धार~कोई अवैध कॉलोनी छूट तो नहीं गई, इसकी जानकारी 1 सप्ताह में पुख्ता करेंगे अधिकारी ~~
जिले में 2016 के पूर्व अस्तित्व में आई 145 अवैध कॉलोनियों को करेंगे वैध, बंधक प्लाटों का विक्रय कर राशि से होंगे विकास कार्य ~~
सर्वेक्षण में छूटी अवैध कॉलोनियों की जानकारी जुटाने के लिए 20 फरवरी की थी नियत, मुख्यालय पर चाणक्यपुरी-श्रीकृष्ण नगर को सूचीबद्ध करने के आए आवेदन ~~
2016 से पूर्व से अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों की जानकारी एक बार फिर से जुटाई जा रही है। करीब 145 अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया है। इसके बावजूद वर्ष 16 के पूर्व अस्तित्व में आई कई अवैध कॉलोनियां अभी भी सर्वेक्षण में सूचीबद्ध नहीं हो पाई है। इस तरह की कॉलोनियों की जानकारी एक बार और पुख्ता की जा रही है, ताकि उन्हें भी वैध करने के अभियान में शामिल किया जा सके। इसको लेकर जिला कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने अनुविभागीय अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर छूटी हुई अवैध कॉलोनियों की जानकारी पुख्ता करने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि अभी भी कई अवैध कॉलोनियां सरकारी सर्वेक्षण में छूट गई है।
सक्रिय पार्षद, वैध करने का सौंपा आवेदन
जिले के 13 नगर निकायों के अंतर्गत वैध करने की श्रेणी में शामिल हुई कॉलोनियों की सूची का सार्वजनिक प्रकाशन हो चुका है। इसमें छूटी हुई कॉलोनियों के संबंध में 20 फरवरी तक दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया था। इसमें कई कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में शामिल करने के लिए आवेदन आए है। जिला मुख्यालय पर वार्ड क्रमांक 5 की निर्दलीय पार्षद श्रीमती रंजना अजय राठौर ने चाणक्यपुरी कॉलोनी को वैध करने की मांग को लेकर नगरपालिका सीएमओ निशिकांत शुक्ला को आवेदन सौंपा है। यह कॉलोनी 2016 के पूर्व से अस्तित्व में आई है। इसके अतिरिक्त श्रीकृष्ण नगर कॉलोनी को लेकर भी लोगों ने मुलाकात की है।
बंधक प्लाटों से जुटाएंगे राशि
धार मुख्यालय पर 9 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। इन कॉलोनियो में विकास कार्य पेटे रखे बंधक प्लाटों को विक्रय कर राशि से विकास कार्य करवाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले कई सालों से कॉलोनियों में महंगे प्लाट, मकान खरीदने के बाद पानी, बिजली, सड़क, डेÑनेज जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए रहवासी परेशान चल रहे है। अनेको कॉलोनियों में लोग पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर है। 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष पानी के लिए खर्च करते है। कई कॉलोनियां अंधकार में डूबी रहती है।
जनभागीदारी भी संभव!
अवैध कॉलोनियों में विकास कार्य करवाने को लेकर बंधक प्लाटों से राशि जुटाने की बात कही जा रही है। अतिरिक्त खर्च होने वाली राशि शासन द्वारा वहन की जाएगी, लेकिन कई कॉलोनियां ऐसी है जहां पर बंधक प्लाटों की अफरा-तफरी हो चुकी है। ऐसी स्थिति में कॉलोनाईजर पर कार्रवाई हो सकती है, लेकिन इन कॉलोनियों में पूर्ण राशि शासन खर्च करेग इसकी उम्मीदें कम है। सूत्रों की माने तो ऐसी कॉलोनियों में जनभागीदारी जुटाई जा सकती है। उल्लेखनीय है कि कई कॉलोनियों में लोग विकास कार्यों की पूर्णता के लिए जनभागीदारी देने के लिए भी तैयार है। ऐसी कॉलोनियों में चाणक्यपुरी का डी सेक्टर शामिल है। जहां के रहवासी कई मर्तबा इस तरह की बात कह चुके हैं।
किले के पास आएगी दिक्कतें
मुख्यालय पर वैध करने की प्रक्रिया में शामिल अवैध कॉलोनियों में महेश-शुक्ला कॉलोनी को भी शामिल किया गया है। यह कॉलोनी किले से सटकर बसाई गई है। पुरातत्व विभाग के अधीन किले में 100 से 300 मीटर तक निर्माण प्रतिबंधित है। ऐसी स्थिति में इन कॉलोनियों को वैध करने और बुनियादी सुविधाओं को लेकर काम करने के लिए पुरातत्व विभाग की मंजूरी की जरूरत भी पड़ेगी।


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