झाबुआ~5वीं-8वीं परीक्षा के लिए तय नहीं हो सका प्रश्नपत्र पैटर्न,कहीं फेल न हो जाए अलग सिलेबस पढ़ने वाले निजी स्कूल के बच्चे -तेज हो गई निजी स्कूल प्रबंधकों की धड़कनें~~
करीब 12 साल बाद फिर से बोर्ड हुई 5वीं-8वीं की परीक्षा का पैटर्न अब तक तय नहीं हो सका। शासकीय व निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को एक जैसा पेपर मिलेगा या अलग अलग, इसको लेकर स्पष्ट गाइड लाइन नहीं आई।
हकीकत सामने आते ही इस साल बोर्ड घोषित.........................
लगातार बिगड़ती शिक्षा गुणवत्ता की बातें सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने राज्य शासन को अवगत कराया। राज्य शासन ने 5वीं और 8वीं को फिर से बोर्ड घोषित करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पारित होने के बाद दिल्ली से अनुमति मिलने ही राज्य शासन ने इस साल फिर 5वीं और 8वीं क्लास को बोर्ड घोषित कर दिया है।
तेज हो गई निजी स्कूल प्रबंधकों की धड़कनें........................
अधिकारियों ने माशिमं द्वारा तय मप्र पाठ्य पुस्तक निगम की पुस्तकों से ही पेपर तैयार होने की संभावना बताई है। यदि ऐसा ही रहा तो माशिमं से मान्यता लेकर अपना खुद का सिलेबस चलाकर स्टेशनरी का कारोबार करने वाले निजी स्कूल के बच्चों को दिक्कतें आएगी। कक्षा पांचवी और आठवीं के बोर्ड घोषित होने के बाद भोपाल से ही पेपर तैयार होगा। पेपर भी शिक्षा संचालनालय अपने स्तर से ही तय करेगा। जो मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के सिलेबस से तैयार होगा,लेकिन इससे माशिमं की मान्यता लेकर अपने अपने स्तर से सिलेबस चलाने वाले निजी स्कूल के बच्चों के सामने परेशानी खड़ी हो जाएगी,क्योंकि ज्यादा निजी स्कूल अपने स्तर से अलग अलग सिलेबस चला रहे हैं। ऐसे स्कूल के बच्चों को ज्यादा सिलेबस पढ़ने के बाद भी शासकीय स्कूलों में संचालित पुस्तकों पर आधारित पेपर देना होगा। इसको लेकर मुख्यालय स्तर से अब तक कोई स्पष्ट गाइड लाइन भी नहीं आई हैं, लेकिन निजी स्कूल प्रबंधकों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
निजी स्कूल को बच्चों की करना होगी ऑनलाइन एंट्री............
कक्षा पांचवीं व आठवीं में बोर्ड पैटर्न लागू होने के बाद अब इन दोनों कक्षाओं के प्रत्येक बच्चे की ऑनलाइन एंट्री होगी। सरकारी स्कूल के बच्चे की एंट्री हो चुकी है। अब निजी स्कूल के बच्चों की एंट्री भी शुरू करा दी है। सारे बच्चों का डाटा ऑनलाइन अपलोड होने के बाद मुख्यालय स्तर से ही सभी को रोल नंबर जारी हो जाएंगे। हालांकि स्कूल संचालक ऑनलाइन एंट्री करने से बच रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होने पर बच्चों के सामने परेशानी खड़ी होगी।
साल 2010 से लोकल हुई थी 5वीं व 8वीं प्रदेश में..................
राइट टू एजुकेशन 2009 को साल 2010 में लागू होने के बाद से कक्षा 8वीं तक बच्चों को पास करना अनिवार्य कर दिया गया था। इस कारण बोर्ड की कक्षा 5वीं व 8वीं भी लोकल कक्षाओं की श्रेणी में शामिल हो गई। इसका सीधा असर शिक्षा गुणवत्ता पर पड़ा। खासकर सरकारी स्कूलों का तो पूरा ढर्रा ही बदल गया। कक्षा 8वीं पास करने वाले कई बच्चों को एबीसीडी से लेकर हिंदी पढ़ना भी नहीं सिखाया जा सका।
नहीं आई लिखित रूप से स्पष्ट नियमावली ..............................
भोपाल से आएंगे प्रश्न पत्र बोर्ड घोषित होने के बाद इस साल भोपाल से ही प्रश्न पत्र आना है। हालांकि इसके लिए अभी लिखित रूप से स्पष्ट नियमावली नहीं आई है। इसी की तैयारी को लेकर बच्चों की ऑनलाइन एंट्री कराई जा रही है।
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