झाबुआ~यह कैसा प्रशासन.......?-भाग 2.....................
बहादुर सागर,छोटा तालाब तथा अन्य जल सरंचनाओ की साफ़ सफाई एवं जीर्णोद्धार किये गए कार्यो की गयी जांच का अजीबो गरीब जाँच प्रतिवेदन ,जारी कर दिया बिना दिनांक के ही -पायी गयी घोर वित्तीय अनियमितता~~
अब तो जागे प्रशासन जबकि यह अपराध तो प्राकृतिक अपराध की श्रेणी में आता है.............
अब आगे यह देखना है कि क्या जांच प्रतिवेदन लोकायुक्त को भेजेंगे या संलिप्तो पर एफआइआर करेंगे..................
छोटे तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर किया गया बड़ा घोटाला,नियम विरुद्ध खर्च कर दिए 1.33 करोड़~~
झाबुआ। संजय जैन~~
कार्यालयीन आदेश क्रमांक-128/129शिकायत-2023 के तहत शिकायतकर्ता जितेंद्र सिंह राठौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष की शिकायत पर उपरोक्त संदर्भित आदेश के परिपालन में बहादुर सागर तालाब,छोटा तालाब तथा अन्य जल सरंचनाओ की साफ़ सफाई एवं जीर्णोद्धार नगर पालिका द्वारा किये गए कार्यो की तकनीकी वित्तीय व्यय एवं प्रस्तुत दस्तावेजो के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा गठित जांच दल ने मौका स्थल निरीक्षण कर बिंदुवार जांच प्रतिवेदन तैयार किया। नगर पालिका ने अपनी हठधर्मिता के चलते बहादुर सागर तालाब के सौंदर्यीकरण की राशि का उपयोग भी छोटे तालाब पर कर लिया गया। मजेदार बात तो यह पिछले वर्ष पत्रकार संजय जैन,जितेंद्र सिंह राठौर और प्रशासन ने फण्ड केअभाव में जनसहयोग से बड़े तालाब की गाद निकालने का सफल कार्य किया था। वही 1.33 करोड़ की भारी राशि खर्च करने के बावजूद भी छोटे तालाब की स्थिति बेहद दयनीय है।
जांच दल ने पायी, घोर वित्तीय अनियमितता....................जांच प्रतिवेदन अनुसार ऐसे रचा गया पूरा खेल
-छोटे तालाब के संरक्षण हेतु कुल राशि 194.76 लाख स्वीकृत थी। जिसमे दोनो तालाबो पर पृथक-पृथक राशि 75 प्रतिशत राज्यांश और 25 प्रतिशत निकाय अंश के मान से खर्च करना थी। लेकिन नगर पालिका ने 82.875 लाख की जगह छोटे तालाब पर ही पूरे राज्यांश की राशि 1 करोड़ 33 लाख20 हजार 773 खर्च में दे मारी,जबकि बड़े तालाब पर कोई कार्य ही नही किया।
-नगर पालिका द्वारा बिना किसी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के एक करोड़ रुपए एक्सिस बैंक के खाता क्रमांक 915010039112501 में ट्रांसफर किए गए।
-प्रथम रनिंग बिल की राशि 46 लाख 14 हजार 209 रुपए का भुगतान भी बिना किसी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के किया गया।
-17 जनवरी 2020 को चौथे और पांचवें रनिंग बिल में ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत देय राशि 50 लाख 82 हजार 875 रूपए और कटोत्रा उपरांत राशि 45 लाख 23 हजार 762 रुपए हैं,जबकि स्वीकृत कुल राशि 54 लाख 48 हजार 457 और कटोत्रा उपरांत राशि 47 लाख 94 हजार 701 रुपए हैं। यह राशि प्रस्तुति देयक से अधिक है। देयक में से 20 लाख रुपए के भुगतान की स्वीकृति दी गई। वहीं शेष 27 लाख 94 हजार 701 रुपए का भुगतान 17 जुलाई 2020 को किया गया। इस राशि के भुगतान के लिए भी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति नहीं ली गई।
. ड्राइंग डिजाइन के कार्य के रूप में नगर पालिका द्वारा 6 लाख 21 हजार 440 खर्च कर निकाले गए जबकि डीपीआर में इसका कोई उल्लेख ही नहीं है।
-डीपीआर के अनुसार खुदाई का कार्य 13 हजार 917 घन मीटर किया जाना था,जबकि 27980.5 घन मीटर खुदाई का कार्य कर भुगतान किया गया। जिसमें भी किसी सक्षम अधिकारी की सहमति नहीं है।
-डीपीआर के अनुसार 480.8 मीटर पाइप बिछाने का कार्य किया जाना था,किंतु माप पुस्तिका में 1147.40 मीटर अंकित कर राशि खर्च की गई। जबकि मौके पर 450 मीटर लंबाई में ही पाइप बिछाए गए। पाइप की दर भी अलग-अलग पायी गयी जो कि गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
-डीपीआर में 16 मेन होल का कार्य किया जाना थ, परंतु माप पुस्तिका में 30 मेनहोल की राशि आहरित कर खर्च करने का पुख़्ता उल्लेख मिला।
-डीपीआर में मिट्टी भराव का कार्य 2772.90 घन मीटर स्वीकृत है परंतु माप पुस्तिका में 4350.86 घन मीटर भराव कार्य दिखाकर राशि का आहरण किया गया। इसकी स्वीकृति भी सक्षम अधिकारी से नहीं ली गई। इस कार्य से तालाब का एरिया भी छोटा हुआ है।
छोटा तालाब एक नज़र में ................
