*इस बार धनतेरस दो दिन,178 साल बाद बना गुरु और शनि का अद्भुत संयोग साथ सर्वार्थ सिद्धि एवं त्रिपुष्कर योग*
दीपावली का त्योहार धन तेरस से आरम्भ हो जाता है । इस वर्ष त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर की सायं 06:09 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 23 अक्टूबर की सायं 06:13 बजे तक रहेगी । भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ इसलिए धनवंतरी पूजन 23 को होगा ।
धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है । इस संदर्भ मे मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाॅ. अशोक शास्त्री ने बताया कि दो दिनों तक धनतेरस पर शुभ खरीदारी का संयोग बन रहा है । दिवाली के पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है ।कार्तिक त्रयोदशी तिथि पर देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान स्वर्ण कलश के साथ प्रगट हुए थे । धनतेरस पर सोने - चांदी के सिक्के , आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है । धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजें में वर्ष भर कई गुना वृद्धि होती है ।
डाॅ. अशोक शास्त्री के अनुसार
इस बार त्रयोदशी तिथि दो दिन होने के कारण धनतेरस को लेकर मतभेद है । भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ था , इसलिए धन्वंतरि पूजन 23 को और धनतेरस की शुभ खरीदारी 22 की शाम से और 23 अक्टूबर दोनों दिन की जा सकेगी ।
डाॅ. अशोक शास्त्री के मुताबिक धनतेरस पर 178 साल बाद गुरु और शनि का अद्भुत संयोग
इस बार धनतेरस पर ग्रहों की ऐसी स्थिति बन हुई है । धनतेसर पर धन के कारक गुरु और न्याय व स्थायित्य के कारक शनि स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे । गुरु अपनी स्वयं की राशि मीन में और शनि मकर राशि में मौजूद रहेंगे । इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है । त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है । सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ फल देने वाला होता है ।सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को प्रातः 6:39 मिनट से दोपहर 02:33 बजे तक रहेगा । वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01:54 से सायं 06:06 बजे तक रहेगा ।
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