धार~गुड सेमेटेरियन-बुजुर्ग ने दी आत्महत्या की चेतावनी, एडीएम ने कहा- उम्र का लिहाज न होता तो जेल भेजा देता ~~
बहू की आंगनवाड़ी में नौकरी के बाद हटाने के आदेश से नाराज थे बुजुर्ग, मौके पर पहुंची पुलिस, समझाईश के बाद बुजुर्ग को घर लौटाया~~
शुक्रवार को 74 वर्षीय बुजुर्ग के द्वारा आत्महत्या करने की चेतावनी के बाद एडीएम कोर्ट में हंगामा मच गया। बुजुर्ग की बात सुनकर एडीएम शृंगार श्रीवास्तव नाराज हो गए। उन्होंने बुजुर्ग को कहा कि तेरी उम्र का लिहाज ना होता तो जेल भिजवा देता। इसके बाद बुजुर्ग के साथ आए बेटे को भी जमकर लताड़ लगाई गई। हंगामा देखकर कर्मियों ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची और बुजुर्ग को समझाईश देकर घर रवाना किया गया। करीब 20 मिनट तक यह मामला कोर्ट के अंदर चलता रहा। अधिकारी के रवैये को देखकर बुजुर्ग अपने बेटे के साथ लौट गए।
कोर्ट में जाने के लिए कहा
पूरा मामला इस प्रकार है कि बदनावर तहसील के ग्राम करोदा से बुजुर्ग अपने बेटे के साथ एडीएम कोर्ट से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति मामले में वर्ष 2018-19 में जारी आदेश में संशोधन-सुनवाई चाहते थे। इसको लेकर वह अभी तक का रिकार्ड लेकर अपनी बात रखने के लिए जिला मुख्यालय पहुंचे थे। करीब पौन घंटे तक उन्होंने एडीएम कक्ष के बाहर मिलने के लिए इंतजार किया। तहसीलदार श्री राठौर के कक्ष से निकलने के बाद राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त राधे बाबा कक्ष में चले गए थे। जिसके कारण लंबे समय तक एडीएम व्यस्त रहे। इसके पश्चात जब वह बाहर निकले तो बुजुर्ग ने बात करना चाही। एडीएम ने कहा कि जो भी सुनुंगा कोर्ट में सुनुंगा। इसके बाद एडीएम कोर्ट में बुजुर्ग पहंचे। उनके दस्तावेज देखने के बाद एडीएम ने उन्हें आदेश से संतुष्ट ना होने पर कोर्ट जाने की सलाह दी। बुजुर्ग कोर्ट जाने से इंकार करते रहे। उन्होंने कहा कि सुनवाई आज ही होना चाहिए नहीं तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। बुजुर्ग की बात सुनकर एडीएम नाराज हो गए। इसके बाद पुलिस आने और एडीएम की फटकार सहित बुजुर्ग के घर लौटाने का वाक्या हुआ।
े6 महीने बाद हटाया
बुजुर्ग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में उनकी बहू को आंगनवाड़ी में नौकरी मिल गई थी। करीब 6 महीने बाद उन्हें बीपीएल 2018 में निरस्त होने की जानकारी देकर बीपीएल से मिले अंक कम होने पर पात्रता से बाहर बताकर नौकरी से हटा दिया गया। बहू के स्थान पर दूसरी महिला को नौकरी दे दी गई। जिस महिला को नौकरी दी गई। उसके परित्यक्ता को मिलने वाले अंक जोड़कर उसे नियुक्ति दी गई। इस मामले में एडीएम न्यायालय में विरुद्ध फैसला हुआ। जिसको कमिश्नर कार्यालय में भी यथावत रखा गया।
7वें नंबर वालों को मिली नियुक्ति
बुजुर्ग ने बताया कि हमारे साथ न्याय नहीं किया गया। बहू को 56 अंक मिलने पर नियुक्ति मिली थी। उसके बाद दूसरे नंबर पर 53 अंक के साथ अन्य महिला थी। इसी के साथ अंक के आधार पर क्रम बनाए गए थे। हमारी नियुक्ति रद्द करने के बाद 7वें नंबर पर 46 अंक के साथ दर्शायी गई महिला
को परित्यक्ता के 10 अंक देकर 56 अंकों के साथ नौकरी दी गई। पात्रता समाप्त होने पर द्वितीय नंबर वाली महिला को नौकरी मिलना चाहिए थी। दस्तावेज जमा करने के बाद उसके आधार पर अंक दिए जाते है। हमारे अंक कम कर दिए। उसके बढ़ाने के लिए बाद में अंक जोड़े गए। यह पूर्णत: गलत प्रक्रिया है।
इनका कहना है
मैं आत्महत्या कर लूंगा, इस तरह की बात कहना ही कानूनन अपराध है। दंडाधिकारी होने के नाते मेरा पूरा अधिकार है कि मैं उन्हें ऐसा करने से रोकू और इस तरह की बात करने पर जेल भेजने की चेतावनी दूं या कार्रवाई कर दूं। मैंने गुड सेमेटेरियन की भूमिका निभाई है। नियुक्ति निरस्त होने से अवसाद में रहे बुजुर्ग को इस तरह से समझाया है।
शृंगार श्रीवास्तव, एडीएम धार
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