झाबुआ~तबादलों का मौसम जिले में जारी- सहकारिता में 700 से ज्यादा कर्मचारी, लेकिन नई नीति लागू नहीं-पुलिस विभाग में मात्र 300 से ज्यादा जवान,तबादले जरूरत पड़ने पर ही....

जिले में लगभग 800 तबादले होंगे, 5 प्रतिशत के फार्मूले से सबसे ज्यादा 300 तबादले शिक्षा विभाग में.......

जिले में तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 30 जून तक होने हैं तबादले- जिन अधिकारियों को जिले में 3 साल पूरे, इनके तबादले तय.......

स्वयं के व्यय और प्रशासकीय व्यवस्था के तहत होंगे जिले के अंदर कर्मचारियों के तबादले- प्रभारी मंत्री की सहमति जरूरी...........

झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन........




शासन ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 15 से 30 जून तक नई तबादला नीति 2023 लागू की है। जिले के अंदर कर्मचारियों के तबादले के लिए शासन से आए आदेश के बाद जिला स्तर पर भी तैयारियां हो रही हैं। इसमें खास बात यह है कि कमलनाथ सरकार के वक्त 24 जून 2021 को जो तबादला नीति लागू की गई थी, उसे ही 2023 में भी लागू कर दिया। आदेश के तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ही तबादले होंगे। तबादले 30 जून तक होना है। जबकि आज 27 जून भी हो गयी है।तबादले दो स्तर पर अब कैसे होंगे। इसमें एक कर्मचारियों के स्वयं के व्यय पर यानी वे खुद आवेदन देकर स्थानांतरण की मांग करेंगे,दूसरे स्तर पर कलेक्टर के आदेश पर प्रशासकीय व्यवस्था के तहत तबादले होंगे। इसमें कलेक्टर खुद स्थानांतरण करेंगे। इसके लिए उन्हें प्रभारी मंत्री से स्वीकृति लेना जरूरी होगा।

तबादलों की आहट से अब कुछ अधिकारी टेंशन में..............

प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव में जिले के कई अधिकारियों के स्थानांतरण होना हैं,को मुख्यमंत्री के दौरे के बाद से प्रारंभ भी हो चुके है। कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो सालों से एक ही जगह पर पदस्थ हैं। अधिकारियों को स्थानांतरण के बाद परिवार को दूसरी जगह पर व्यवस्थित जगह उपलब्ध कराने में समस्या होती है,बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। अगर परिवार को छोड़कर जाते हैं तो फिर परिवार और मुखिया अलग-अलग हो जाते हैं। यही नहीं कुछ अधिकारी तो ऐसे भी हैं जो हैं तो दूसरे जिलों के हैं लेकिन नातेदारी, रिश्तेदारी झाबुआ में है। इसलिए इनके स्थानांतरण होना सुनिश्चित हैं। ऐसे अधिकारी अब चिंता में हैं।

जिले में 800 तबादले होंगे, 5 प्रतिशत के फार्मूले से सबसे ज्यादा 300 तबादले शिक्षा विभाग में....................

नीति के मुताबिक अगर किसी विभाग में कर्मचारियों की संख्या 201 से लेकर 2000 तक है तो उस विभाग में अधिकतम 10 प्रतिशत कर्मचारी ही इधर से उधर हो सकते हैं। इसी प्रकार यदि किसी विभाग में कर्मचारियों की संख्या 2000 से अधिक है तो 5 प्रतिशत कर्मचारी ही बदले जाएंगे। जिले के शिक्षा महकमे में सबसे ज्यादा 6 हजार से अधिक कर्मचारी हैं, वहां 5 प्रतिशत यानी 300 कर्मचारी बदले जा सकेंगे। इसके अलावा स्वास्थ्य, पंचायत एवं राजस्व विभाग में कर्मचारियों की संख्या 2000 से कम है, इसलिए वहां अधिकतम 10 प्रतिशत कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे। जिलेभर में कुल करीब 12 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं। इस तरह कुल मिलाकर 800 तबादले हो सकेंगे।

याह रहेगा आवेदन करने का नियम......................

शिक्षा विभाग में ऑनलाइन और बाकी में आफलाइन आवेदन होंगे। शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया होगी। इसमें विभाग के पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा। विभाग प्रमुख उसकी मार्किंग कलेक्टर को करेंगे। इसके अलावा अन्य सभी विभागों के कर्मचारी अपने विभाग प्रमुखों के अलावा सांसद के माध्यम से तबादले का प्रस्ताव बनाएंगे। उस प्रस्ताव को विभाग प्रमुख कलेक्टर को आफलाइन भेजेंगे। यहां से कलेक्टर अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव प्रभारी मंत्री को भेजेंगे। प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद विभाग प्रमुख ही तबादला आदेश निकाल सकेंगे। 30 जून तक यह तबादला प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

नियम- पिछले व गृह जिले में नहीं जाएंगे......

