*तालाब में, नदी में यूँ ना फेक*
*मुझे मेरी माँ भेज ना इतना*
*दूर मुझको मेरी माँ,*
*याद भी तुझको आ*
*ना पाऊँ ।*
*क्या इतनी बुरी हूँ मैं*
बाकानेर धार ~सैयद रिजवान अली ~~
हाल ही में भोपाल के तालाब की घटना और गुजरी धामनोद की कारण नदी की घटना ने झकझोर कर दिया दोनों ही जगह मासूम बेटियों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया आखिर बेटियों ने बिगाड़ा क्या है यह बेटियां सिसकते हुए मां से कुछ कह रही हैं *मेरी माँ ।*
माँ मैं गलत थी, में सोचती थी, माता की कोमल गोद ही शान्ति का निकेतन है। जब तेरी गोद में सोती थी, मुझे ऐसा लगता था की मैं दुनिया के सबसे महंगे गद्दे और पलंग पर सो रही हूँ,पर मुझे नहीं मालूम था तुम भी इतनी क्रूर निकलोगी । मेरे हाथों में कला डोरा बांधा था, किसी की नज़र ना लगे पर,तेरी ही नज़र लग गई मुझ को मेरी माँ, जब मैने पहली बार चलना शुरू किया था, पिता दौड़कर बाजार से मेरे लिए पायल लेकर आए थे,जब मैं ठुमक ठुमक कर चलती थी, तुम मुझे गले से लगा कर चूमती थी, फिर क्या हो गया तुमको मेरी माँ। काहे को फेंक दिया मुझको तालाब में मेरी माँ । आज यह पता चला कि मैं कितनी अकेली हूँ,घने में अंधेरा मैं तुम्हारी छाती से चिपकी हुई थी,तुम को ज़रा सा भी तरस नहीं आया मुझ पर, मैं तो तुम्हारे शरीर का अंग थी, तुमने 9 महीने मुझको पेट में पाला, तुम्हें ऐसा क्या हो गया की तुमने अपने शरीर के अंग को ही तालाब में फेंक दिया । मैं तुम्हें कितने प्यार से देख रही थी,जब तुमने मुझे तालाब में फेंका ।
17 सितंबर 2020 की अन्धकार की रात,जब तूमने अपने हाथो से मुझे तालाब में फेंका था, मैं गहन दुख से अभिभूत हुई थी,तुम्हें मेरा चेहरा बहुत ख़ूबसूरत लगता था फिर तुम्हें ऐसा क्या हुआ कहां खो गई तुम्हारी ममता और करुणा, मुझे बोलना भी नहीं आता था, नहीं तो मैं तुम से अपनी जिंदगी की भीख मांग लेती। माँ मुझे बहुत डर लगा था,जब मैं गहरे पानी में डूबती जा रही थी । तुम्हें मालूम है,माँ मैं पानी से कितना डरती थी, जब तुम मुझे स्नान कराती थी,तब मैं पानी को देखकर कितना रोती थी,जब मैं रोती थी तो तुम मुझे चुप कराने के लिए अपनी छाती से लगा लेती थी,फिर भी तुमने मुझे तालाब में फेंक दिया। मुझे क्यों जन्म दिया मुझे कोख मैं ही मार देती, शायद वह मौत ज्यादा आसान होती जब मैं पानी में डूब रही थी मेरे नाक से और मुंह से पानी पेट में भर रहा था मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी माँ । मुझको डूबता देख कर तुम्हारे आंखों में एक भी आंसू ना आया, मैं तुम्हें माँ कहूं या डायन ।
यह घटना भोपाल की है,भोपाल के बड़े तालाब में मासूम बच्ची का शव मिला, माँ और उसके आशिक ने मासूम की हत्या की । बड़े तालाब में शीतलदास की बगिया के पास 18 सितंबर की सुबह पानी में एक मासूम का शव मिला था । उसकी उम्र करीब एक साल बताई जा रही है। थाना तलैया के टीआई की कड़ी मेहनत से यह मामला लगभग सुलझ ही गया है, थाना तलैया टीआई डीपी सिंह का कहना है, इस मामले को सुलझा ने में सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भरपूर सहयोग मिला इस बच्ची की खबर को बढ़-चढ़कर दिखाया वा छापा गया, जिसकी वजह से पुलिस को बहुत मदद मिली । बच्ची की पहचान उसके पिता अब्दुल्लागंज निवासी ने की। बच्ची का पिता पहले रेलवे में ठेके पर मजदूरी करता था । अब सब्जी एवं फल का ठेला लगाता है, उसकी 22 वर्षीय पत्नी अपने आशिक के साथ बच्ची को लेकर भोपाल आई थी उसने बच्ची को तालाब में फेंका और आशिक के साथ फरार हो गई। 18 सितंबर की सुबह नगर निगम के आसिफ गोताखोर को शीतलदास की बगिया के पास पानी में एक बच्ची का शव तालाब में तैरता हुआ दिखा। गोताखोर ने शव को बाहर निकाला। उसके पैरो में पायल और दोनों हाथों में काले रंग के कड़े थे और वह पीले रंग की फ्रॉक पहने हुई थी।
गोताखोर आसिफ ने बताया कि जिस तरह से बच्ची के हाथ अकड़े हुए थे,उससे संभावना है कि उसकी डूबने से मौत हुई है। इस तरह भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के ग्राम गुजरी के कारम नदी में 5 माह की बालिका लाश 19 सितंबर मिली जिसकी शिनाख्त अब तक नहीं हो पाई है हालांकि सोशल मीडिया और अखबार जगत में यह खबर ने सनसनी बना दी है पुलिस प्रशासन भी मुस्तैदी से तलाश में लगा है धामनोद पत्रकार संघ ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है बालिका के परिजनों को खोजा जाए और जिसने उसके साथ गलत किया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए
इस समय देश और समाज में जो हो रहा है,उसे लेकर चिन्तित होना स्वाभाविक और ज़रूरी है ।
जब माँ की ममता ही मर जाए तो समझ लेना प्रलय क़रीब हैं ।
*ठोकर न मार मुझे*
*पत्थर नहीं हूँ मैं,*
*हैरत से न देख मुझे*
*मंज़र नहीं हूँ मैं,*
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*तालाब में, नदी में यूँ ना फेक*
*मुझे मेरी माँ भेज ना इतना*
*दूर मुझको मेरी माँ,*
*याद भी तुझको आ*
*ना पाऊँ ।*
*क्या इतनी बुरी हूँ मैं*
बाकानेर धार ~सैयद रिजवान अली ~~
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