दसाई~~नगर में पड़वा गोवर्धन पूजा के दिन उस समय हजारों की भीड़ में उपस्थित जनसमूह रोमांचित होते हैं~~

जगदीश चौधरी खिलेडी 6261395702~~

जब एक बड़े मैदान में पेट के बल लेटे लोगों को रोते हुए सैकड़ों की संख्या में गोवंश गुजरते है परंपारिक व सर्वर को यह गाए गौरी के रूप में वर्षों से मनाया जा रहा है इस रोमांचित कर देने वाले पर्व को देखने के लिए दूरदराज तथा आसपास से हजारों की संख्या में सेलाब उभरता है गाय गोहरी पर्व दो भागों में होता है पहला सुबह 9:30 बजे और शाम 5:00 बजे इस पर्व की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है कि गांव के रहवासियों की गाय को विभिन्न परंपारिक सामग्रियों से सज्जित कर मैदान में लाया जाता है।

गोपालक को द्वारा पटाखे फोड़ जमकर आतिशबाजी की जाती है इसके बाद पारंपारिक वेशभूषा में सज्जित साधकों गौरी पढ़ने की मन्नता लेने वाला को मैदान में नियत स्थान पर पेट के बल लेटा दिया जाता है एक इशारे के मिलते ही मैदान के एक छोर से सैकड़ों की संख्या में गोवंश गाय जोड़ कर उंहें रोते हुए दूसरे छोर से अपने-अपने ठिकानों की ओर चली जाती है।

इस दृश्य को देखने वाले रोमांचित हो उठते हैं उनके मुख से चिलकहर भी निकल जाती है लेकिन गोवंश के खुरो तले रुकने वाला साधक बेदर किसी दिक्कत न के उठ खड़ा होता है इस दौरान साधक परंपारिक गीत गाता रहता है इस वर्ष के 1 दिन पूर्व की शाम दीपावली की शाम को मैदान में साधकों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है इस परंपरा को अनुयाई आदिवासी लोगों का मानना है कि ऐसा करने से होने गौ माता का आशीर्वाद मिलता है।

तथा गोरी पढ़ने वाला साधको मनोकामना पूर्ण होती है तथा सुख शांति वैभव मिलता है स्थानीय आदिवासी समाज के 21 वी सदी में भी अपनी पुश्तैनी संस्कृति परंपराओं को की और आस्था एवं विश्वास कायम है गत वर्ष गोरी पढ़ने वाले साधक जनों ने इस गौ माता का आशीर्वाद मांगते हुए बताया कि गायों को कठोर करो वाले सैकड़ों पेड़ जयपुर की पेट से गुजरते हैं तो उन्हें एहसास होता है मानो किसी के द्वारा उनकी पीठ पर फूलों की बारिश की जा रही हो गोरी पूर्व के दिन हर समाज के किसान वर्ग द्वारा अपनी गायों एवं बैलों की अन्नदाता के रूप में पूजा की जाती है।

साथ ही श्री गोपाल कृष्ण गोशाला सेवा समिति दसाई के द्वारा गोहरी पर्व पर समिति द्वारा गौशाला में गो पुजन  किया गया। पदमपुरा वसुंधरा अभियान समिति के द्वारा पौधारोपण किया गया इस अवसर पर समिति के द्वारा मन्नत धारीयो को श्री फल देकर सम्मानित किया गया।


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