 शासन की ओर से चुनावी साल में हो रहे तबादलों के लिए गाइड-लाइन तय की गई है। इसके अनुसार अधिकारियों को गृह जिले में नहीं भेजा जाएगा। साथ ही उस जिले में भी नहीं भेजा जाएगा,जहां पिछला चुनाव करके ये आए हैं या वहां रहे हैं। इसलिए पुलिस व राजस्व प्रशासन के अधिकारियों की नजर अपने गृह जिले के नजदीकी जिले में या पड़ोसी जिले पर हैं। हालाकि तबादले के आदेश शासन स्तर पर होंगे,इसमें किसी की मर्जी तो चलेगी नही,फिर भी अधिकारी अपने मनचाहे जिले में जाने के लिए प्रयास करने में लगे हुए हैं।


परफॉर्मेंस के अनुसार होंगे तबादले ..............

तबादले से पहले कर्मचारियों के काम की परफॉर्मेंस भी देखी जाएगी। जिले के अंदर स्थानांतरण चाहने वाले कर्मचारियों को एक आवेदन विभाग प्रमुख को देना होगा। वह साइन कर प्रशासन के पास फाइल पहुंचाएंगे। कलेक्टर उस पर अनुमोदन कर स्थानांतरण करेंगे। स्थानांतरण आदेश विभाग प्रमुख के साइन से होंगे। दूसरी स्थिति में प्रशासनिक व्यवस्था के तहत स्थानांतरण होंगे। यह पूरी तरह कलेक्टर के ऊपर निर्भर रहेगा कि किसे कहा भेजना है। इसके अलावा जिले में आंतरिक स्तर पर जो तबादले होंगे,उनमें काम के परफॉर्मेंस के साथ ही आने वाले दो चुनाव को ध्यान में रखा जाएगा। पहला चुनाव विधानसभा का आने ही वाला है, वहीं मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। इस दौरान कौन कहां बेहतर काम कर सकेगा, यह भी देखा जाएगा।

खास-खास..........................

-इस स्थानांतरण नीति से हटकर किए जाने वाले तबादलों के प्रकरणों में मुख्यमंत्री के समन्वय से आदेश प्राप्त करने होंगे।
-गृह विभाग के अंतर्गत डीएसपी से नीचे के पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण के संदर्भ में पुलिस स्थापना बोर्ड द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
-शासकीय सेवक की अत्यंत गंभीर स्थिति होने पर ट्रांसफर हो सकते हैं।
निलंबन, त्यागपत्र, दीर्घ अवकाश, प्रतिनियुक्त,क्रमोन्नति,पदोन्नति,वीआरएस से वापसी सहित अन्य मामलों में विभाग के मत के बाद ही तबादला होगा।
-40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग द्वारा आवेदन देने पर तबादले का विचार हो सकता है।

इन पर लागू नहीं होगी तबादला नीति .............

शासन की नई नीति मप्र संवर्ग के भारतीय प्रशासनिक सेवा, मप्र न्यायिक सेवा और मंत्रालय सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी। संविदा कर्मचारी इसमें शामिल नहीं हैं,जिले में काम करने वाले संविदा कर्मचारी, कार्यभारित कर्मचारी,दैनिक वेतन मजदूरी वाले कर्मचारी, आकस्मिक निधि के तहत काम करने वाले कर्मचारी इसमें शामिल नहीं रहेंगे। उनका तबादला इस नीति से नहीं होगा। साथ ही जिले में प्रथम श्रेणी के और द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी इस दायरे में नहीं आएंगे। उनका तबादला इस आदेश के तहत नहीं होगा।

भारत निर्वाचन आयोग जारी कर चुका कार्यकाल की डेट-लाइन...........

चुनाव नवंबर-दिसंबर में संभावित हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश के कार्यकाल की डेट जारी कर दी है। इसमें 6 जनवरी तक नई सरकार बनना है। इसलिए नवंबर-दिसंबर में मतदान होना है। इस मान से अक्टूबर माह तक आचार संहिता लग सकती हैं। यानी चुनाव संबंधी पूर्व तैयारियों के लिए अब 3 माह का समय ही बचा है।

पुलिस विभाग में ला एंड आर्डर के आधार पर ही तबादले....................

