झाबुआ~यह कैसा प्रशासन....? तत्कालीन एसडीएम एलएन गर्ग ने बरगलाया और शिकायतकर्ता से कहा कि मुख्यमंत्री ऑनलाइन शिकायत वापस ले लेवे.........दिया झूठा आश्वासन~~

बहादुर सागर तालाब में हुए अतिक्रमण खुली आँखों से साफ नजर आता है,फिर प्रशासन क्यों अतिक्रमणकारियों को बचाने में लगा हुआ है.~~

तालाब की नपती ना हो सकी पिछले 2 वर्षों से,तो तालाब सफाई की उम्मीद इस प्रशासन से क्या कर सकते है.~~

झाबुआ। संजय जैन~~


पिछले वर्ष तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा को पुरानी धरोहर बहादुर सागर तालाब को सहजने के लिए वरिष्ठ पत्रकार संजय जैन और आरटीआय कार्यकर्ता एवं नगर कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र सिंह राठौर द्वारा सही रणनीति तैयार कर आगाह किया था। जिस पर गंभीरता से विचार कर कलेक्टर ने तालाब को साफ करने हेतु दिन-रात एक कर दिए थे। जिसका परिणाम उन्हें झाबुआ की जनता से अपार प्यार,आर्थिक सहयोग और पूर्ण समर्थन के रूप में मिला था।

मात्र 2 माह में 45 फीसदी तालाब हो गया था स्वच्छ........
आपको बता दे कि झाबुआ की जनता भी जानती है कि मात्र 2 माह में 45 फीसदी बहादुर सागर तालाब जनता,किसान भाइयों और प्रशासन के सहयोग से स्वच्छ कर दिया गया था। इसी कड़ी में बाकी का कार्य इस वर्ष दोबरा प्रारंभ करने की रणनीति तय थी,लेकिन दुर्भाग्य वश तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा का स्थानन्तरण हो गया। तालाब सफाई की इस वर्ष की रणनीति को दोबारा प्रारंभ करने हेतु वरिष्ठ पत्रकार संजय जैन और आरटीआय कार्यकर्ता एवं नगर कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र सिंह राठौर ने कलेक्टर रजनी सिंह से जनवरी माह में मुलाकात कर आगे की रूपरेखा बतायी गयी। जिस पर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि इस मुहिम को अंतिम चरण तक हम अवश्य ले जाएंगे।

नहीं लिया गया अभी तक कोई सकारात्मक निर्णय .........
आधा माह मार्च का भी बीत चुका है,लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक इस गंभीर समस्या पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है,ऐसा साफ प्रतीत हो रहा है। पहले गणतंत्र दिवस की तैयारी,फिर विकास यात्रा, फिर मुख्यमंत्री व राज्यपाल का दौरा,फिर होली-भगोरिया पर्व और अंत मे कलेक्टर का अवकाश पर चले जाना। अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ,2 दिन में तालाब सफाई की मुहिम सुचारू रूप से बेहद आसानी से प्रारंभ हो सकती है। सिर्फ जरूरत है प्रशासन की इच्छा शक्ति जागृत होने की,बाकी कार्य तो पिछले वर्ष की तरह सहजता से हो जाएंगे।

तालाब का सीमांकन,प्रशासन कम से कम इतना तो करवा ही सकता है..................
प्रशासन तालाब की सफाई में कुछ नही कर सकता है,कम से कम इसका सीमांकन जो पिछले डेढ़ वर्षो से लंबित है,तो करवा ही सकता है। शायद यह उनके कार्य क्षेत्र में तो आता ही है। शिकायतकर्ता की शिकायत वापस करवाकर अधिकारी सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने में लगे है। उन्हें तो मतलब है कि उच्चतर अधिकारी द्वारा किसी भी तरह से उनकी पीठ थपथपा दी जाय। ऐसा ही एक मामला झाबुआ का प्रकाश में आया है,जिसमें तत्कालीन एसडीएम एलएन गर्ग और वर्तमान तहसीलदार आशीष राठौर ने शिकायतकर्ता जितेंद्र सिंह राठौर को सी-एम हेल्पलाइन की शिकायते बरगला कर और झूठा आश्वासन देकर वापस लेने के लिए विवश कर दिया था। आज दिनांक तक बड़े तालाब का सीमांकन नही हो पाया है।

शिकायतकर्ता को तत्कालीन एसडीएम एलएन गर्ग ने बरगलाया और दिया झूठा आश्वासन..................
शिकायतकर्ता जितेंद्र सिंह राठौर. शहर कांग्रेस अध्यक्ष को अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन एसडीएम एल गर्ग ने जनहित के मुद्दा होने के बावजूद बरगला कर तालाब के सीमांकन का लिखित में झूठा आश्वासन देकर बदले में मुख्यमंत्री ऑनलाइन शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया,यह कहते हुए कि हम 1 हफ्ते के भीतर ही तालाब का सीमांकन कर देंगे। गौरतलब है कि सीमांकन आज तक नहीं हुआ है।

