*भोपाल~भारतीय गणित की गौरवशाली परंपरा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है डॉ प्रगति जैन"*~~

भोपाल सैयद रिजवान अली~~

राष्ट्रीय गणित दिवस पर हमारे संवाददाता को शासकीय महाविद्यालय मनावर की गणित विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर प्रगति जैन ने बताया कि
जीवन में गणित का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है । यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि गणित वैज्ञानिक प्रगति का आधार व आज के आधुनिक समाज में जीवन का एक अभिन्न अंग है। गर्व की बात है कि भारत में उत्पन्न हुए गणितीय विचारों का विश्व पर गहरा प्रभाव पड़ा और संपूर्ण विश्व भारत के गणितीय योगदान की महत्ता को स्वीकारता है । गणित का उद्भव तथा विकास उतना ही पुराना है, जितना मानव सभ्यता का इतिहास है । गणितीय अवधारणाएं विविध सभ्यताओं और संस्कृतियों के प्रारंभिक चरणों में स्वतंत्र रूप से विकसित हुईं और बाद में आधुनिक काल के आगमन से पहले सांझा की गई। गणित के क्षेत्र में भारत के महत्वपूर्ण योगदान को पूरा विश्व स्वीकारता है। शून्य की अवधारणा से लेकर कंप्यूटेशनल संख्या सिद्धांत की आधुनिक अवधारणा तक भारतीय गणित का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। भारत की सिंधु सभ्यता व वैदिक संस्कृति से लेकर प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ रामानुजन के युग तक भारतीयों ने गणित के रहस्य को सुलझाने में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। भारत के महान गणितज्ञों की विरासत को आगे बढ़ाना आज के समय की आवश्यकता है, ताकि गणित में देश के गौरवशाली परंपरा को प्रोत्साहित और पोषित किया जा सके । गणितीय इतिहास यह जानने में सक्षम बनाता है कि यह विषय कैसे विकसित हुआ।ऐतिहासिक ज्ञान हमारे दृष्टिकोण को विस्तृत करता है व भूतकाल में की गई खोजों को पढ़ने से आधुनिक गणित के सिद्धांतों को समझने में मदद मिलती है। जो व्यक्ति गणितीय सूत्र की उत्पत्ति को जानता है, वह गणितीय प्रश्नों को हल करते समय कभी निराश नहीं होता। भारतीय अंक प्रणाली को विश्व में सराहा गया। जी. इफराह ने अपनी किताब 'द यूनिवर्सल हिस्ट्री ऑफ नंबर्स फ्रॉम प्रीहिस्ट्री टू द इन्वेंशन ऑफ कंप्यूटर' में स्वीकारा है कि शून्य का गणितीय संदर्भ में प्रयोग भारत के आचार्य सर्वनंदी की प्राकृत भाषा में लिखी गई लोयविभाग में मिलता है। अमेरिकन गणितज्ञ किम प्लोफकर अपनी किताब 'मैथमेटिक्स इन इंडिया' में लिखती हैं कि भारतीय गणित विज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है और दुनिया के वर्तमान ज्ञान पर इसका गहरा प्रभाव है। भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्मदिवस 22 दिसंबर 'राष्ट्रीय गणित दिवस' के रूप में मनाया जाता है ।आज उनकी 134 वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। मात्र 32 साल के जीवन काल में श्रीनिवास रामानुजन ने पूरी दुनिया को गणित के अनेक सूत्र और सिद्धांत दिए। किसी भी तरह की औपचारिक शिक्षा न लेने के बावजूद रामानुजन ने उच्च गणित के क्षेत्र में विलक्षण खोजें कीं । रामानुजन के द्वारा दिए गए नंबर थ्योरी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं । इन्हीं सब कारणों से विश्व गणित के इतिहास में भारत का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है जिस पर हम भारतीयों को गर्व होना चाहिए।


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