झाबुआ~नगर पालिका झाबुआ ने जनता को मरहम लगाने की बजाय,शायद मिर्ची लगाने की तैयारी प्रारंभ कर दी.................

पहले ही लगभग 15 हजार का कर्ज प्रति व्यक्ति पर,अब और बोझ डालने की तैयारी..........प्रभारी सीएमओ की अनुभव हीनता के चलते~~

सिर्फ कुछ दिन साथ दे देवे मुझे जिला मुखिया................जितेंद्र सिंह राठौर......

झाबुआ। संजय जैन~~



झाबुआ नगरपालिका के सभा कक्ष में परिषद की बैठक शत-प्रतिशत उपस्थिति के साथ कुल 15 एजेंडों को लेकर हाल में ही आहूत की गयी थी। जिसमे उत्कृष्ट सड़क कायाकल्प, अभियान, नाली, ऑडिटोरियम निर्माण का कार्य, अनुमानित आय व्यय बजट वर्ष 23-24 के अनुमोदन,जलकर की दरों में संशोधन,संपत्तिकर,नामान्तरण शुल्क की दर,टीन शेड लगाकर दुकानें बनाना, बाजार बैठक ठेका 22-23 पर विचार और बाजार बैठक व पशु पंजीयन ठेका 23-24 यह सब एजेंडे शामिल किये गए थे। उपरोक्त में से जनहित के एजेंडों पर कोई भी संतोषप्रद सहमति नही बन पायी। मजेदार बात तो यह है कि विधायक को बैठक का एजेंडा भेजा गया था। जिसके बाद विधायक ने बैठक में शामिल होने के लिए अपने नपा प्रतिनिधि जितेन्द्र सिंह राठौर को भेजा था। प्रभारी सीएमओ ने उनके बैठक में पहुचते ही उन्हें कहा आप बैठक में कुछ भी बोल नही सकते है,सिर्फ बैठ सकते है। इस बात पर वे यह कहते हुए बैठक छोड़कर चले गए कि क्या मैं दर्शक बनकर बैठने आया हु इस बैठक में..............?

जिस तत्कालीन उत्कृष्ट सड़क के ठेकेदार ने नपा पर वाद दायर कर रखा है,उसे ही दोबारा ठेका देने की थी मंशा....................
जिस तत्कालीन उत्कृष्ट सड़क के ठेकेदार ने नपा पर वाद दायर कर रखा है,उसे ही दोबारा ठेका देने की कुछ पार्षदों की मंशा थी। लेकिन कृषि मंडी से लेकर किसनपुरी तक डामरीकरण का कार्य टेंडर में नही था,इसलिए दोबारा टेंडर बुलाने पर अंत: परिषद की सहमति बनी। प्राप्त जानकारी नुसार आपको बता दे कि तत्कालीन ठेकेदार ने पूर्व में भी उत्कृष्ट सड़क के लगभग 12 करोड़ के कार्य मे से 3 करोड़ के कार्य किये ही नही है। जिसमे बिजली पोल,स्ट्रीट लाइट,पेबर्स,बैठक बेंच और दोनो तरफ नाली का निर्माण कार्य उसके द्वारा किये नही गए। मजेदार बात तो यह है कि एजेंडे क्रमांक 3 में एसडीआरएफ योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट सड़क की दोनो तरफ नाली निर्माण का उल्लेख किया गया है। तत्कालीन उत्कृष्ट सड़क के ठेकेदार ने दोनो तरफ नाली का निर्माण कार्य किया ही नही है।


जनता पर बोझ कम करने के बजाय और बढ़ा दिया.........................
एजेंडे क्रमांक 11 के अनुसार नामान्तरण शुल्क की दरें गाइड लाइन अनुसार आधा प्रतिशत से बढ़ाकर दोगुनी 1प्रतिशत कर देने हेतु परिषद ने सहमति दी।जनता जिस पर पहले से ही प्रति व्यक्ति लगभग 15 हजार का कर्ज है उनका बोझ कम करने के बजाय उन पर यह नया बोझ और लाद दिया ।


मुख्यमंत्री का ऐलान फुस्स कर साबित कर दिया उन्हें घोषणावीर............................
गौरतलब है की जब नपा चुनाव के प्रचार हेतु मुख्यमंत्री झाबुआ आये थे,तब उन्होंने मंच से ऐलान किया था की हम जलकर अवश्य कम करेंगे। साथ ही सभा स्थल के करीब पार्षदों ने हम जलकर कर कम करेंगे ऐसे फ्लेक्स भी लगाए थे। भाजपा की परिषद ने अपने एजेंडे क्रमांक 8 में जलकर में संशोधन पर विचार विमर्श ऐसे शामिल किया था । लेकिन बैठक में जलकर के शुल्क को कम नही करके भाजपा की परिषद ने ही मुख्यमंत्री के ऐलान को फुस्स करते हुए उन्हें घोषणावीर साबित कर दिया।