चल रहा है गुड्डा-गुड़ी का खेल झाबुआ में...........
गौरतलब है कि तालाब के सीमांकन हेतु लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व जनहित के मुद्दे और शासकीय भूमि को आजाद करने के लिए10 सदस्यों का जांच दल गठित किया गया था। जिसका आज दिनांक तक कोई भी प्रतिवेदन जांच दल द्वारा पेश नही किया गया। प्रशासन के इस रवैये से तो साफ नजर आ रहा है कि या तो वे अतिक्रमणकारियों से मिल रही मिठाई के चलते या किसी के दबाव के कारण सीमांकन नहीं कर रहे है। यह तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि झाबुआ में गुड्डा-गुड्डी का खेल चल रहा है,वो भी जिले के मुखिया के नाक के नीचे.......... जिन्हें शायद इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।

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पद का दुरुपयोग करते हुए तथा बरगला कर दबाव पूर्वक रद्द करवाई मेरी सीएम ऑनलाइन शिकायत................
मेरी सुनवाई नहीं होने पर अंत में मैंने लगभग 2 वर्ष पूर्व जनहित में बहादुर सागर तालाब का सीमांकन नहीं करने पर सीएम ऑनलाइन पर शिकायत दर्ज करवाई थी। जिस पर तत्कालीन एसडीएम लक्ष्मीनारायण गर्ग ने पद का दुरुपयोग करते हुए तथा बरगला कर दबाव पूर्वक मेरी सीएम ऑनलाइन शिकायत रद्द करवाई। उन्होंने मुझे कहा कि मैं सात दिन के अन्दर बड़े तालाब का सीमांकन करवा दूंगा,आप निश्चिंत रहे। जिसका मुझे उन्होंने लिखित में आश्वासन भी दिया था। लगभग 2 वर्ष पूर्व दल का गठन भी किया,जिसका आज दिनांक तो कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। मुझे तो प्रशासन पर दया आ रही कि एक तो जनहित का मुद्दा और शासकीय भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा साफ खुली आँखों से आमजन को दिख रहा,लेकिन प्रशासन के अधिकारी धृतराष्ट्र बने बैठे है। मेरी लिखित में शिकायत भी थी। मुझे तो लगता है जिले के मुखिया को इसकी भनक भी नहीं है। जब जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा किया जा रहा है,तो आमजन का क्या हश्र होता होगा.....? अब मेरा प्रशासन पर से भरोसा उठ चुका है। मैंने आगे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का पक्का मन बना लिया है और जरूरत लगी तो मैं एनजीटी को भी इसकी शिकायत अवश्य करूंगा।
 .........................जितेंद्र सिंह राठौर-शिकायतकर्ता-शहर कांग्रेस अध्यक्ष-झाबुआ
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शिकायतकर्ता की बात सही......................
शिकायतकर्ता की बात सही है। मैंने इनसे सीएम हेल्पलाइन की शिकायत वापस ले लेने के लिए कहा था। साथ ही उन्हें मैंने कहा था कि सात दिन के भीतर ही बड़े तालाब का सीमांकन करवा दूंगा। अब में तत्कालीन एसडीएम हु। आप इस बारे में वर्तमान एसडीएम से चर्चा करें। वैसे भी मेरा स्थान्तरण शहडोल जिले में हो चुका है। मुझे रिलीव नहीं किया गया है,अत में पिछले लगभग 1 माह से जिला मुख्यालय पर ही अपनी सेवा दे रहा हूं।
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एलएन गर्ग-तत्कालीन एसडीएम-झाबुआ

इसे तुरंत दिखाता है.....................
यदि तत्कालीन एसडीएम ने ऐसा कहा है कि सीमांकन के बारे में मुझसे पूछे तो ऐसा उन्होंने क्यों कहा है...? यह मेरी समझ से परे है। जबकि शिकायतकर्ता की शिकायत उन्होंने लिखित में वापस करवाई है,वो भी उनके कार्यकाल में,तो इस बारे मे क्या कह सकता हु.....? हा,लेकिन यह मामला आज मेरे संज्ञान में आया है इसलिए,मैं इसे तुरंत दिखाता हु।
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सुनील झा-एसडीएम -झाबुआ    
             
शोकॉज नोटिस जारी कर दिया है.................................
आपके द्वारा मुझे यह मामला कल संज्ञान में आया था। बड़े तालाब के सीमांकन हेतु पूर्व में जो दल गठित किया था,उस दल को मैंने शोकॉज नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर अपना जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु आदेशित कर दिया है।
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आशीष राठौर-तहसीलदार-झाबुआ  

हमारे पास सारे संसाधन है.......................
तालाब का सीमांकन किसी भी कंडीशन में हो सकता था। जबकि हमारे पास सारे संसाधन भी है,तो फिर सीमांकन इतने वर्षों से लंबित क्यों है...? मैं इसे तुरंत दिखवाती हु और सीमांकन हेतु कल ही निर्देशित करती हूं।
......................... रजनी सिंह-कलेक्टर-झाबुआ


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