झाबुआ~नीट परीक्षा का खेल-मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट तक, नौ साल पहले भी रद्द हुई थी परीक्षा~~

नीट रिजल्ट में धांधली-एक साथ 67 टॉपर~~

झाबुआ सहित इस बार 23 लाख बच्चे इस परीक्षा मे बैठे थे, बच्चे अभी भी पशोपेश में कि रिजल्ट सही है या वे फिर से परीक्षा की तैयारी में लग जाएं~~

झाबुआ।ब्यूरो चीफ-संजय जैन~~




राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) का रिजल्ट घोषित होने के बाद से झाबुआ, मप्र सहित देश के लाखों छात्र दुविधा में फस गए हैं कि एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या वे उन्हें ही आखिरी मान लें...? या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं...?

दुविधा का कारण....

दुविधा का कारण यह है की नीट का जो परिणाम घोषित हुआ है,उसमें दो-तीन नहीं बल्कि एक साथ 67 छात्रों ने टॉप किया है।इन छात्रों को 720 में से 720 अंक भी मिले हैं। आज तक कभी भी इतनी संख्या में एक साथ छात्र टॉपर नहीं रहे हैं।तीन साल पहले हुई परीक्षा में पूरे देश से मात्र तीन छात्र टॉप पर गए थे। इसी कारण कुछ पीड़ित छात्रों ने ने न्याय की आस में कथित गड़बड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिर से परीक्षा कराने की मांग की गई है।नौ साल पहले भी इसी परीक्षा में धांधली पर सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द कर दी थी। 

एक सवाल के दो-दो उत्तर को सही माना....

इस परीक्षा में शामिल हुए छात्रों के मुताबिक फिजिक्स के एक पेपर में इतनी बड़ी चूक हो गई कि एक ही सवाल के दो-दो सही जवाब दे दिए गए और दोनों ही जवाबों को एनटीए ने सही भी माना और इसी वजह से 44 टॉपर बढ़ गए है। दरअसल एनसीईआी की नई किताब के मुताबिक जो जवाब छात्रों ने दिया वह गलत था,लेकिन पिछले साल की किताब के संस्करण में उसी जवाब को सही कहा गया था।आंसर की में उस सवाल जवाब को दस हजार छात्रों ने यह चुनौती दी थी। एनटीए ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए उन छात्रों को भी पूरे नंबर दिए जिन्होंने ऑप्शन-चार चुना था, जिसमें कहा गया था कि दोनों ही कथन सही है।

दलील-साल प्रश्न पत्र आसान दे दिया गया था....

परीक्षा को कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की अपनी दलील है कि इस साल प्रश्न पत्र आसान दे दिया गया था और ज्यादा परीक्षार्थियों के परीक्षा में शामिल होने के कारण इस तरह के बडे रिजल्ट आए है, जिससे बहुत सारे छात्रों ने टॉप किया है। 

एनटीए के पास भी संतोषप्रद जवाब नहीं...


एक्जाम में मल्टीपल च्वाइस जवाब के (MCQs) होते हैं, लेकिन क्या इसी एक कारण से इतने टॉपर हो गए है...? ऐसा आज तक पहले कभी नहीं हुआ था।एनटीए के पास भी संतोषप्रद जवाब नहीं है। 

एक ही सेंटर से 8 टॉपर ....

सूत्रों के मुताबिक हरियाणा के झज्जर में एक ही परीक्षा केंद्र से आठ-आ टॉपर निकल आए हैं।इस परिणाम में धांधली की आशंका को लेकर हरियाणा के जिंद में एडीशनल कमिश्नर के पास कुछ अभिभावकों ने शिकायत दर्ज कराई है और जांच की अपील भी की है।जिस केंद्र से आठ टॉपर आए हैं उसी केंद्र के छात्रों को ग्रेस मार्क्स भी दिया गया है।जबकि एनटीए को अधिकार ही नहीं है ग्रेस मार्क्स देने का,इसके लिए कमेटी तक नहीं बनाई गई।यह क्राइटेरिया तय नहीं किया गया कि ग्रेस मार्क्स कितने देने हैं, किसको देने हैं और किस हद तक देने हैं...?


ऐसा नहीं है कि मेडिकल परीक्षा पर पहली बार सवाल उठे हैं। नौ साल (2015) पहले नीट का गठन नहीं हुआ था, तब आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) हुआ करता था और इस परीक्षा का आयोजन सीबीएसई द्वारा किया जाता था। उस वक्त आरोप लगे थे कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए धांधली की गई है।सवालों के जवाब परीक्षा केंद्र पर छात्रों को भेजे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उस साल 15 जून को परीक्षा रद्द भी कर दी थी।कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया था। तब सरकार की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई कि 44 छात्र धांधली में शामिल थे और ऐसे में 6.3 लाख छात्रों से दोबारा परीक्षा नहीं दिलवाई जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर एक भी छात्र को गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचता है,तो पूरी परीक्षा प्रक्रिया बिगड़ जाती है। बाद में इसी तरह की धांधली को रोकने के लिए एनटीए का गठन हुआ था, लेकिन अब 2024 के नतीजों ने वैसे ही सवाल फिर खड़े कर दिए हैं।

10 डिजिट के रोल नंबर में अंतिम तीन अंक ही अलग....

एनटीए को भेजी शिकायत में स्टूडेंट और एजुकेशन एक्सपर्ट ने आरोप लगाया कि यूपी, तमिलनाडु और गुजरात में फर्स्ट रैंक वालों के रोल नंबर काफी करीब है।10 डिजिट के रोल नंबर में अंतिम तीन अंक ही अलग है, बाकी समान है। छात्रों को संभवतः एक ही सेंटर अलॉट हुआ है। यानी एक ही सेंटर से नीट के दो-दो टॉपर निकले। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से हाल घोषित किए गए NEET UG-2024 रिजल्ट में पहली बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर रहे 67 स्टूडेंट में 16 स्टूडेंट्स के रोल नंबर आस-पास थे। हरियाणा, यूपी, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और कर्नाटक के टॉपर्स के मामले में ये गड़बड़ी सामने आई है। बिहार में पेपर लीक होने के आरोप भी लगे हैं।
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