झाबुआ~यह कैसा प्रशासन......? ** भाग 3**

प्रशासन की हुई काफी किरकरी ,पिछले 4 दिनों से लगातार अखबारों में बड़े तालाब की खबरे प्रमुखता से प्रकाशित होने पर........

अब तो शायद प्रशासन बहादुर सागर तालाब का सीमांकन कर देवे.............

प्रशासन कब उसकी कुम्भकर्णीय नींद से जागेंगा......यह तो वे ही जाने-कारवाई करना न करना,यह तो सिर्फ अब प्रशासन उनके विवेक पर ही निर्भर.................

झाबुआ। संजय जैन~~



 पिछले 4 दिनों से लगातार बड़े तालाब की खबरे इस और अन्य अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर प्रशासन की काफी हद तक किरकरी हुई है। जिस पर अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि,जो सीमांकन पिछले 2 वर्षो से प्रशासन नही कर पाया वो शायद आगामी 2 दिनों में ही कर दे। कारवाई करना न करना यह तो सिर्फ अब उनके विवेक पर ही निर्भर करता है।

क्या रंग लाएगा कलेक्टर का कहना तुरंत दिखवाती हु और तहसीलदार का शोकॉज नोटिस .........?
आपको बता दे कि तहसीलदार आशीष राठौर ने जांच दल को लगभग 5 दिन पहले शोकॉज नोटिस जारी कर 3 दिन का समय दिया था। जिसकी मियाद आज आखिरी है। गोरतलब बात यह भी है की कलेक्टर रजनी सिंह ने भी 5 दिन पूर्व यह कहा था कि हमारे पास सारे संसाधन है,फिर सीमांकन क्यो नही हुआ....? इसे में तुरंत दिखवाती हु। अब आगे देखना यह है प्रशासन के अनुसार तुरन्त किसे कहते है.....? कलेक्टर का यह कहना तुरंत दिखवाती हु और तहसीलदार की शोकॉज नोटिस अब क्या रंग लाएगी......?

आवेदन के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी क्यो नही कर पाया प्रशासन आज तक सीमांकन...................?
जनमानस के जहन में अभी तक एक ही सवाल खड़ा है कि आवेदन के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन आज तक सीमांकन क्यो नही कर पाया है....? किसी की निजी जमीन या मकान की नपती का आवेदन आता है,तो तुरंत टीम पहुच जाती है। ऐसा क्यों है...? यह हमें लिखने की आवश्यकता ही नही है,क्योंकि यह जो पब्लिक है की सब जानती है। दूसरी ओर ऐसा मेरा मानना है की इसे हास्यास्पद और दयनीय स्थिति भी कह सकते है,की शासकीय सम्पत्ति के सीमांकन के लिए प्रशासन के पास टाइम ही नही है। खैर....हम पत्रकार तो सिर्फ और सिर्फ प्रशासन के आईने होते है। जो सिर्फ बता सकते है कि यहाँ गलत हो रहा है। कारवाई करना न करना यह तो सिर्फ उनके विवेक पर निर्भर करता है। हम एक बार,दो बार और बार-बार लिखेंगे,फिर उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना ही पड़ता है,यह हमारा अनुभव है। लेकिन एक बात तो मैं साफ कह सकता हु कि मेरे जीवन की 18 वर्ष की पत्रकारिता में सिर्फ दो-चार अधिकारियो को छोड़कर,इतना सुस्त और निष्क्रिय प्रशासन मैंने आज तक नही देखा है।


