धार~मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में फर्जीवाड़ा~~

बिना फेरे व मांग भरे ही लग गए लग्न, 21 में से 8 नहीं लिए फेरे  ~~

विवाह समारोह में वर-वधू को दी जाने वाली सामग्री थी टूटी-फूटी, औपचारिक बनकर रह गया समारोह ~~

डॉ अशोक शास्त्री धार~~

धार। हिन्दू विवाह संस्कार में अग्नि को साक्षी मान कर वर-वधू सात फेरे लेकर विवाह के बंधन में बंधते है, किन्तु मंगलवार को धरमपुरी में आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में कई विवाह अग्नि के सामने खड़े-खड़े बिना फेरे लगाए भी पूरे हो गए। यहां तक की कुछ दुल्हों ने दुल्हनों की मांग भी नही भरी। इस तरह मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का लाभ लेने के लिए कई जोड़े कार्यक्रम में शामिल हुए। आयोजन के दौरान कई अनियमितताएं नजर आई। जिसके चलते यह आयोजन महज औपचारिकता बन कर रह गया।
मंगलवार को स्थानीय कृषि उपज उपमंडी परिसर में जनपद पंचायत धरमपुरी के द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। विभागीय सूची के अनुसार 23 में से 21 जोड़ों का विवाह उक्त कार्यक्रम में सम्पन्न कराया गया, जबकि विवाह के दौरान देखने में आया कि जब विवाह के लिए पंडित फेरे लगवा रहे थे। तब कुछ जोड़े ऐसे भी थे जिन्होनें ना अग्नि के आसपास फेरे लगाए और ना ही वर ने वधु की मांग भरी। फेरे ना लगाने वाले जोड़ों के स्वजनों से जब बात की गई तो उन्होनें बताया कि बाद में जब वे घर पर विवाह करेगें तक सात फेरे लेंगे। जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि मुख्यमंत्री विवाह योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जोड़े कार्यक्रम में शामिल हुए, जबकि जिम्मेदार अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि किए बगैर ही जोड़ों को इस कार्यक्रम में शामिल कर लिया।
नेताओं की मौजूदगी में हुआ कार्यक्रम 
सामूहिक कन्या विवाह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में विधायक पांचीलाल मेड़ा, पूर्व गृह राज्यमंत्री जगदीश मुवेल, जनपद अध्यक्ष राधेश्याम सिंगारे, उपाध्यक्ष कालुसिंह सोलंकी, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ जियाउल हक, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि विक्रम वर्मा, भाजपा मंडल अध्यक्ष कमलेश मानवे सहित बड़ी संख्या में उपस्थित नेताओं की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया। तहसीलदार संजयकुमार शर्मा, जनपद सीईओ लक्ष्मण डिडोर, बीईओ वीरसिंह राजपूत, नायब तहसीलदार केसिया सोलंकी सहित कर्मचारियों ने स्वागत किया।
नहीं किया गया प्रचार-प्रसार 
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत जनपद पंचायत के द्वारा आयोजन के पूर्व से ही लापरवाही बरती गई। जिसके चलते उक्त आयोजन को लेकर पर्याप्त प्रचार-प्रसार भी नही किया गया। जिसके चलते बहुत कम जोड़े इसमें शामिल हो सके। जनपद क्षेत्र के कई जोड़े जानकारी के अभाव में जनपद पंचायत के चक्कर लगाते रहे। कई जोड़ों को अन्य विकासखंडों में जाकर आवेदन करना पड़ा। कई जोड़ों को उमरबन, मनावर या नालछा जाकर आवेदन करना पड़ा। इस तरह आयोजक जनपद पंचायत के द्वारा प्रदेश सरकार की महती योजना के क्रियान्वयन में नाकाम साबित हुई। विवाह के दौरान ढोल ताशे की भी व्यवस्था करना थी किन्तु नही की गई, जिसके चलते पंडित जी को ही ढपली बजा कर रस्म अदा कराना पड़ी। कन्या को दी जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे। कोई पलंग टूटा हुआ था तो किसी की सिलाई मशीन टूटी हुई थी।
ना फेरे लिए ना मांग भरी 
विवाह संस्कार की रस्म गायत्री परिवार के पंडित दिनेश द्वाराा सम्पन्न कराई गई। जिसमें जब अग्नि के फेरे लगवाए गए, तब 21 में से 8 जोड़ों ने अग्नि के फेरे नही लगाए। वही इन जोड़ों ने मांग भरने की रस्म भी अदा नही की। जिस पर कुछ जोडों के स्वजनों से पूछा गया तो उन्होनें बाद में फेरे व मांग भरने की रस्म करने की बात कही। वही एक ने तो यहां तक भी बताया कि अभी विवाह की तारीख निश्चित नही हुई है, तारीख निश्चित होगी तक घर पर विवाह करेंगे। वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ जोड़े पूर्व से ही विवाहित थे।
रोजमर्रा के कपड़ों में ही बैठे 
आमतौर पर विवाह के दौरान वर-वधु के हाथों में मेहंदी लगी होती है, दूल्हा शेरवानी या सुट में होता है, दुल्हन सुहाग के लाल जोड़े में रहती है, दुल्हे के सिर पर सेहरा या टोपी रहती है, किन्तू इस आयोजन में कई दुल्हा-दुल्हन के हाथों में मेहंदी नही थी। कई दुल्हे तो जिंस-शर्ट में, तो कुछ रोजमर्रा के कपड़ों में ही लग्न पर बैठे थे। सेहरे या टोपी की जगह कुछ ने सिर पर हाथ रुमाल ही बांध लिया था। जो इस बात की ओर साफ इशारा कर रहे थे कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का मात्र लाभ लेने के लिए ही वे इसमें शामिल हुए थे। यानि अधिकारियों ने भी बिना किसी पुख्ता जांच पड़ताल के ही सामूहिक विवाह की रस्म अदायगी कर दी।
इनका कहना है 
कार्यक्रम में अविवाहित जोड़े ही शामिल किए गए थे। जो पंजीयन किया गया था वह पुरी तरह से सही था। किसी तरह की कोई अनियमितता नही थी।
लक्ष्मण डिडोर, जनपद सीईओ धरमपुरी
Share To:

Post A Comment: