झाबुआ~सीजन का सबसे गर्म दिन रहा बुधवार,पारा 41.2 डिग्री दर्ज हुआ~~

देसी फ्रिज की बढ़ी मांग-गर्मी में पक्षियों का जीवन बचाने बांधे सकोरे~~

झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~




पश्चिमी विक्षोभ का असर खत्म होने के बाद मई माह के पहले सप्ताह में जिला आग की भट्टी की तरह तप रहा है। लगातार-बढ़ रहे तापमान ने जिले वासियों को हलाकान कर दिया है। लोग अब रात दिन कूलर और पंखे के बिना नहीं रह पा रहे हैं। बुधवार को दिन चली गर्म हवा के बीच शहर का अधिकतम तापमान 41.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहा।

देसी फ्रिज की बढ़ी मांग........................

भीषण गर्मी के साथ ही जिले में कूलर खस और देसी फ्रिज मिट्टी के मटके की मांग बनी हुई है। शहर के मटका दुकानों पर लोग पसंद अनुसार लाल व काले मटके, सुराही की खरीदी कर रहे हैं, तो कूलर में लगने वाली खस की दुकानें देखी जा रही है। इन व्यापारियों के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ ही इनकी डिमांड भी बनी हुई है। इस वर्ष कूलर खस और ठंडे मटकों के दामों में इजाफा भी देखा जा रहा है। मटके आकार-प्रकार अनुसार 100 स ेलेकर लेकर 350 रुपए तक बेचे जा रहे हैं। वही कूलरों में लगने वाली खस के दाम 70-80 से डेढ़ सौ रुपए तक पहुंच गए है। वहीं नए कूलरों में लगने वाली हनीपेड खस के दाम इससे कही अधिक है।


सड़कों पर आवाजाही नाम मात्र की .........................

शहर का तापमान इन दिनों सातवें आसमान पर है और रोजाना ही तापमान में वृद्धि देखी जा रही है। चिलचिलाती धूप से निजात पाने लोगों को चश्मा, टोपी, गमछा आदि का सहारा लेना पड़ रहा हैं। वहीं दुपट्टे से सर बांधकर ही लोग अपने घर से बाहर निकल रहे हैं। गर्मी के हालात यह हैं कि कूलर भी दिन में गर्म हवाएं फेंक रहे है। दिन के समय सड़कों पर आवाजाही नाम मात्र की नजर आ रही है। दुकानदार भी दिन के समय कूलर-पंखों के सामने राहत पा रहे हैं,तो रिक्शा चालक और फुटकर दुकानदार भी सड़कों के किनारे लगे पेड़ों की छाया में आराम फरमाते नजर आ रहे हैं। तपनी दोपहरी में लोग गन्ने का रस, ज्यूस, आईस्क्रीम,नींबू रस और कोल्ड्रिंगस से राहत पा रहे है।


गर्मी में पक्षियों का जीवन बचाने बांधे सकोरे......................

हम लोग पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए सकोरे बांधे। अपने-अपने घरों की छतों पर भी दाना-पानी के लिए सकोरे रख े। यदि पक्षियों का संरक्षण करना है तो हमें पक्षियों को गर्मियों के समय में दाना-पानी देना आवश्यक है। यदि हम लोग जागरूक नहीं होंगे तो आने वाले समय में पक्षियों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जाएगी। जो कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हानिकारक होगी। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ हमें जीव जंतुओं का भी संरक्षण करना होगा। पक्षियों के लिए दाना पानी की उचित व्यवस्था कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें,ताकि धूप में विचरण करने वाले पक्षियों को राहत मिल सके।
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