बड़वानी /खेतिया~मल्फा विद्यालय::--प्रतिवर्ष 72 लाख से अधिक वेतन बाद भी नतीजा शून्य*~~

खेतिया से राजेश नाहर~~



खेतिया
मल्फा विद्यालय में आए शून्य परिणाम ने शासन के शिक्षा ढकोसलों की पोल खोल दि है, शिक्षा के लगातार गिरते स्तर को लेकर अब अभिभावक भी आवाज उठाने लगे क्षेत्र के अनेक विद्यालयों के परिणाम समक्ष हैं जिनमें कुछ विद्यालयों में छात्रों ने प्रथम श्रेणी के साथ परीक्षा उत्तीर्ण किया किंतु शहर अथवा ग्रामीण क्षेत्र का कोई भी कक्षा दसवीं अथवा 12वीं का विद्यार्थी 90% या इससे अधिक अंक नहीं प्राप्त कर सका । पिछले लंबे समय से शैक्षणिक स्तर के पतन के साथ अब शून्य तक परीक्षा परिणाम पहुंचने लगे। परीक्षा परिणाम शून्य कैसे हो रहा है इसको लेकर सबसे बड़ी लापरवाही उन शासकीय अधिकारियों की है जिन पर जिम्मेदारी विद्यालयों को चलाने की, उनकी देखरेख करने की है , जिन्होंने सिर्फ अपनी खानापूर्ति के लिए विद्यालयों का अवलोकन किया अथवा अवलोकन की बात कही हो।आर्थिक लाभ के लिए शासकीय शिक्षा संस्थानों में चल रहा यह खेल बच्चों के मानसिक स्तर को प्रभावित कर रहा है जहां शिक्षक अपने जिम्मेदारी निभाने में अक्षम साबित हो रहे है जिससे बच्चों का मानसिक विकास अवरुद्ध होकर शून्य परिणाम आने लगे। 

