धार~प्रदेश के 52 जिलों में शैक्षिक रैंकिंग में धार 50वें पायदान पर खिसका ~~

गत रैंकिंग में 45 वें नंबर की पोजिशन थी, अधिकारी बोले 250 स्कूल की मेपिंग नहीं हुई ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।

आदिवासी बाहुल्य धार जिले में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार एवं बेहतर शाला निर्माण के प्रयासों को धक्का पहुंचा है। राज्य शिक्षा केन्द्र ने स्कूली शिक्षा विभाग का जिलेवार शैक्षिक रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। जिसमें धार जिले का प्रदर्शन बेहद कमजोर आया है। यह रिपोर्ट कार्ड कक्षा पहली से आठवीं तक के नवीन शैक्षणिक सत्र 22-23 के शुरुआती तीन माह जून-जुलाई-अगस्त के आधार पर तैयार किया गया है।  इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद अब आगामी तीन माह की तैयारियों को पुख्ता करने के लिए बैठकों का दौर चालू हो गया है। विभागीय वॉटसअप पर ब्लॉक के अधिकारियों को  संकुल स्तर पर कसावट लाने के लिए निर्देशित किया जा रहा है। रिपोर्ट कार्ड ने जमीनी हकीकत को सामने ला दिया है। हालांकि अच्छी बात यह है कि यह तिमाही रिपोर्ट कार्ड लगातार जारी होता रहेगा। आगामी तीन महीनों में प्रदर्शन सुधार कर बेहतर रैंकिंग हासिल की जा सकती है। 
धार ही नहीं संभाग भी कमजोर 
प्रदेश के 52 जिलों में धार का प्रदर्शन 50वें नंबर पर खिसक गया है। गत तिमाही रैंकिंग में जिला 45वें नंबर पर था। इन तीन महीनों में प्रदर्शन में सुधार होना था, लेकिन 5 पायदान और नीचे धार जिला खिसक गया है। पिछली और नवीन रैंकिंग के बाद धार जिले में शैक्षणिक संस्थानों की वास्तविक स्थितियां सामने आ गई है। जिले का यह रिपोर्ट कार्ड कई मायने में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें कसौटी पर कसे गए अलग-अलग मानकों में गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक उपलब्धियां शामिल है। इससे सीधे-सीधे विद्यार्थी का शैक्षणिक भविष्य जुड़ा हुआ है। 
अधोसंरचना कार्य में भी पिछड़ा 
तीन माह का रिपार्ट कार्ड नामांकन एवं ठहराव, गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक उपलब्धियां, शिक्षकों को व्यवसायिक विकास, अधोसंरचना एवं भौतिक सुविधाएं और सुशासन प्रक्रिया जैसे मुख्य भागों पर आधारित रहा है। जिले में अधोसंरचना के मामले में भी कमजोरी पाई गई है। हालात यह है कि स्कूल की बाउंड्रीवाल हो या फिर क्षतिग्रस्त कमजोर स्कूल। इनके नव निर्माण और सुधार कार्य के लिए जनप्रतिनिधियों को सीएम तक को पत्र लिखना पड़ रहा है। कुछ समय पूर्व सरदारपुर तहसील की शालाआें की स्थिति को लेकर विधायक ने पत्र जारी किया है। इधर जनसुनवाई में भी ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र के कमजोर स्कूलों की स्थिति को लेकर कलेक्टर के समक्ष पहुंच रहे हैं। 
बॉक्स-1 
शालाओं में पुस्तकें पहुंचाने का दावा, विद्यार्थियों के बेग खाली 
तिमाही रिपोर्ट कार्ड ने कई व्यवस्थाओं की और सचेत कर दिया है। जिले में शैक्षणिक सत्र शुरु हो गया है। सरकारी स्कूल की प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में कई विद्यार्थियों के पास अभी भी किताबें नहीं पहुंची है। तीन माह पढ़ाई कैसे चली इसको लेकर कोई चिंता नहीं है। इधर स्कूली शिक्षा से जुड़े अधिकारी शत प्रतिशत पुस्तक वितरण का दावा कर रहे हैं। ई-इंट्री ना होने के कारण शत प्रतिशत वितरण ना दिखने की बात कह रहे हैं। इधर नामांकन की तुलना में शत प्रतिशत पुस्तकें नहीं दी जा रही है। 
बॉक्स-2
सितंबर बितने आया गणवेश नहीं मिली 
संस्थान का गणवेश अनुशासन का बोध कराता है। स्कूलों में पहले शिक्षकों के माध्यम से क्रय एवं वितरण होता है। अब ग्रामीण आजीविका मिशन के समूहों के माध्यम से सिलाई कराने के पश्चात सरकारी शालाओं में गणवेश दिए जाते है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद से बच्चों के गणवेश वितरण की व्यवस्था प्रभावित हो गई है। नवीन शैक्षणिक सत्र को प्रारंभ हुए तीन महीने बीत चुुके है। बच्चों तक गणवेश नहीं पहुंचे है। गणवेश शिक्षकों को भी वितरण के लिए नहीं मिले है। अब क्लॉस में रंग-बिरंगे परिवेश में बच्चे दिखते है। कोई लाल पहनकर आया तो कोई पीला। 
इनका कहना है 
जिले की 250 लगभग शालाएं पोर्टल पर नहीं दिख रही है। इसके कारण नामांकन भी नहीं दिखने से हम नामांकन में कमजोर आए है। इसको लेकर भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया गया था। 10 हजार बच्चों की मेपिंग नहीं हो पाई है। इन तमाम दिक्कतों के मध्य स्कूली रिपोर्ट कार्ड जारी होने से धार 50वें पायदान पर दिखाई दे रहा है। अप्रदर्शित स्कूलों के प्रदर्शित होते ही रैंकिंग सुधार होगा और हम 20वें नंंबर पर पहुंच सकते हैं। 
कमलसिंह ठाकुर, एपीसी राज्य शिक्षा केन्द्र धार 
चित्र है 16धार8- जिला मुख्यालय पर राजा पंवार चौपाटी पर स्थित क्रमांक 4 की माध्यमिक शाला का गणवेशविहीन विद्यार्थियों का समूह।
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