पुलिस विभाग में ला एंड आर्डर के आधार पर ही तबादले कर सकते हैं पुलिस विभाग में 615 जवानों के पद स्वीकृत हैं। 200 जवान पदस्थ हैं। एएसएफ और होमगार्ड को मिलाकर लगभग 70 जवान अलग हैं। लेकिन इनका ट्रांसफर ला एंड आर्डर के आधार पर ही होगा। एसपी अगम जैन का कहना है कि शासन की नीति लागू है,लेकिन हम जरूरत पड़ने पर ही नए ट्रांसफर कर सकेंगे। इसी प्रकार को-ऑपरेटिव सेक्टर होने के कारण सहकारिता विभाग के कर्मचारियों को भी ट्रांसफर प्रक्रिया से मुक्त रखा गया है।

ये हैं विभागवार अधिकारियों की सूची जो जिले में लंबे समय से दे रहे सेवाएं........................

योगेश रामपुरिया-डूडा, आर खन्ना डीपीएम, तारण जौहरी -डीपीओ,प्राचार्य पॉलिटेक्निक गिरीश गुप्ता,अजय चौहान, ललिता गडरिया-नायाब तहसीलदार,गिरदावर सिंह रावत-सहायक जिला आबकारी अधिकारी,ममता चंगोड़-ट्रेसरी अधिकारी,ज्ञानेंद्र ओझा,राजेश मेडा,श्री सिंगाड, संजय सिकरवार-शिक्षा विभाग,जगदीश सिसोदिया-प्रौढ शिक्षा,आरएस बघेल व श्री चौहान-महिला बाल विकास, 2 डिप्टी कलेक्टर, 4 टीआई,2 तहसीलदार और एडीएम आदि के तबादले लगभग तय है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी नुसार 22 पटवारियों की सूची अभी तक आ चुकी है,लेकिन कलेक्टर व एसपी यहीं रहेंगेै।

*****बॉक्स ख़बर****

जिले के बात ही कुछ निराली है, पूर्व के तबादलों से ही....

तबादला नीति तो अब आयी है लेकिन जिनके तबादले को 4 माह से अधिक हो चुके हैं वे अभी भी ज़िले में जमे हुए हैं। तत्कालीन एसडीएम एलएन गर्ग और डिप्टी कलेक्टर तरुण जैन का तबादला हुए 4 माह से अधिक का समय हो गया है,लेकिन रिलीवर नही होने का हवाला देते हुए तत्कालीन कलेक्टर रजनी सिंह ने तरुण जैन को एसडीएम थांदला और एलएन गर्ग को प्रभारी खाद्य आपूर्ति अधिकारी की जिम्मेदारी सौप दी थी ,जो आज उप जिला निर्वाचन अधिकारी के पद पर आसीन है। माना की पहले रिलीवर नही थे ,लेकिन डेढ़ माह पूर्व जिले को तीन डिप्टी कलेक्टर रिलीवर के रूप में मिल भी चुके है ,तो ये अभी तक जिले मे क्यो जमे हुए हैं....? इसकी चर्चा पूरी गुलाबी बिल्डिंग में आज तक जारी है। इसके बाद प्रभारी मंत्री ने डीपीसी रालूसिंघ सिंगार को अपने दौरे पर तत्काल प्रभाव से निलंबित हेतु कलेक्टर तन्वी हुड्डा को निर्देश दिये थे। लेकिन कुछ दिनों बाद वे दुबारा इस पद पर आसीन हो चुके है,लेकिन कैसे यह शायद ही किसी को पता है। अभी हाल ही में सहायक आयुक्त जनजातीय विभाग के गणेश भाभोर का तबादला हो गया था, लेकिन सूत्रों नुसार उन्होंने कोर्ट से इस तबादले के विरुद्ध स्टे ले लिया है,अब जिले में इस महत्वपूर्ण पद पर दो अधिकारी हो गए हैं।एनआरएलएम डीपीएम देवेंद्र श्रीवास्तव का भी तबादला हो चुका हैं, लेकिन वे भी अभी तक जिले में ही जमे हुए है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी नुसार हास्यास्पद बात तो यह है कि इस पद का प्रभार फाइनेंस के अमित बृजवानी को देने पर मंथन भी चल रहा है। जिसे पहले अनियमितता के चलते कलेक्टर कार्यालय में अटैच कर दिया गया था। वे दोबारा इस कार्यालय तक कैसे पहुच गए ,इसकी जांच करने के बजाय उन्हें शायद डीपीएम का प्रभार दे दिया जाय।अब देखना यह है दिलचस्प होगा कि तबादला नीति के पहले ही जिनके तबादले हो चुके है,इसके बाद भी वे अब भी जिले में ही जमे हुए है .....तो नए तबादले होने पर आगे होगा क्या होगा....?? क्या वे भी तबादले के बाद जमे हुए देखे जाएंगे, उपरोक्त अधिकारियों की तरह ही.......????

*** बॉक्स ख़बर *****


फ़ोन ही रिसीव नही किया....
इस मामले में जब कलेक्टर तन्वी हुड्डा से लगातार 2 दिन से उनके मोबाइल पर सम्पर्क किया तो उन्होंने कॉल ही रिसीव नही किया।




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