*अलीराजपुर ~आदिवासी योद्धाओ को इतिहास में जगह नही देकर किया पक्षपात-आदिवासी समाज*~~

रिज़वान शेख नानपुर~~

18वी सदी की वीरांगना झलकारीबाई बाई की आज जयन्ती के उपलक्ष्य में जननायक टंटया मामा चौराहे प्रतिमा स्थल पर शाम 8 बजे आदिवासी समाज के युवाओ द्वारा झलकारी बाई की जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित की गई।
जिसमे समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ताओ द्वारा झलकारीबाई के बारे मे बताते हुए कहा के झलकारी बाई को इतिहास में जगह नही देना दुर्भाग्य की बात है जबकि झलकारीबाई की वजह से ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजो से आरपार की लड़ाई में बची थी और अपने बालक को लेकर किले से बाहर निकल पाई थी उस समय झलकारीबाई जो रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी ओर तलवार तीर चलाने में माहिर थी के द्वारा जब रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजी हुकूमत ने राज्य से बाहर कर दिया था तब झलकारीबाई ओर उनके परिवार द्वारा उन्हें संरक्षण देकर सेना बनाई जिसमे महिलाओं ने भी भाग लिया था जिसके बाद झांसी ओर चढ़ाई करते हुए रानी लक्ष्मीबाई की जान बचाने के लिए झलकारीबाई ने अपने प्राण दिए शहीद हो हुई लेकिन इतिहास ने इतने बड़े बलिदान ओर लड़ने वाली महान योद्धा को जगह नही दी जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
   इस जयंती पर सभी महिलाओं को झलकारीबाई की तरह त्याग और सँघर्ष हेतु संकल्प लेने की बात कही और इतिहास से सबक सीखकर हमे आगे बढ़ना चाहिए ये संकल्प लिया।
   कार्यक्रम सुरेश सेमलिया, सालम सोलंकी, राजेंद्र सोलंकी, संजय भूरिया सचिन भुरू मण्डलोई, के नेतृत्व में हुआ इस दौरान नवलसिंह कलेश, मुकेश अजनार,रोहित पड़ियार, सहित काफी संख्या में युवा शक्ति मौजूद रही।


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