धार~कलेक्टर से बोला आवेदक पॉलिसी बदलना धोखाधड़ी, मालिकाना हक पर दिलवाए दुकानें ~~

जनसुनवाई में 126 आवेदन आए, नवागत   कलेक्टर ने पहली मर्तबा सुनी समस्याएं, कई आवेदन तुरंत संबंधित अधिकारियों को वॉटसअप किए ~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।


 काफी समय हो गया है नगरपालिका द्वारा स्ट्रीट वेंडर्स झोन में हमें दुकानें आवंटित नहीं की जा रही है। मालिकाना हक पर दुकानें देने के नाम से हमसे अग्रिम राशि जमा करवाई गई। अब पॉलिसी बदलने की बात की जा रही है। यह सरासर धोखाधड़ी है। यह बात नवागत कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को शिकायती आवेदन सौंपने के दौरान एक युवक ने कही। मामला नगरपालिका द्वारा बनाए गए स्ट्रीट वेंडर्स झोन का है। कलेक्टर ने पूछा कि यदि पैसा वापस दें तो ले लोगे। युवक ने कहा पैसा नहीं मालिकाना हक के साथ दुकान चाहिए। कलेक्टर ने आवेदन लेकर रख लिया। युवक ने कहा कि 185 दुकानदार है। मुझे पीड़ा हुई तो मैं आया हूं। 
लाईलाज बीमारी, दवा का पैसा नहीं दिया 
बदनावर के मालीपुरा से आयुष्मान कार्ड हितग्राही गोपाल मोहरी ने कलेक्टर को मदद के लिए आवेदन सौंपा है। युवक ने बताया कि उसके 12 व 5 वर्षीय दो बेटे मस्कुलर डिटोबी विकलांगता से पीड़ित है।  उक्त बीमारी गंभीर है।  आयुष्मान कार्ड में उपचार कराने पर डॉक्टर 10-20 हजार का इलाज नहीं कर रहे है। कहते है 50 हजार से कम का उपचार नहीं होगा। उसके बाद शिकायत का परीक्षण स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों से मौके पर ही करवाया गया। जिसके बाद पता चला कि दोनों बच्चों को करीब 5 से 7 हजार रुपए महीने की दवाइयां निरंतर लगती है। आयुष्मान में भर्ती के दौरान उपचार का प्रावधान है। लंबे समय तक चलने वाली दवाइयों को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद कलेक्टर ने कहा कि एक बार बच्चों को उपचार के लिए भर्ती कराओं। हम देखते है क्या कर सकते है। कुल मिलाकर आवेदक की मूल समस्या का निराकरण नहीं हो पाया। 
धैर्य से सुना आवेदकों को 
नवागत कलेक्टर प्रियंक मिश्रा की धार में पदस्थ होने के बाद यह पहली जनसुनवाई हुई। श्री मिश्रा ने एक-एक आवेदक को गौर से सुना और उनकी समस्याओं को निराकरण के लिए निर्देश भी दिए। करीब 126 आवेदन जनसुनवाई में प्राप्त हुए। आवेदकों को सुनने में सहयोगी अधिकारियों के तौर पर जिपं सीईओ केएल मीणा, एडीएम शृंगार श्रीवास्तव, संयुक्त कलेक्टर नेहा शिवहरे, एसडीएम दीपाश्री गुप्ता और तहसीलदार विनोद राठौर मौजूद थे। कलेक्टर के समक्ष कई छात्राएं छात्रवृत्ति ना मिलने की समस्याओं को लेकर पहुंची थी। कुछ छात्राएं निजी कॉलेज की विद्यार्थी भी थी। उन्होंने छात्रवृत्ति समय पर ना मिलने के कारण पढ़ाई में आर्थिक दिक्कत होने की बात कही। कलेक्टर ने जब छात्रवृत्ति पूछी तो युवतियों ने कहा 38 हजार रुपए मिलती है। इस तरह की अन्य शिकायतें आने के बाद कलेक्टर ने सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग से मामले की जानकारी ली। भोपाल से राशि जारी नहीं होने पर पत्र लिखने की बात कही। कलेक्टर ने कहा पत्र मेरे हस्ताक्षर से भिजवाया जाए। 
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बॉक्स-1
आवश्यक आवेदन वॉटसअप किए 
जनसुनवाई के दौरान नवागत कलेक्टर ने आवेदकों से नीचले स्तर पर आवेदन  देने के बाद हुई कार्रवाई की स्थिति पूछी। वहीं कई मामलों में आवेदकों को स्पष्ट किया कि इन मामलों निराकरण न्यायालय से ही होगा। कई आवेदनों को कलेक्टर ने शिकायत से संबंधित अधिकारियों को फोटो खींचकर भी वॉटसअप किया। जिसमें तहसील पीथमपुर के ग्राम रायण निवासी दो बुजुर्गों का भी आवेदन था। परिवार के एक सदस्य घनश्याम ने पूरी पैतृक भूमि पर कब्जा कर लिया है। इस मामले में पुलिस भी मदद नहीं कर रही। इस आवेदन का फोटो खींचकर कलेक्टर ने अधिनस्थ अधिकारियों को वॉटसअप पर भेजा। 
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