झाबुआ~फ्री में प्रवेश लेकिन पढ़ाई पर ज्यादा खर्च-डीपीसी का कहना है दूसरे जिलों की तुलना में हमारा जिला सत्यापन में बेहतर स्थिति में ....
झाबुआ। संजय जैन~~
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूल में वंचित व गरीब वर्ग के बच्चों के प्रवेश के लिए प्रक्रिया चल रही है। लेकिन पालक इसमें अधिक रुचि नहीं ले रहे है। एक बार तारीख बढ़ाने के बाद भी 91 प्रतिशत 1271 सीटों के लिए ऑनलाइन आवेदन आए है। आवेदन देने के बाद 72 प्रतिशत 882 सीटों के लिए पालक सत्यापन करवाने पहुंचे। जो आवेदन आए उनमें 72 प्रतिशत सत्यापित हुए। इस स्थिति में एक बार फिर तारीख बढ़ाने के आसार हैं। जबकि वर्ष 2020-21 में कोरोना के चलते आरटीई के निजी स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया नहीं हुई।
ंकाम बंद रहने से वैसे ही आर्थिक स्थिति खराब.....
इस बार नर्सरी के साथ केजी-1 व केजी-2 में भी प्रवेश मिलना है। इसके बावजूद कम पालकों ने आवेदन किया। इसका प्रमुख कारण कोरोना महामारी के चलते स्कूलें बंद रहना है। पालकों का कहना है लॉकडाउन में काम बंद रहने से वैसे ही आर्थिक स्थिति खराब है। निजी व सरकारी दोनों स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई ही हो रही है। आरटीई में प्रवेश के बाद भी निजी स्कूलों में खर्च लगता रहता है। पालको ने बताया आरटीई में बच्चों को प्रवेश दिलाने की इच्छा थी। लेकिन कोरोना में स्कूल बंद रहने और पुस्तके,वाहन आदि पर अतिरिक्त खर्च होने से एडमिशन नहीं करवाया। डीपीसी एल.आय. प्रजापति का कहना है दूसरे जिलों की तुलना में हमारा जिला सत्यापन में बेहतर स्थिति में है।
बढ़ सकती है तारीख.....
आरटीई में आवेदन के सत्यापन के मामले में वैसे जिले की स्थिति प्रदेश में अच्छी है। यह टॉप टेन में शामिल है। लेकिन अन्य जिलों में आवेदन के अलावा सत्यापन भी कम हुए है। आवेदन के लिए शुक्रवार 9 जुलाई आखिरी तारीख थी। आज 10 जुलाई तक सत्यापन के बाद 16 जुलाई को लॉटरी से सीटों का आवंटन होना है। चयनित बच्चों को 16 से 26 जुलाई तक स्कूलों में प्रवेश लेना होगा। वर्ष 2019-20 में आरटीई के तहत 1248 सीटें आरक्षित की गई थी। आवेदन की संख्या भी अच्छी थी। 1650 लोगों ने बच्चों के प्रवेश के लिए प्रयास किए। लेटर में1248 बच्चों को सीट आवंटित हुई। इसमें में 1248 बच्चे दर्ज हुए।
भुगतान में देरी से स्कूलें कम बता रही सीट....
आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश के बाद शासन स्तर से निजी स्कूलों को भुगतान होता है। वर्ष 2019-20 में प्रवेशित बच्चों के शैक्षणिक शुल्क के भुगतान की प्रक्रिया अब तक चल रही है। प्रति छात्र 4672 रुपए के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। कम शुल्क व भुगतान में देरी के कारण स्कूलें आरक्षित सीटें कम बता रही है। क्षेत्र की स्कूल में सीट नहीं मिलने से भी पालक प्रवेश नहीं दिला रहे है।
यहां स्थिति अच्छी है.....
आरटीई में बच्चों के प्रवेश के लिए सभी स्तर से प्रयास किए जा रहे है। अन्य जिलों की तुलना में यहां स्थिति अच्छी है। नजी स्कूलों के भुगतान की भी प्रक्रिया चल रही है।
........... एल.आय.प्रजापति-डीपीसी-झाबुआ।
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