बड़वानी~भविष्य की त्रासदियों का उत्तर है जल की हर बूॅंद का संरक्षण ~~

बड़वानी / वर्तमान समय में विष्व का 54 प्रतिषत भाग जल की कमी से रूबरू हो रहा है। आधुनिक समय में विष्व पटल पर नई षब्दावली उभर कर आ रही है, जैसे वाटर फुट-प्रिन्ट, हाइड्रोपाॅलिटिक्स, वाटर टेªंडिंग इत्यादि जिससे हम सबको परिचित होना चाहिए। कृषि में ड्रिप सिंचाई एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जिससे कम जल में फसल उत्पादन लिया जा सकता है। वही वाटर आडिट के जरिये प्रत्येक व्यक्ति जल संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है।
उपरोक्त विचार षहीद भीमानायक षासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विभाग, इको क्लब एवं नेहरू युवा केन्द्र के तत्वाधान में चल रही व्याख्यान माला के प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता डाॅ डीएम कुमावत विक्रम विष्वविद्यालय उज्जैन ने प्रस्तुत किये। साथ ही उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर मुनष्य द्वारा किया जा रहा जल का दुरूपयोग, कृषि कार्यों में परम्परागत सिंचाई विधियों में जल का अपव्यय व भविष्य में जल संकट की भयावह त्रासदी, आदि ज्वलनषील मुददों पर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने ने  2070 तक विष्व में मनुष्य की जीवनषैली जल संकट के कारण किस प्रकार परिवर्तित हो सकती है, इसे भी एक लघुफिल्म के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया।
व्याख्यान माला में विक्रम विष्वविद्यालय उज्जैन से डाॅ एससी मेहता, डाॅ हरिष व्यास व डाॅ अल्का व्यास, देवी अहिल्या विष्वविद्यालय इन्दौर से डाॅ किषोर पॅवार व डाॅ ओपी जोषी, जीएसआईटीएस इन्दौर से डाॅ संदीप नरूलकर, जीवाजी विष्वविद्यालय ग्वालियर से डाॅ जेके मि़श्रा एवं गुरू घासीदास विष्वविद्यालय छत्तीसगढ से डाॅ अष्विनी कुमार दीक्षित तथा डाॅ सुधीर कुमार पाण्डे आदि ने भी व्याख्यान दिये।
इस अवसर पर वनस्पति विभाग बड़वानी की विभागाध्यक्षा डाॅ. वीणा सत्य ने स्वागत उद्बोधन दिया जबकि नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा अधिकारी श्री नितेष कुमार सोनी ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ एनएल गुप्ता ने की। कार्यक्रम के सचिव डाॅ पंकज कुमार पटेल ने अभार प्रर्दषन किया व कार्यक्रम का संचालन डाॅ भूपेन्द्र भार्गव ने किया।


Share To:

Post A Comment: