*झाबुआ~प्रशासन का फ्लैग मार्च स्थानीय प्रशासन ने औपचारिक बना दिया* ~~

*मकसद था लोगों की भलाई का एक मजाक बना दिया*~~

*जानबूझकर स्थानीय प्रशासन द्वारा पत्रकारों को उनके  कार्यक्रम से अवगत नहीं कराया गया*~~

झाबुआ से दशरथ सिंह कट्ठा की रिपोर्ट~~


झाबुआ - झाबुआ जिला कलेक्टर श्री प्रबल सिपाह के आदेश पर मेघनगर के प्रशासक ने अधिकारियों के साथ सोमवार को मार्च निकाला। साथ में यह अलाउंस भी किया गया कि सपूर्ण लॉक डाउन ओर भी सख्त किया जा रहा है। जिसका पालन किया जाए। अब यहां यह बताना आवश्यक है कि लॉक डाउन का पालन मेघनगर ही नहीं संपूर्ण जिले में बड़ी मुस्तैदी से किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन द्वारा ऊंची दुकान फीके पकवान की तरह दिखावा कर यह बताने की कोशिश की गई कि हमारी व्यवस्था कितनी माकूल है, एक गंभीर बीमारी के प्रकोप के चलते औपचारिकता फ्लैग मार्च करवाई गई । यह औपचारिकता इसलिए कहीं जा रही है..काफिले मार्च के जाते ही या जिस एरिया से उनके निकलने के पश्चात ही लॉक डाउन के चलते लोग अपने घरों से बाहर निकल गए। आगे-आगे साहब का काफिला चलता है रहा और पीछे पीछे जनता घर से बाहर निकल रही थी। यह तमाशा ओर एक औपचारिकता बनकर रह गई। सोमवार को जहां पूरे नगर में बिना मास्क लगाए लोग घूमते रहे व सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान गुटका बीड़ी तंबाकू का सेवन करते रहे एवं सार्वजनिक जगहों पर थूक कर बीमारी फैलाते रहे। शासकीय उचित मूल्य दुकानों का भी यही हाल था जहां सोशल डिस्टेंस  को तार-तार कर सभी दुकानों पर भारी भीड़ जमा हो गई। अब इसके उत्तरदाई कौन है ,यह हम भलीभांति समझ सकते हैं। किंतु स्थानीय प्रशासन द्वारा पत्रकारों को बताने की मंशा नहीं देखी गई। जिससे यह साबित हुआ कि फ्लैग मार्च नगर भ्रमण पत्रकार को सूचना तक नहीं दी गई। पत्रकारों को जागरूकता फैलाने का एक जरिया भी माना जाता है। और इस समय पत्रकारों को फ्लैग मार्च की सूचना देना और पत्रकारों के माध्यम से जागरूकता फैलाना काफी महत्व रखता है । किंतु स्थानीय प्रशासन ने पत्रकारों को सूचना नहीं दी ।उन्हें यह बताना भी उचित नहीं समझा कि अमला भ्रमण करेंगा तथा नागरिकों को कोरोना जैसी गंभीर बीमारी के संबंध में जागरूक करेंगे। इमरजेंसी के समय देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा पत्रकारों को जानकारी नहीं देना और उन्हें मूल बातों से अवगत नहीं करा ना एक महत्वपूर्ण विवादित मुद्दा रहा था।वहीं दूसरी ओर वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पत्रकारों को साथ रखते हुए जागरूकता में अहम भूमिका निभाने की बात कही गई है। जानबूझकर स्थानीय प्रशासन द्वारा पत्रकारों को उनके  कार्यक्रम से अवगत नहीं कराया गया और उन्हें दूर रखा गया। जिसकी जिला प्रशासन को जांच कर आवश्यक कार्यवाही करना चाहिए जिससे कि भविष्य में किसी कार्यक्रम में शासन की मंशा और शासन की योजनाएं जन-जन तक पत्रकारों के माध्यम से पहुंच सकें। स्थानीय प्रशासन को अपनी शोहरत पर न जाने किस बात का घमंड या उन्हें नाज है । जबकी वह समझ बन भी रहे हैं कि उनके सफर के लिए वह पत्रकारों के मोहताज है । इसलिए किसी शायर ने कहां है कि न जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है जबकि आखिरी सफर के लिए भी आदमी औरों का मोहताज है।


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