झाबुआ~धन बल हारा श्रम बल जीता-अच्छो-अच्छो के मुगालते दूर कर दिए-अधिकतर पुराने प्रभावी उम्मीदवारों को झाबुआ नगर की जनता ने किया रिटायर~~

कांग्रेस ने की थी नाम मात्र जमीनी तयारी,पूरी जोश से लगी होती तो परिषद् भी बन जाती...........

झाबुआ। संजय जैन।

 झाबुआ नगर पालिका चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने वापसी की है। पिछले चुनाव में अध्यक्ष पद के अलावा 9 वार्ड कांग्रेस ने जीते थे। इस बार भाजपा ने 9 वार्ड जीते,कांग्रेस 7 और निर्दलीय दो वार्ड में सफल रहे। चुनाव में इस बार जनता ने बड़ी ही सूझ बुज और प्रलोभनों से ग्रसित न होकर अपने-अपने वार्ड के लिए समझदार और विश्वश्नीय उम्मीदवार को चुन कर नगर पालिका में भेजा है या एक तरह से कहे तो अधिकतर पुराने प्रभावी उम्मीदवारों को झाबुआ नगर की जनता ने रिटायर कर घर भेज दिया है। इस चुनाव ने अच्छो-अच्छो के मुगालते दूर कर दिए,जो सिर्फ  धन बल से कुछ भी किया जा सकता है ऐसा ही मानते थे।  

वार्ड नंबर 5 और 6 के परिणाम ने अच्छो-अच्छो के मुगालते दूर कर दिए................
वार्ड नंबर 5 और 6 से भाजपा से टिकट की गुहार लगाने वाले क्रमश: घनश्याम भाटी और श्रीमती अनिला बेश को पार्टी ने टिकट न देते हुए प्रभावी लोगो की सिफारिश के चलते वार्ड नंबर 5 से जीतेन्द्र पटेल और वार्ड नंबर 6 से श्रीमती दीपा सोनी को टिकट दे दिया। जिसका गंभीर परिणाम दोनों ही वार्डो में भाजपा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। घनश्याम भाटी ने वार्ड नंबर 5 से भाजपा के बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और 205 के भारी अंतराल से ऐतिहासिक जीत हासिल की,वही वार्ड नंबर 6 से श्रीमती अनिला बेश ने भाजपा की बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और 283 के भारी अंतराल से ऐतिहासिक जीत हासिल की।  

मुख्यमंत्री,भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और इंदौरी नेता पार्षद का चुनाव भी नहीं जीता पाए.............................
प्रचार के आखिरी दिन 25 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सभा राजवाड़ा चौक पर हुई थी। राजवाड़ा चौक के आसपास के 5 में से तीन वार्ड में भाजपा चुनाव हारी। राजवाड़ा चौक के आसपास वार्ड 1,2,4,5 और 6 हैं। इनमें से सिर्फ  वार्ड 1 और 4 में भाजपा जीत पाई। वार्ड 5 व 6 में निर्दलीय उम्मीदवार और वार्ड 2 में कांग्रेस जीती। दोनों वार्ड 5 व 6 निर्दलीयों ने भाजपा से टिकट मांगा था।

नगर में चटखारो सहित जन चर्चा जोरो पर ........................
नगर के वार्ड 5 और 6 नंबर के परिणाम पर लोग चटखारे लेते हुए कहते हुए देखे गए कि मुख्यमंत्री,भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और इंदौरी नेता पार्षद का चुनाव भी नहीं जीता पाए। यह शर्मनाक हार शायद ही वे जिंदगी भर भुला पाएंगे। लोग यह भी कहते हुए देखे गए कि भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कब चुन्नू शर्मा के कान पकड़ने झाबुआ आएंगे,जिसका ऐलान झाबुआ चुनाव प्रचार में बड़े दावे के साथ करके गए थे। दोनों ही वार्ड 5 और 6 के विजयी भाजपा बागी उम्मीदवारों का कहना था की हमे जनता ने हमारे श्रम बल को देखते हुए दिल से समर्थन दिया और धन बल वालो को नकारते हुए उन्हें जमीन चटा दी।  

जनता की जीते हुए उम्मीदवारों और नयी परिषद से क्या है आस......?
जब हमारी टीम ने नगर का भ्रमण किया तो अधिकतर जनता का यह कहना था कि पूर्व में जितनी भी महँगी जमीन जैसे कि कांजी हाउस,कौड़ियों की जमीन और मुख्य्त: नगर पालिका की दुकाने जो गरीब तबको को ही मिलनी चाहिए थी,जिसमे आरक्षण को भी दर किनार कर नीलाम कर दी गयी।  अभी वर्त्तमान में अधिकतर दुकाने प्रभावी लोगो के पास है,जिसका विक्रय 2 से 3 बार भी हो चूका है जबकि दुकाने लीज पर आंबटित की गयी है ।  उपरोक्त सभी मामले में नयी परिषद को गंभीरता से चिंतन कर इन सब मामलों की उच्च स्तरीय जांच करवाना चाहिए। कुछ लोगों का यह कहना था कि प्रस्तावित स्लाटर हाउस और ड्रेनेज सिस्टम पर तुरंत सफल क्रियान्वयन करना चाहिए,मुख्यत: पानी के बिल में बेतहाशा की गयी वृद्धि को तुरंत कम करना चाहिए और पानी की सप्लाई नियमित समय पर रोज होनी चाहिए।    
 
कांग्रेस ने की थी नाम मात्र जमीनी तयारी,पूरी जोश से लगी होती तो परिषद् भी बन जाती .......................
कांग्रेस के उम्मीदवारों से चर्चा की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर हमारी टीम को बताया कि हमारे बड़े नेता,जिला अध्यक्ष और जिम्मेदार लोग यदि जमीनी स्तर पर हर वार्ड में धुआंदार प्रचार करते तो कांग्रेस 10 से 12 सीटे बड़ी आसानी से ला सकती थी। नाम मात्र के प्रचार से जब हमारी 7 सीटे आ गयी,तो हम दावे के साथ कहते है की यदि जिले के वरिष्ठ नेताओ के साथ कोई स्टार प्रचारक झाबुआ प्रचार में दिन रात लगा होता तो हमारी परिषद् झाबुआ नगर में अवश्य बन जाती।  यह सुनहरा मौका हम नहीं भुना पाए,जिसको हम नहीं भुला पाएंगे।  
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