झाबुआ~चिल्ड वॉटर जार पर फर्म का पता-ठिकाना तक नहीं, निर्देशों का हो रहा खुला उल्लंघन~~

पकड़े जाने का डर- कार्रवाई के भंवर से बचना चाहते हैं फर्म संचालक,बगैर जांच-परख पानी बेच रहे~~

झाबुआ। संजय जैन~~

एक कमरे में सामान्य फिल्टर लगाकर करीब 24 घंटे ठंडा करने के बाद बगैर किसी जांच-परख के जार में पैक करके शहर में बेचे जा रहे पानी के चिल्ड जार किस फर्म के हैं, इसकी जानकारी जार देखकर नहीं मिल रही,क्योंकि शहर में बेचे जा रहे चिल्ड वाटर के जार पर संचालक अपनी फर्म का पता ही नहीं लिख रहे हैं। इसके पीछे की एक वजह ये भी कि फर्म संचालक कार्रवाई के भंवर में नहीं फंसना चाहते है।
 
भारतीय मानक ब्यूरो के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे..................
शहर में चिल्ड जार में पानी बेच रहे संचालक फूड सेफ्टी व भारतीय मानक ब्यूरो के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इनके पास न तो आईएसआई मार्क है, न फूड सेफ्टी लाइसेंस व वाटर टेस्टिंग लैब है। ये पानी बाजार में 15 से लेकर 30 रुपए प्रति 20 लीटर के मान से बेचा जा रहा है। दूसरी ओर प्रशासनिक लापरवाही ऐसी कि इन पर कार्रवाई तो दूर, जांच तक नहीं की जा रही है। ऐसे में चिल्ड वाटर के नाम पर लोगों को ठंडा जहर बेचा जा रहा है, मामले में खाद्य-विभाग कार्रवाई की बात कह रहा है।


नाम,लाइसेंस,मार्का,हेल्पलाइन नंबर लिखना है जरूरी......
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार जिस पानी की प्रोसेसिंग की जा रही है,उसके पैकेज्ड जार लेबल पर फर्म के पूरे पते सहित आईएसआई मार्क,फूड सेफ्टी विभाग के लाइसेंस नंबर,मेन्यूफेक्चरिंग व अवसान की तारीख सहित कस्टमर केयर नंबर लिखना जरूरी होता है।

उपभोक्ताओं को नहीं जानकारी कैसा है पानी......
चिल्ड जार पर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं होने से उपभोक्ता को ये भी पता नहीं कि जार में 24 घंटे तक ठंडा रहने वाला ये पानी न तो किसी लैब से होकर गुजर रहा,न इसके परीक्षण को लेकर कोई रिपोर्ट है। प्रशासनिक लापरवाही के कारण ऐसी फर्म पर बीते कई सालों से जांच तक नहीं की जा सकी है।
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