बाजार बैठक का अजीबो-गरीब ठेका, गत वर्ष से लगभग 30 प्रतिशत कम में दे दिया........................
बाजार बैठक के ठेके को अजीबो-गरीब तरीके से गत वर्ष से लगभग 30 प्रतिशत कम में दे दिया। और तो और वह भी बिना रिकॉल,विज्ञप्ति,टेंडर और डिंडोरी पिटवा ही दे दिया गया। प्राप्त जानकारी नुसार प्रतिवर्ष ठेका 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ नियमानुसार देना होता है। यह अजीबो-गरीब बाजार बैठक का ठेका नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है। मजेदार बात तो यह है कि गत वर्ष के बाजार बैठक के ठेकेदार ने कुल 29 लाख में से अभी तक 7 लाख रुपये ही जमा किये है। अब बकाया राशि के लिए कहता फिरता है,जिससे जो बन पड़े वो कर लेवे,मैं तो नही दूंगा।

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दिखाई देती है प्रभारी सीएमओ की बातों से अनुभव हीनता की साफ झलक...........................
प्रभारी सीएमओ जितेंद्र सोलंकी की बातों से अनुभव हीनता की साफ झलक दिखाई देती है। जब बाजार बैठक की राशि पूर्व ठेकेदार द्वारा जमा नही कराई गई और वसूली की कार्रवाई भी नही की गई,तब इस मामले को लेकर लगभग 1 माह पूर्व हमारी टीम ने उनसे चर्चा की तो उन्होंने अपनी अनुभवहीनता का परिचय देते हुए कहा था कि नपा के पास अभी पैसे नही है। वसूली का वाद दायर करने हेतु 4 लाख रुपये कोर्ट में जमा करने पड़ेंगे, हम यह राशि कहा से लाएंगे....? मजेदार बात तो यह है कि हाल में ही हुई परिषद की बैठक में इस वर्ष का बाजार ठेका परिषद के अजेंडे 14 नुसार तय भी कर लिया गया। इस पर हमने जब पुराने ठेकेदार से वसूली किये बिना,नया बाजार ठेका क्यों तय कर दिया...? यह सवाल रखते हुए उनसे चर्चा की तो उन्होंने दोबारा अपनी अनुभवहीनता का परिचय देते हुए शायद साफ झूठ कह दिया कि पुराने ठेकेदार पर वसूली हेतु कोर्ट में केस चल रहा है। जबकि पहले उन्होंने कहा था नपा के पास वाद दायर करने हेतु पैसे ही नही है। आज उन्होंने उपरोक्त मामले में यह कह दिया कि हम ठेकेदार पर वाद दायर करने की तैयारी कर रहे है। इन विरोधाभास वाले अलग-अलग जवाब को वे ही समझे और चिंतन करे तो ठीक है।

कहा है कमी फंड की नपा के पास....? सिर्फ कुछ दिन साथ दे देवे मुझे जिला मुखिया.....................
मैं दावे के साथ कहता हूं कि नगर पालिका को फण्ड की कोई कमी नही रहेगी, इतना ही नही वह दूसरे विभागों कर्ज देने वाली संस्था जीवन बीमा निगम की तरह पक्का बन जाएगी। बस जरूरत है ............सिर्फ और सिर्फ प्रबल दृढ़ इच्छा शक्ति और ईमानदारी की। यदि जिला मुखिया चाहे तो उपरोक्त स्वरूप नगर पालिका बड़े ही आसानी से हासिल कर सकती है। ऐसा मैं दावे के साथ इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि उनके पास अभी स्वर्णिम अवसर है कि इतने समय से प्रशासन के पास खुद का प्रभारी सीएमओ जो है। मेरा जिला मुखिया से नम्र निवेदन है कि एक बेहद ईमानदार दल का गठन करने का सहयोग प्रदान करे । जिसकी अध्यक्ष वही रहे या किसी बेहद ईमानदार और प्रबल दृढ़ इच्छा शक्ति रखने वाले किसी अधिकारी का चयन वे करें। उस दल मे सदस्य के रूप में दो लोकल नागरिको को अवश्य शामिल करें। मेरे द्वारा दिये जाने वाले बिन्दुओ पर क्रमश: निष्पक्ष, ईमानदारी,दृढ़ संकल्प और विशेषकर बिना किसी के दबाव से अपनी जांच करेंगे,तो सारी वास्तविक स्थिति उनके सामने आ जायेगी। यदि किसी का दबाव आता है तो वे मुझे सूचित अवश्य करे। मुझे तो खेद है की (ट्रिपल इंजन) सेंट्रल, प्रदेश और शहर परिषद में भाजपा की सरकार होते हुए भी अभी तक सीएमओ की नियुक्ति तक नही करवा सकी। शहर में शायद कोई भी इस पद पर आना ही नही चाहता है, कारण बताने की कोई आवश्यकता नही है क्योंकि यह जो पब्लिक है की सब जानती है,अंदर क्या है और बाहर क्या है।
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जितेंद्र सिंह राठौर-आरटीआई कार्यकर्ता-झाबुआ

                     
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