धार~मरीजों के फीडबैक के लिए कंट्रोल रूम बनें, आप लोग पेपर लैस वर्क को महत्व दें~~
नवागत कलेक्टर का जिला अस्पताल में पहला औचक निरीक्षण, 40 मिनट के दौरे में कई लापरवाही दिखाई दी~~
सिविल सर्जन को व्यवस्था सुधारने के निर्देश, साफ-सफाई व्यवस्था से असंतुष्टि जताई~~
सुबह 10 से ऑपरेशन के लिए डॉक्टर का इंतजार करती मिली महिला, एसएनसीयू में नर्स नदारद~~
शासकीय जिला अस्पताल में अब मरीजों की छुट्टी के बाद उनसे व्यवस्थाओं और उपचार को लेकर फीडबैक लिया जाएगा। इसके लिए कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। जहां से मरीज को फोन लगाकर जानकारियां ली जाएगी। उसके आधार पर जहां भी सुधार की गुंजाईश होगी उन व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा। इस तरह की व्यवस्था को लागू करने के लिए नवागत कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने सुझाव दिया है। दरअसल सोमवार को धार कलेक्टर का चार्ज लेने के बाद मंगलवार को श्री मिश्रा ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें 40 मिनट के दौरे में कई तरह की लापरवाही सामने दिखाई दी। जिसके बाद उन्होंने सिविल सर्जन डॉ मालवीय को व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश दिए। वहीं नदारद कर्मचारियों की गैर मौजूदगी के ठोस कारण बताने के लिए निर्देशित किया। इस दौरान जिपं सीईओ केएल मीणा (आईएएस), एसडीएम दीपाश्री गुप्ता व शासकीय कर्मी डॉली जाधव मौजूद थी।
ऑपरेशन के लिए इंतजार में दिखी महिला
जिला अस्पताल में प्रसूता वार्ड के परिसर से निकलने के दौरान कलेक्टर के साथ मौजूद सिविल सर्जन को एक आदिवासी महिला ने रोक लिया। महिला ने पूछा कि ऑपरेशन कब होगा। यह सुनकर कलेक्टर पलट गए और उन्होंने महिला से चर्चा की। कलेक्टर के सामने यह बात सामने आई कि धार घोड़ा चौपाटी क्षेत्र में रहने वाली महिला अपनी प्रसूता परिजन को लेकर सुबह 10 बजे से सिजेरियन के लिए डॉक्टर का इंतजार कर रही है। उन्हें अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। इस पर कलेक्टर ने डॉक्टर की जानकारी मांगी। सिविल सर्जन ने कहा कि कॉल पर डॉक्टर आते है। कलेक्टर ने पूछा कॉल के बाद कितनी देर में आते है। सिविल सर्जन ने कहा मैं अभी कॉल कर देता हूं।
ड्यूटी इंचार्ज नदारद, ठोस कारण मालूम नहीं
कलेक्टर ने अपने औचक निरीक्षण के दौरान महिला स्वास्थ्य एवं बाल स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं को विशेष फोकस में रखा। उन्होंने एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया। कक्ष में मौजूद नर्सिंग स्टॉफ से इंट्री को लेकर जानकारियां ली। इस दौरान यह बात सामने आई कि ड्यूटी इंचार्ज मौजूद नहीं है। उनकी जानकारी निकाली तो पता चला कि अवकाश पर है। उनके स्थान पर किसकी ड्यूटी है। इस बात का जवाब सिविल सर्जन को भी नहीं पता था। कलेक्टर ने साथ में मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि ‘नोट करें ड्यूटी नर्स नदारद, सिविल सर्जन को जानकारी नहीं’। उन्होंने अवकाश आवेदन की जानकारी निकालने के लिए कहा।
पहचान कैसे होगी, पेपर लैस वर्क करें
कलेक्टर श्री मिश्रा ने सुमन डेस्क पर पहुंचकर स्टॉफ से चर्चा की। उनसे कई तरह की जानकारियां ली। लक्ष्य के संदर्भ में पूछा। इसके बाद उन्होंने मरीजों के फार्म की इंट्रियां भी देखी। कलेक्टर ने कहा कि बार-बार इंट्री दर्ज करने की बजाय ऑनलाईन इंट्री करें, कोशिश करें कि हम अधिक से अधिक पेपर लैस वर्क को कर सके। इधर प्रसूताओं के वार्ड के नजदीक के शौचालय सहित अन्य जगह पर साफ-सफाई की व्यवस्था से कलेक्टर असंतुष्ट दिखे। उन्होंने कहा कि सफाई व्यवस्था में लापरवाही करने वाले कर्मचारियों को नोटिस जारी करें। आऊटसोर्स के पास सफाई व्यवस्था होने पर उन्होंने कहा कि टेंडर की शर्तों के मुताबिक साफ-सफाई होना चाहिए यह सुनिश्चित करें।
निजी एम्बुलैंस के विज्ञापन दिखे
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर को प्रांगण में कुछ लोग बैठे दिखाई दिए। उन्होंने बैठने का कारण पूछा। लोगों ने कहा कि घर जाने के लिए एम्बुलैंस का इंतजार कर रहे है। इस पर उन्होंने पूछा कि कितनी देर पहले फोन किया था। मरीज के परिजन बोले कुछ मिनट ही हुए है। इसके बाद कलेक्टर आगे बढ़ गए और सिविल सर्जन से कहा 108 की हेल्प डेस्क भी होना चाहिए। इधर प्रांगण में निजी एम्बुलैंस सुविधा के पोस्टर देखकर कहा कि हमारी व्यवस्थाएं अच्छी होना चाहिए। उनके प्रचार की जरूरत नहीं रहेगी।
108 चालक से कहा डे:स पहने
निरीक्षण समाप्ति के बाद उन्हें 108 वाहन का चालक दिखाई दिया। उन्होंने उससे कॉल रिस्पांस टाईमिंग की जानकारी ली। उसने मौजूद होने सहित पहुंचने की रजिस्टर इंट्री दिखाई। इस पर कलेक्टर ने कहा डे:स कोड और पहचान पत्र कहा है। इसके बगैर कैसे पहचानेंगे कि तुम 108 के ड्रायवर हो।
इनकी भी ली जानकारी
कलेक्टर ने जिला अस्पताल में संचालित हेल्प डेस्क पर कर्मी ना देखकर जानकारी ली। उन्हें बताया गया कि आज अवकाश है। इधर ओपीडी सहित अन्य कक्षों के निरीक्षण को लेकर कलेक्टर ने चर्चा की।
बॉक्स-1
बात को क्लीक नहीं कर पाए
नवागत कलेक्टर को चार्ज लिए मंगलवार को महज 1 दिन हुआ था। पहली बैठक में ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि फील्ड मॉनिटरिंग के लिए तैयार रहे। उनकी बात को जिला अस्पताल क्लीक नहीं कर पाया। यही कारण रहा कि मंगलवार को महज 40 मिनट के निरीक्षण में कलेक्टर के समक्ष कई कमियां उजागर हो गई। जिसमें साफ-सफाई जैसा दैनिक विषय भी शामिल था। इसी साफ-सफाई को लेकर एक पखवाड़े पूर्व कायाकल्प की टीम भी सुधार के निर्देश देकर गई थी। अच्छी बात यह रही कि सार्वजनिक रूप से पहले निरीक्षण में किसी को कोई फटकार नहीं लगी। हालांकि कलेक्टर की मुख्य बातों को नोट किया गया है। संभवत: अब कमियों को लेकर बंद कमरे में क्लास लगेगी।
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