रतिस्पर्धा के चक्कर में निजी व्यापारियों ने भी डीएपी खाद में किसानों को प्रति बोरी 20 रुपए की छूट देना शुरू कर दिया है।
मिल रहा है मार्केट में किसानों को दर्ज कीमत से कम में खाद.......................
खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा डिमांड वाले डीएपी खाद की खरीदी किसानों के लिए आसान हो गई है। हर साल डीएपी के लिए मचने वाली मारामारी के कारण निजी दुकानों से मनमानी कीमत पर खाद खरीदने वाले किसानों को इस बार व्यापारियों ने अलग से छूट देना शुरू कर दिया। सहकारी सोसाइटियों व गोडाउनों पर 1350 रुपए प्रति बोरी में बिकने वाला डीएपी खाद व्यापारियों ने 1330 रुपए में बेचना शुरू कर दिया है। यह पहला मौका है जब शासकीय संस्थाओं व गोडाउनों की तुलना में मार्केट में किसानों को दर्ज कीमत से कम में खाद मिल रहा है। खाद व्यापारियों ने बताया कि इस बार डीएपी का पर्याप्त स्टॉक है। लगातार खाद की आपूर्ति भी चल रही है, खाद की तय कीमत से 20 रुपए सस्ते में किसानों को खाद बेच रहे हैं।
500 मिली की एक शीशी एक बोरी डीएपी के बराबर........................
अब नैनो लिक्विड डीएपी खाद भी बाजार में उपलब्ध है। किसानों को अब फसलों में डालने के लिए डीएपी बोरी के अलावा शीशी में भी मिलेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसानों को अब 50 किलो की बोरी की उठाकर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिससे माला भाड़ा बचेगा, साथ ही किसानों को डीएपी की बोरी के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगने की जरूरत नहीं होगी। गौरतलब है मानसून आते ही जिले में खरीफ की फसल की बोवनी का काम शुरू हो जाएगा। बोवनी में सबसे ज्यादा डीएपी का उपयोग होता है। ऐसे में लिक्विड डीएपी किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी। इस बार खरीफ सीजन में किसानों को फसलों में उपयोग करने के लिए यूरिया और डीएपी के रूप में नैनो लिक्विड बॉटल की बिक्री पर जोर दिया जा रहा है।
बीज की जांच जरूरी........................
बोवनी का सीजन शुरू होने वाला है और किसानों ने खाद बीज की खरीदी शुरू कर दी है,लेकिन कृषि विभाग ने अब तक मार्केट में बेचे जा रहे खाद और बीज की जांच शुरू नहीं की। ऐसे में कहीं किसानों को अमानक स्तर के खाद-बीज न मिल जाए। पिछले साल भी इसी गलती के कारण कई खेतों में बोए गए सोयाबीन बीज का सही अंकुरण नहीं हो सका था। कई खेतों में अंकुरण के बाद अफलन आदि की शिकायतें आई थी।
किसानों की भीड़ भी निजी दुकानों पर ज्यादा................
सरकारी गोडाउन से सस्ते में खाद मिलने की सूचना मिलते ही किसानों की भीड़ भी निजी व्यापारियों की तरफ डायवर्ड हो गई। शासकीय गोडाउनों में जहां गिने चुने किसान खाद लेने पहुंच रहे हैं,वहीं निजी व्यापारियों की दुकानों पर इन दिनों पैर रखने की भी जगह नहीं है। यहां तक की खाद बीज की दुकानों के सामने खाद उठाव के लिए ट्रैक्टरों की कतार लगना शुरू हो गई है।
रासायनिक खाद से ज्यादा सुरक्षित है लिक्विड नैनो डीएपी..................
नाइट्रोजन और फास्फोरस का बेहतर स्रोत है। जो पौधों में इन पोषक तत्वों की कमी दूर करता है। यह रासायनिक खाद से काफी सुरक्षित भी है। शासन के आदेश हैं कि चार बोरी डीएपी के साथ एक नैनो लिक्विड डीएपी की शीशी भी किसानों को दी जाए, ताकि धीरे-धीरे वह रासायनिक खाद की बजाय शीशी का उपयोग करना शुरू किया जा सके।
नैनो डीएपी की एक शीशी की एक बोरी डीएपी के बराबर ...................
इफको के विक्रय सहायक ने बताया कि 500 मिली नैनो डीएपी की एक शीशी की एक बोरी डीएपी के बराबर होती है। इसकी कीमत भी बोरी से आधी होती है। एक बोरी डीएपी की कीमत 1350 रुपए है, जबकि नैनो डीएपी की शीशी 600 रुपए की है। दूसरी ओर से ले जाने में भी किसानों को माल भाड़ा एवं पल्लेदारी के लिए मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिससे बोरी की अपेक्षा यह शीशी काफी सस्ती पड़ेगी। वर्तमान में यह यह सहकारी समितियों, इफको व किसान सेवा केंद्रों में उपलब्ध है।
प्रति बोरी 25 रुपए का फायदा.................
शासकीय गोदाम प्रभारी ने बताया कि डीएपी की कीमत ऊपर स्तर से ही तय होती है। हमारे यहां 1350 रुपए प्रति बोरी की कीमत चल रही है। इसमें प्रति बोरी 5 रुपए हम्माली सहित किसानों को 1355 रुपए में पड़ रही है। जबकि निजी दुकानों पर 1330 रुपए में मिल रही है। डीएपी की बोरी में हम्माली का भी अलग से लोड नहीं है। यानि किसानों को सीधे-सीधे प्रति बोरी 25 रुपए का फायदा हो रहा है।
प्रतिस्पर्धा के कारण कम रेट में बेच रहे होंगे..........
डीएपी की कीमत एक जैसी ही होती है। यदि सरकारी गोडाउन या सोसाइटी से कम कीमत पर कोई व्यापारी बेच रहे हैं तो प्रतिस्पर्धा के चलते वे अपने मार्जिन को घटाकर बेच रहे होंगे,क्योंकि इस बार पर्याप्त खाद की आपूर्ति है। ऐसे में व्यापारियों ने स्टॉक किए गए खाद को जल्द बेचना है।
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