       मल्फा विद्यालय में परीक्षा परिणाम शून्य आने के साथ शिक्षा क्षेत्र की शासकीय शिक्षा संस्थानों में चल रही लापरवाही सामने आई है,, न सिर्फ मल्फा वरन दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में लगभग यही स्थिति बनी रहती है।
       मलफ़ा विद्यालय के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम शून्य आना न सिर्फ विद्यालय के शिक्षकों वरन इस विद्यालय के रखरखाव देखने की जिम्मेदार उच्च अधिकारियों की लापरवाही से शैक्षणिक संस्थानों में यह लापरवाही का खेल लंबे समय से चल रहा है।स्टाफ़ की कमी,संसाधन का अभाव के साथ गिरता शिक्षा का स्तर नकल के भरोसे अच्छे परिणामों की अपेक्षा करने शिक्षा संस्थानों के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैये से बच्चों के भविष्य को संकट में डाला है।
        शासकीय उच्चतर विद्यालय मल्फा में प्रभारी प्राचार्य सहित,उच्चतर विभाग में 2 तथा हाइस्कूल में 6,शिक्षक व ,3अतिथि शिक्षक है जिनकी जिम्मेदारी है कक्षा 9वी 10वीं 11वीं व 12वीं का अध्यापन कराने की है।हायर सेकंडरी अनुसार कला,विज्ञान व कृषि विषयो हेतु 11 शिक्षकों की पदस्थापना की जगह मात्र 2 शिक्षक है,भवन में कक्षों के आभाव में कृषि विषय तो नही पढ़ाया जाता वही कला व विज्ञान गणित में विद्यर्थि प्रवेश पाए थे।शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य से बचने के लिए बहाने बनाने की बात पालकों के बयान से आई वही उच्चतर विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य सहित शिक्षकों के एक माह का वेतन लगभग ₹- 6 लाख से अधिक होता है विद्यालय बमुश्किल 8 माह चलता जिसमे त्यौहार, कार्यक्रम व अवकाश भी होते है शिक्षको 12 माह के वेतनके रूप में सरकार 72 लाख रुपए से अधिक व्यय करती है वहीं वर्ष भर विद्यालय संचालन में स्टेशनरी, बिजली व अन्य खर्च भी संभव होते जिनपर लगभग एक लाख खर्च होता है वहीं शासन द्वारा 2 करोड़ की लागत का एक नया स्कूल भवन भी तैयार कर खड़ा कर दिया ।
         ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का यह अभियान है जिसमें एक वर्ष में,72 लाख से अधिक की इतनी बड़ी रकम विद्यार्थियों को अध्यापन कराने वाले शिक्षकों पर खर्च करने के बाद कक्षा 12वीं का परिणाम शून्य आता है ।
पालकों के अनुसार मल्फा के विद्यार्थी ग्राम टेमला के परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने जाते हैं टेमला परीक्षा केंद्र नकल के लिए जाना जाता है जिससे यह बात अब तक दबी रही कि यहां क्या चला रहा क्योंकि नकल कर विद्यार्थी पास होते रहे वही टेमला परीक्षा केंद्र पर परीक्षा लेने आई प्रभारी की सख्ती के चलते इस वर्ष नकल नहीं हो सकी जिसके चलते कक्षा 12वीं में कोई भी विद्यार्थियों से पास नहीं हो सका वही कक्षा दसवीं में भी,75,मेसे मात्र ,5 ही विद्यार्थी पास हो सके परीक्षा केंद्र टेमला पर भी परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ है।
मल्फा उच्चतर विद्यालय में शिक्षकों को 9/10/11/12की कक्षाएं लेनी होती है जिनमे शिक्षकों में एक शिक्षक MSc है शेष में MA, BCom या BA है वही 3 अतिथि शिक्षकों में 2 MSc व एक MA है,प्रभारी प्रार्चाय के निर्देश पर BCom शिक्षित गणित विषय पढ़ा रहे,वही हाइस्कूल के शिक्षक अन्य विषय उच्चतर कक्षाओं में पढ़ा रहे,अतिथि शिक्षकों को भी योग्यता अनुसार न देकर अन्य विषय पढ़ाने दिए जाते थे, अपनी जिम्मेदारी से हटकर केवल शासकीय सुविधाओं का लाभ लेने वाले ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन लोगों ने शैक्षणिक संस्थाओं को केवल आर्थिक लाभ का जरिया बनाया है शासनद्वारा प्रतिवर्ष एक विद्यालय में 75 लाख,रुपए की रकम विद्यार्थियों के अध्ययन पर खर्च की जा रही जब परिणाम शून्य आ रहा है तो ऐसे सारे लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के साथ वेतन की वसूली अवश्य होनी चाहिए ।


इस सम्बंध में विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी पानसेमल अरुण मिश्रा का कहना है कि प्रभारी प्रार्चाय आलोक सिसोदिया ने माध्यमिक शिक्षक से जीव विज्ञान व रसायन व कामर्स के शिक्षक से गणित पढ़वाया, भौतिक में MSC शिक्षक गणित पढ़ा सकते पर उन्हें अवसर नही दिया,सत्र के बीच मे भी मेने भृमण के दौरान पूछा तो बताया कि पिछले साल अच्छा रिजल्ट आया इस बार भी रिजल्ट के लिए मैं जवाबदार रहूँगा,,।श्री मिश्रा ने बताया कि आर्ट्स के फैल विद्यर्थियों के बारे प्रार्चाय से पता किया तो पता चला कि बच्चों की नींव कमजोर है उन्हें लिखते नही आता,, श्री मिश्रा ने बताया कि मल्फा विद्यालय के खराब परीक्षा परिणाम के सम्बन्ध में सहायक आयुक्त व उपायुक्त आदिवासी विकास को रिपोर्ट भेजकर कार्यवाही की अनुशंषा की है



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