झाबुआ~जिले में सट्टा बाजार काफी सक्रिय,नगर में दिखने लगे सटौरिये-युवा वर्ग धस रहा सट्टे के दलदल में~~





झाबुआ। संजय जैन~~

कोरोना वायरस की चेन को रोकने के लिये जिला प्रशासन द्वारा झाबुआ जिले को लॉक डाउन किया गया था। जिस पर से प्रशासन की आंशिक छूट के बाद ही सटौरियो ने भी अपना मुंह खोलना शुरू कर दिया था। इन सटोरिये को शहर के लक्ष्मीबाई मार्ग, हास्पीटल कालोनी, राजगढ नाका, रामकृष्ण नगर , गोपाल कालोनी, नगर पालिका के बाहर , बस स्टैण्ड, राजवाडा चौक, आदि स्थानो पर सट्टा खिलाते आसानी से देखा जा सकता है। पुलिस विभाग की लचीली कार्यप्रणाली के कारण नगर मे ही सटौरिये खुले आम घूम रहे है। 




-चलाया जा रहा घूम -घूम कर सट्टे का कारोबार 

नगर में सटौरियो के द्वारा अब घूम घूम कर सट्टे का कारोबार चलाया जा रहा है। जिसके कारण पुलिस इन पर नजर तो रख रही है लेकिन इन्हे पकड नही पा रही है। जिसका फायदा उठाकर ये सटौरिये एक स्थान से दुसरे स्थान पर अपने कारोबार को चला रहे है। नगर मे लॉक डाउन के तहत मिली आंशिक छूट के दौरान ही सटौरियो ने अपने धंधे को शुरू कर दिया था। सटोरियो के द्वारा दो पहिया वाहनो पर घूमते हुये मोबाईल द्वारा इस व्यवसाय को संचालित किया जा रहा है। 


-पुलिस का शिकंजा क्यो नही कसा जा रहा है....? 

 सटौरियो के द्वारा गली-गली घूम कर सट्टा लगाने ओर खिलवाने का कार्य किया जा रहा है । इन सटौरियो के द्वारा अपना कोई एक ठिकाना नही बनाया गया है। ये कभी पानी की दूकानेा ,कभी चाय की दूकानो या फिर किसी किराने की दूकानो, या फिर बाजारो मे घूमते हुये दिखाई देते है। शहर मे एक गली जो सट्टा गली के नाम से भी अधिक प्रचलित है। जिसमे नगर के लोगो तक को मालूम है कि यहा सट्टे का कारोबार चलता है। लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली से तो लगता है उनहे यह जानकारी ही नही है। सुत्रो की माने तो कई लोगो का यह तक मानना है कि ये सटौरिये पुलिस के साथ तालमेल जमा कर ही अपना धंधा चला रहे है। जब आम लोगो को यह सुचना है कि ये सट्टै का खाईवाल है तो फिर पुलिस की मुखबिरी तो सबसे तेज होती है ।आखिर इन लोगो पर पुलिस का शिकंजा क्यो नही कसा जा रहा है....?  आखिर क्यो गिने चुने लोगो को ही पकड कर पुलिस के द्वार इतिश्री कर ली जाती है.....? आखिरकार पुलिस के हाथो बडे-बडे सट्टे बाज क्यो नही हाथ आते है.....? ये बात समझ से परे है। 


-युवा वर्ग धस रहा सट्टै के दलदल मे

नगर में सटौरिये के कारण युवा वर्ग व ग्रमाीण युवा भी इस दलदल की ओर धसते जा रहे है। वही इन सटौरियो द्वारा नगर के युवा वर्ग को शामिल कर,इनसे सट्टे का कारोबार कर उन्हे लूटा जा रहा है। वही ऐसे कई युवा वर्ग इस गौरखधंधे में फंस चुके है जिनमे कई युवा वर्ग को सट्टे के पैसे जुटाने ओर खेलने के लिये अपराध का सहारा लेना पडता है। जिससे उनके द्वारा कई ऐसे कृत्य किये जा रहे है जो समाज एवं कानून के लिये घातक सिद्ध हो रहे है। कई बार पैसो के लेनदेन के कारण विवाद भी करते है। कुछ बडे सटौरिये धन का लालच देकर युवा पीढी को इस दलदल में धकेल रहे है। देखना यह है कि क्या पुलिस प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इन सटौरियो पर कार्यवाही करती है या फिर यह खुलेआम ही युवा पीढी को इस दलदल मे धकलते रहेगे....?


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