झाबुआ~मामला लगभग 90 करोड़ की शासकीय भूमि पीडब्ल्यूडी का-जिले के सबसे बड़े भू माफिया पर गिरी गाज~

गरीब की जोरू,सबकी भाभी........इसी तर्ज पर अपने नाम प्रभावी लोग कर रहे हैं सरकारी जमीन को~~

अब देखना यह है कि मामाजी का बुलडोजर कब चलेगा भू-माफिया पर???......आमजन~~

 
झाबुआ। संजय जैन~~

। पीडब्ल्यूडी-लोक निर्माण विभाग के मुख्य कार्यालय की जमीन का विवाद अब लगभग सुलझ गया है। गरीब की जोरू....सबकी भाभी,इसी तर्ज पर सरकारी जमीन को प्रभावी लोग अपने नाम कर रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता के चलते प्रशासनिक अमला ही मुख्य भूमिका निभाता है। बिना गिरदावर या पटवारी के खाता खसरा में नाम दर्ज कैसे हो जाता है ...? साधारण व्यक्ति तो कर ही नहीं सकता। पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने तत्परता दिखाते हुए इस मामले में जांच के आदेश देकर अहम रोल अदा किया था जिसका परिणाम बहुत ही कीमती जमीन भू-माफिया से मुक्त हुई।
 
भू-माफिया ने दावा ये किया था....
भू-माफिया ने पिछले साल लोक निर्माण विभाग के मुख्य कार्यालय के पीछे वाली जमीन पर बाउंड्री वाल बना दी गई थी। भू-माफिया ने दावा ये किया था कि जमीन उसकी है। जमीन पर सरकारी दफ्तर और कलेक्टर निवास भी उसका है। यह लोक निर्माण विभाग का दफ्तर 50 से 60 साल पुराना है। उक्त मामला जैसे ही पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा के संज्ञान में आया उन्होंने लोक निर्माण विभाग को एफआईआर दर्ज करने हेतु निर्देशित किया,जिस पर दिनांक 24 जुलाई 2022 को लोक निर्माण विभाग के एसडीओ डीके शुक्ला ने भू-माफिया राजेंद्र शांतिलाल भंडारी निवासी झाबुआ के खिलाफ  धारा 353 गैर जमानती-शासकीय कार्य में बाधा के तहत प्रकरण दर्ज करवाया था।
 
भू माफिया के एफआयआर के बाद भी हौसले थे बुलंद.....
एफआयआर के बाद  भू-माफिया राजेंद्र भंडारी लगभग 15 से 20 दिन झाबुआ से गायब हो गया था। जमानत के आदेश मिलने के बाद ही झाबुआ पंहुचा और नगर में खुले आम घूमता नजर आया। वह यह कहता हुआ नगर में नजर आया कि जमीन पर सरकारी दफ्तर और कलेक्टर निवास हमारा है ,हमारे नाम से सभी दस्तावेज भी है और हम इसे लेकर ही रहेंगे।  

ऐसे चला आगे मामला...........
एफआयआर के बाद  दिनांक  7 अगस्त 2022 को लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री मुकरामसिंग रावत द्वारा एसडीएम झाबुआ को धारा 5 अवधि विधान के अधिनियम के अंतर्गत शपथ पत्र के साथ अधीनस्थ तहसीलदार झाबुआ के न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 450/ऐ /6/2012-13  में पारित आदेश दिनांक 20 दिसम्बर 2013 में लोक निर्माण विभाग को संयोजित किये बिना व पक्ष श्रवण किये बिना एक पक्षीय लोक व्यवस्था के विरुद्ध पारित उक्त आदेश होने से निरस्त किया जाकर ग्राम माधोपुरा स्थित जिसका पुराना सर्वे नंबर 31/1/1 रकबा 0.291 हेक्टेयर वर्तमान सर्वे नंबर 66 पर दर्ज नामों को विलोपित कर मप्र लोक निर्माण विभाग दर्ज किया जाए ऐसा आवेदन प्रस्तुत किया था।
 
सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं .........
अंतत: सत्य की जीत हुई,झाबुआ न्यायालय एसडीएम ने इस मामले का बेहद गंभीरता से अवलोकन किया और विवेचना के आधार पर प्रकरण क्रमांक 0034/अपील/2022-23 के तहत न्यायालय तहसीलदार,तहसील झाबुआ के न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 46/अ/6/2012-13 में पारित आदेश 20 दिसम्बर 2013 पूर्णत: विधिक एवं प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों के विपरीत होकर त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त कर दिया और उक्त भूमि पर से भंडारी परिवार का नाम विलुप्त कर मप्र लोक निर्माण विभाग का नाम दर्ज करने हेतु दिनांक 4 नवंबर 2022 को आदेश पारित किया।
 
०००००००० बॉक्स खबर ००००००
नगर में चल पड़ा चर्चाओं का दौर ...........मामाजी का बुल डोजर अब भू-माफिया पर कब चलेगा....?
जब इस मामले को लेकर हमारी टीम ने नगर का भृमण किया तो अधिकतर लोगो का कहना था,प्रशासन ने सही रणनीति और सजगता दिखाकर शैतान बच्चे को मॉनिटर बना दिया। जिससे अब सब छोटे-मोटे भू-माफियो में हड़कंप मच जायेगा। प्रशासन चाहे तो कोई भी किसी की भी 1 इंच भी जमीन नहीं हथिया सकता है। कुछ लोग व्यंग्य करते हुए कह रहे थे हम जैसे समझदार लोग इतने वर्षो से वही के वही है और ऐसे भू-माफिया आज नगर शेठ बने बैठे है । हमें आज पता चला कि वे ऐसे हेरा फेरी करके नगर शेठ बने है । कुछ लोग चटकारे लेते हुए कह रहे थे अब तक का जिले का सबसे बड़े भू-माफिया उजागर हुआ है तो अब देखना है कि मामाजी का बुल डोजर अब भू-माफिया पर कब चलेगा....? और उसके प्रशासनिक सहयोगियों को तुरंत प्रभाव से निलंबन कब किया जायेगा.....?  हमारा तो मानना है कि अब सब पर बारी बारी से प्रकरण भी दर्ज होना चाहिए।  
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