-8.97 एकड़ रकबा
-1.09 लाख क्यूबिक मीटर जल ग्रहण क्षमता
-5 मीटर गहराई
समाजसेवी जितेंद्र राठौड़ की शिकायत पर हुआ खुलासा.........................
इस पूरे घोटाले का खुलासा आरटीआय कार्यकर्ता एवं शहर कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र सिंह राठौर की शिकायत पर हुआ। शिकायत के आधर पर तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्र द्वारा जांच दल गठित किया गया था। इसमें अपर कलेक्टर एसएस मुजाल्दा,जल संसाधन विभाग की ईई नीलम मेड़ा, जिला कोषालय अधिकारी ममता चंगोड़,डिप्टी कलेक्टर एलएन गर्ग,तहसीलदार आशीष राठौर,राजस्व निरीक्षक पुनिया परमार,नजूल निरीक्षक धनजी गरवाल और पटवारी नानूराम मेरावत शामिल थे। इस दल ने कलेक्टर को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमे नगर पालिका और ठेकेदार की कार्यशैली का साफ खुलासा किया है की इस कार्य मे घोर वित्तीय अनियमितता की गयी है। इस जांच रिपोर्ट में संलिप्त अधिकारियो की जिम्मेदारी तय ही नही की,जो समझ से परे है। जबकि इतनी बड़ी लापरवाही,वित्तीय अनियमितता और प्राकृतिक अपराध की श्रेणी में आता है।
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किसी को भी बचने नहीं दूंगा-न्यायालय में ले जाऊंगा प्रकरण.....................................
जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता को स्वीकारा है, लेकिन जिन अधिकारियों के संरक्षण चलते भुगतान किया गया उसका तो कहीं से कही उल्लेख ही नहीं किया है। मेरी जानकारी अनुसार यह भुगतान तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना के समय हुआ है। साथ ही छोटे तालाब को जिस मुहर्रम से भरा गया है,उसका भी कोई उल्लेख नही है,जबकि खनिज विभाग ने ठेकेदार पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था। यह अपराध तो प्रकृतिक अपराध की श्रेणी में आता हैं। सूचना के अधिकार के तहत मैं सारी जानकारी निकलवा भी रहा हूं। मेरा लक्ष्य इस प्रकरण को सर्वप्रथम कलेक्टर के माध्यम से,संतोषपूर्ण कारवाई नही होने पर,फिर इस मामले को न्यायालय के माध्यम से लोकायुक्त को प्रेषित करने का निवेदन करूंगा। शहर की बेशकीमती धरोहर का जिसने भी यह हश्र किया है,उनमें संलिप्त किसी को भी बचने नही दूंगा और उनको सजा मिलने तक प्रयासरत रहूंगा ।
समाचार पत्र में प्रकाशित खबर.................
गौरतलब है की इसी समाचार पत्र ने दिनांक 18 मार्च शनिवार को *झूठ बोलकर तत्कालीन एसडीएम ने शिकायत वापस करवा ली* नामक शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जितेंद्र सिंह राठौर के बहादुर सागर तालाब के सीमांकन के आवेदन को तत्कालीन एसडीएम द्वारा कैसे गुमराह कर पिछले 2 वर्षो से लंबित रखा है जिसमे उल्लेख था। पूरे झाबुआ को इस साहसिक नागरिक पर गर्व है,जो जनहित में अपनी लड़ाई पूरी तरह से निडर होकर ईमानदारी से लड़ता है। आज उनकी एक और शिकायत भी सही पायी गयी। जिसमे नगरपालिका द्वारा भारी वित्तिय अनियमितता की गयी।पूरा झाबुआ उनका आभार प्रकट करता है।
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इस मामले में जब कलेक्टर रजनी सिंह से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने फ़ोन ही रिसीव किया। गौरतलब है कि इस जांच प्रतिवेदन पर जब हमारी टीम गुरुवार को इनसे मिलने गयी थी, तब उन्होंने कहा था कि मैंने अभी प्रतिवेदन नही देखा है।जबकि गुरुवार को ही शिकायतकर्ता को सत्य प्रतिलिपि जारी भी कर दी गयी थी। ऐसे मैं उनका यह कहना समझ से परे है।
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