जीतू भाई सिर्फ आह्वान करे.................
लगातार अखबारों में बड़े तालाब पर खबरे प्रकाशित होने के बाद आमजन में काफी रोष है। जब हमारी टीम ने तालाब के आसपास रहने वाले रहवासियों से चर्चा की तो अधिकतर लोगों का कहना था,हमे गर्व है कि हमारे वार्ड में जितेंद्र सिंह राठौर जैसा जागरूक नागरिक और जनहित के मुद्दे पर बिना डरे अकेला खड़ा हो जाने वाला रहता है। पिछले वर्ष भी उन्होंने उनके मित्र पत्रकार संजय जैन के साथ दिन-रात घर बार छोड़कर तालाब को खाली कर काफी गाद निकलवायी थी। लेकिन इस वर्ष इसी मुहिम की अगली कड़ी प्रशासन के सुस्त रवैये के चलते प्रारंभ नही हो सकी है। जीतु भाई सिर्फ आव्हान करें हम उनके साथ खड़े मिलेंगे। कुछ लोगो का कहना था सुनने में आया है की कुछ टंटपुँजिये जन-प्रतिनिधि प्रशासन के कान यह कहकर भर चुके है कि तालाब खाली करने से जल स्तर कम हो जाएगा। जबकि यह पानी पूरी तरह से तालाब के आस-पास बने मकानों के मल से लबालब है। यही नही सरकारी सर्किट हाउस का ड्रेनेज भी इसी तालाब मे छोड़ा जा रहा है। जो पानी हाथ धोने लायक भी नही है, उसका जल स्तर से क्या लेना देना है....? वैसे भी पुराने बुजुर्ग कह गए है कि कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पढ़ता है। जबकि यहाँ खोने के लिए तो कुछ भी नहीं है। हमारा तो प्रशासन से निवेदन है कि वे तालाब की सफाई करने में सक्षम नही है, तो कम से अतिक्रमणकारियों को तो खदेड़े और जिन्होंने अपने मकानों का ड्रेनेज तालाब में छोड़ रखा है,उन्हें तुरंत 7 दिन का नोटिस देकर अपने ड्रेनेज की व्यवस्था व्यवस्थित करने के लिए तो कहे औऱ भारी जुर्माने का प्रावधान भी सुनिशित करे। कुछ लोगो ने यह भी कहा की कलेक्टर तालाब भ्रमण पर आ कर कुछ समय यहा व्यतीत करें और वार्ड रहवासियों से रूबरू हो तो उन्हें पता चल जाएगा कि हम बदबू के साथ कैसे अपना जीवन यापन कर रहे है।

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जिस पर नगर के सौंदर्य का जिम्मा उसने ही किया है तालाब पर अतिक्रमण,तो आम जन से क्या उम्मीद रखे.....?
जितेंद्र सिंह राठौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि नगर पालिका ने ही तालाब के पानी संग्रहण एरिया को कम करके तालाब के घाट पर ही मोगली गार्डन खड़ा कर इसे गायब ही कर दिया है। बड़े तालाब पर कुल13 घाट थे जो अब घटकर 6 ही रह गए है। जबकि एनजीटी के नियमानुसार ऐतिहासिक धरोहर के मूल स्वरूप का बदलना और पानी के स्रोत का हरण करना एक गंभीर प्राकृतिक अपराध की श्रेणी में आता है। तालाब पर ना ही मंदिर का और ना ही मस्जिद का अतिक्रमण है। तालाब पर अतिक्रमण तो नगर पालिका,जनप्रतिनिधि और मंदिर के पुजारी का है। मैं पिछले 2 वर्षों से प्रशासन से बड़े तालाब का सीमांकन करवाने के लिए झूज रहा हु। अब कलेक्टर और तहसीलदार की सहभागिता देखते हुए मुझे उम्मीद है की अगले 2 दिन में सीमांकन पक्का हो जाएगा। मेरा कलेक्टर महोदय से निवेदन है की वे उनकी अनुभवी टीम के साथ एक बार तालाब का गंभीरता से भ्रमण करे। तो उन्हें कुछ जानने की जरूरत महसूस नही होगी,क्योंकि साधारण खुली आँखों से उन्हें सब नजर आ जायेगा। यदि वे चाहे तो मैं भी उनके साथ उपस्थित रहकर समूर्ण वास्तविक स्थिति मय प्रमाण व इतिहास सहित उनको अवगत कराने में सक्षम हु। झाबुआ की जनता आगामी कई वर्षों तक उन्हें याद रखेगी।
...................जितेंद्र सिंह राठौर-शहर कांग्रेस अध्यक्ष-झाबुआ
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हम हड़ताल पर है......................
सोमवार से हम हड़ताल पर है। संभवत: आज शाम तक इसे समाप्त करने का निर्णय हो सकता है। रही बात शोकॉज नोटिस की,हड़ताल समाप्त होते से ही इसे मैं दिखवाता हु।
..............................आशीष राठौर-तहसीलदार-झाबुआ

आपसे मैंने कहा था बड़े तालाब के सीमांकन के मामले को तुरंत दिखवाती हु। चूंकि तहसीलदारों के हड़ताल चल रही है,इसके खत्म होते से ही मैं कार्रवाई के निर्देश दूंगी।
................................रजनी सिंह-कलेक्टर-झाबुआ



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