झाबुआ~नही हो रहा स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन-स्कूली बच्चों का बस्ता भारी~~
होता जा रहा बच्चों पर पढ़ाई के बोझ से ज्यादा बस्ते का बोझ-अब बाजार में आ गए ट्रॉली बैग्स~~
झाबुआ। संजय जैन~~
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तय की गई स्कूल बैग पॉलिसी 2020 बच्चों के बस्तों के वजन निर्धारित मानकों अनुरूप ही होना चाहिए। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था का ही कमाल है कि बच्चों पर पढ़ाई के बोझ से ज्यादा बस्ते का बोझ होता जा रहा है। स्कूलों में बस्ते का बोझ दिन प्रतिदिन ज्यादा ही होता जा रहा है। बच्चों के कंधों पर स्कूल बैग्स के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए भले ही सीबीएसई और एमपी बोर्ड ने अब तक उपाय खोज रहे हैं,लेकिन बाजार ने इसका तरीका खोज निकाला है। इस बार बच्चों के लिए खास तौर पर ट्रॉली स्कूल बैग्स आए हैं। यानी अब बच्चों को कंधों पर बैग लादने की जरूर नहीं है,वे इसे हैंडल से खींचकर आसानी से स्कूल और घर पहुंच सकते हैं। नया शिक्षण सत्र शुरु होते ही अब बच्चों की तैयारियां अभिभावकों को भारी पड़ रही हैं। हर चीज के साथ-साथ अब कोर्स के साथ अन्य सामग्री भी महंगाई की चपेट में है।
नही हो रहा स्कूल बैग पॉलिसी 2020 का पालन...................
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तय की गई स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के तहत बस्ते का वजन कम करने के निर्देश का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत प्रतिमाह बच्चों के बस्ते की मॉनिटरिंग की जाए और निर्धारित से अधिक वजन के बस्ते लेकर बच्चे नहीं मिलना चाहिए। कक्षा 2 के बच्चों को कोई भी गृह कार्य नहीं दिया जाए। जबकि कक्षा 3 से 5वीं तक बच्चों को प्रति सप्ताह अधिकतम 2 घंटे, कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों को प्रतिदिन अधिकतम 1 घंटे और कक्षा 9 से12वीं तक के विद्यार्थियों को प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे का ही गृह कार्य दिया जाए। कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों के बस्ते का वजन 1.6 से 2.5 किलोग्राम, 6 व 7 वीं तक का 2 से 3 किलोग्राम,8वीं का 2.5 से 4 किलोग्राम तक रहे। 9वीं व 10वीं के बस्ते का वजन 2.5 से 4.5 किलोग्राम तक रहे। स्कूल के नोटिस बोर्ड और क्लास रूम में इसके चार्ट भी लगाना होगा। सप्ताह में एक दिन बैग विहीन दिवस रखा भी जाना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तय की गई स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के बाद भी का पालन नहीं हो रहा है। प्राइवेट स्कूलों में इन नियमों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए पर आज भी वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
ट्रॉली बैग की डिमांड ......................
बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्ति मिलने के लिए डिजाइन किए गए ट्रॉली बैग की डिमांड भी अब बाजार में बढ़ गई है। बच्चों के अभिभावक उन्हें यही बैग दिला रहे हैं। बाजार में भी बच्चों को लुभाने वाले तरह-तरह के बैग हर रेंज में बिक रहे हैं। दुकानों पर बैग खरीदने के लिए अब लोग भी पहुंच रहे हैं।ट्रॉली स्कूल बैग का ट्रेंड नया होने के कारण फिलहाल शहर की कुछ ही दुकानों पर उपलब्ध है। अधिकांश लोग इन्हें अन्य शहरों से ला रहे हैं। बाजार में ट्रॉली स्कूल बैग की कीमत 700 रुपए से शुरू होकर 1500 रुपए तक है। ट्रॉली स्कूल बैग्स को कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि ये बच्चों को पसंद भी आए और इन्हें खींचने में बच्चों को ज्यादा परेशानी भी न हो। ट्रॉली का हैंडल और पहिए प्लास्टिक के हैं और बैग्स पर तरह-तरह की डिजाइन भी दी गई है। इनमें बार्बी और डोरेमोन के बैग्स ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं।
स्कूलों के महंगे कोर्स ने बढ़ाई पालकों की समस्या...............
नया शिक्षण सत्र शुरु होते ही अब बच्चों की तैयारियां अभिभावकों को भारी पड़ रही हैं। हर चीज के साथ-साथ अब कोर्स के साथ अन्य सामग्री भी महंगाई की चपेट में है। नए गणवेश और बस्ते के साथ स्कूल जाना बच्चों को भले ही खुश कर रहा हो,लेकिन पढ़ाई का खर्च पालकों पर भारी पड़ रहा है। प्रवेश शुल्क सहित नर्सरी से केजी कक्षा तक पिछले साल लगने वाला 4500 रुपए का खर्च इस बार लगभग छह हजार रुपए हो गया है। ऐसी ही बढ़ोतरी अन्य कक्षाओं के खर्च में भी हुई है। कापी-किताबों से परे पालकों को अन्य जरूरी खर्चों से भी जूझना पड़ रहा है। टिफिन-बॉटल के भाव में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बाजार में ये 75 से लेकर 200 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही गणवेश और शूज का खर्च भी 800 रुपए तक बैठ रहा है। महंगाई का असर बस्तों पर भी पड़ा है।
निजी स्कूलों में प्रचार-प्रसार की होड़....................
नवीन शिक्षण सत्र शुरू होते ही अपने-अपने स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए निजी स्कूलों के संचालकों में होड़ मची हुई है। नगर के छोटे-बड़े कई निजी स्कूलों अपने स्कुलो मे छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए पंपेलेंट के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हर वर्ष निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए अलग-अलग नियम बनाए जाते हैं,लेकिन अब तक बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने पर किसी का ध्यान ही नहीं हैं। प्राइमरी कक्षाओं के छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ इतना अधिक होता है कि वह इसे उठा भी नहीं पात हैं। स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सख्त रुख अपनाने के निर्देश दिए जाए।
भारी बैग से बदल जाती है बच्चों की चाल.....................
वजनी बैग की वजह से बच्चा झुक कर चलने लगता है। बच्चे के लिए अपने वजन से 10 फीसदी से ज्यादा का बोझ नुकसानदेह है। इससे न केवल कंधे और पीठ पर बुरा असर पड़ता है,बल्कि उनकी चाल भी स्थायी तौर पर बदल सकती है।
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