*सर्वार्थ सिद्धि योग में इस बार कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, के साथ गुरुनानक जयंती भी इस दिन  मनाई जाती है, पढ़ें पूजा का शुभ मुहूर्त* ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री

मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री ने एक जानकारी में बताया है कि  कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग में स्नान दान का संयोग बन रहा है। सनातन धर्म के लिए पुण्यकारी मास कहा जाने वाले कार्तिक मास में पूर्णिमा का महत्व ग्रह और नक्षत्र से बढ़ गया है। मंगलवार को भरणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है। कार्तिक पूर्णिमा को काशी में देवताओं की दीपावली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गुरुनानक जयंती भी मनाई जाती है । इस दिन कई धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान का विधान है। ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री का कहना है कि इस बार शुभ योग में संयोग बन रहा है।
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*भगवान विष्णु की बरसेगी की कृपा :*  ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री का कहना है कि पूर्णिमा तिथि पर स्नान और दान से भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। मान्यता है कि इस तिथि पर गंगा स्नान से पापों से मुक्ति मिलती है और काया भी निरोगी रहती है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में लिया था। अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति में भी लाभ होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना दस यज्ञों के समान फलदायक होता है। कार्तिक पूर्णिमा देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है, जिसके प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृत्तियों का नाश होता है।
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ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री का कहना है कि त्रिपुरासुर नाम के दैत्य के आतंक से तीनों लोक भयभीत थे। उसने स्वर्ग लोक पर भी अधिकार जमा लिया था। त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था। उसके तप से तीनों लोक जलने लगे। तब ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिया, त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव, जंतु, पक्षी, निशाचर न मार पाएं। इसी वरदान से त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया था।
*कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त*
ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री का कहना है कि दिनांक 12 नवंबर दिन मंगलवार को पूर्णिमा रात्रि 7.09 बजे तक है तथा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 :12 बजे से 11 :55 बजे तक है। वहीं गुली काल मुहूर्त दोपहर 11 :33 बजे से 12 :55 बजे तक है। उदया तिथि के मान से पूरे दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहेगा और पुरे दिन गंगा स्नान और विष्णु पूजन होंगे।
*दैत्य के अंत से मिली थी मुक्ति*
ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री ने कहा कि त्रिपुरासुर नाम के दैत्य के आतंक से तीनों लोक भयभीत थे। उसने स्वर्ग लोक पर भी अधिकार जमा लिया था। त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था। उसके तप से तीनों लोक जलने लगे। तब ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिया, त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव, जंतु, पक्षी, निशाचर न मार पाएं। इसी वरदान से त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया था।
*देव दीपावली का महत्व*
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने देव दीपावली को महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। ऐसे में इस दिन स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना करने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य डाँ अशोक शास्त्री के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन सायंकाल के समय मत्स्यावतार हुआ था, इसलिए आज के दिन दान आदि करने से 10 यज्ञों के समान फल की प्राप्ति होती है।

         *देव दीपावली पूजा विधि*

          कार्तिक पूर्णिमा के दिन संध्या के समय गंगा पूजन किया जाता है। गंगा पूजन के पश्चात अपने अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों मे दीपदान एवं स्नान करें ।
          इस दिन श्रीसत्यनारायण व्रत की कथा सुनना चाहिए। फिर शाम के समय मन्दिरों, चौराहों, गलियों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीपक जलाएं। कार्तिक पू​र्णिमा के दिन गंगा जी को दीपदान भी किया जाता है।
            स्कन्दपुराण के काशी खण्ड के अनुसार, देव दीपावली वाले दिन कृत्तिका में भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का दर्शन करें, तो ब्राह्मण सात जन्म तक वेदपारग और धनवान होते हैं।
          ब्रह्म पुराण के अनुसार, देव दीपावली के दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति, अनसूया और क्षमा- इन छः कृत्तिकाओं का विधि विधान से पूजन करें, तो शौर्य, धैर्य, वीर्यादि बढ़ते हैं।
          कार्तिक पूर्णिमा को स्नान-दान
कार्तिक मास में पूरे मास स्नान का अत्यधिक महत्व है। जो लोग पूरे मास स्नान करते हैं, उनका व्रत कार्तिक पूर्णिमा के स्नान से पूर्ण होता है। स्नान आदि के बाद गाय, हाथी, रथ, घोड़ा और घी का दान करने से संपत्ति में वृद्धि होती है। इस दिन नक्तव्रत करके बैल का दान करने से शिवपद प्राप्त होता है।
          ब्रह्मपुराण के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास करने और भगवान का स्मरण करने से अग्निष्टोम के समान फल प्राप्त होकर सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।
          देव दीपावली को सुवर्णमय भेड़ का दान करने से ग्रह योग के कष्ट दूर हो जाते हैं। ( डाँ. अशोक शास्त्री )


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