खंडवा~दादाजी पर उमड़ेगा भक्तों का सैलाब~~

रवि सलुजा खंडवा   ~~



अद्भूत संत दादाजी की महिमा अपंरपार है। खंडवा का दादाजी धाम लगातार पूरे देश में प्रचलित होता जा रहा है और देशभर के लाखों भक्त दादाजी धुनीवाले के दर्शन करने खंडवा पहुंचते हैं। देश का यह पहला मंदिर दादाजी धाम है जो 365 दिन 24 घंटे खुला रहता है। यहां तक सूर्य ओर चंद्रग्रहण में भी दादाजी धाम के पट बंद नहीं होते सिर्फ सेवा कार्य के चलते ही कुछ समय दर्शन रोक दिए जाते है। समाजसेवी व दादाजी भक्त सुनील जैन ने बताया कि कुछ ही समय में दादाजी धाम की यह खंडवा नगरी सेवा नगरी के रूप में पहचानी जाएगी। देश का यह पहला शहर है जहां दादाजी धाम आने वाले भक्तों के लिए पूरा शहर ही नहीं आसपास के गांव के श्रध्दालु भी दादाजी भक्तों की मेजबानी में पूरे चार दिनों तक तन, मन, धन से लग जाते हैं। दादाजी भक्तों के खंडवा में प्रवेश करते ही जहां मंदिर तक जाने के लिए नि:शुल्क आटो, बस और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होती है वहीं दादाजी भक्तों के ठहरने के लिए खंडवा शहर में समाज की सभी धर्मशालाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही सैकड़ों की संख्या में नि:शुल्क भंडारे आयोजित होते है जहां भक्तों को जलपान, दूध, चाय, बे्रड, काफी, पोहा-समोसा, आलू बड़ा, पकौड़े, साबूदाने की खिचड़ी, केशरिया जलेबी, इमरती, मावा बाटी, हलवा के साथ बैठकर भोजन कराने में पूड़ी सब्जी, दाल चावल, दाल बाटी, चूरमा, कढ़ी, फल-फू्रट आदि भंडारों के माध्यम से दादाजी भक्तों को सेवा के रूप में प्रदान किए जाते है। खंडवावासी पूरी तन्मयता के साथ दादाजी भक्तों की सेवा करते हंै। 

छोटे दादाजी के बनाए नियम 

दादाजी धाम और मंदिर के अपने अलग नियम है जिसका पालन भक्तों को करना पड़ता है। श्रीयुत परम पूज्य अमर लोक निवासी श्री श्री 108 श्री केशवानन्द जी अवधूत उर्फ धूनीवाले दादाजी सुप्रसिध्द बड़े दादाजी के परम प्रिय शिष्य पूर्ण सत्वधिकारी श्रीश्री 108 श्री हरिहरानन्दजी अवधूत उर्फ छोटे दादाजी फरमाते हैं, कि श्री दादा दरबार पब्लिक सारे आम की जायदाद नहीं है, बल्कि एक मात्र श्री दादाजी के भक्तों का प्रधान गुरूव्दारा है, यों मैं किसी को बुलाने या नेवता देने नहीं जाता, पर श्री दादाजी के भक्त जन स्वयं ही श्री दादाजी के पूजन अर्चन दर्शन आदि के लिए दिन रात आते हैं व मुझे घेरे रहते हैं, सिवाय मुझे भी श्री गुरुदेव के ध्यान सेवा आदि कार्य से फुरसत नहीं, ऐसी दशा में मैं आगंतुकों का जिम्मेदार नहीं। अलबत्ता यदि भक्त लोग स्वयं सुख व सुव्यवस्था चाहते हों, तो उन्हें मेरे इन नियमों को मान्य करना होगा। दादा दरबार में बाग, जलाशय, मकान आदि की कोई खरीदी-बिक्री नहीं कर सकेगा और न ही उसका किराया वसूल कर सकेगा। श्री दादा दरबार में फालतू आवारा बदमाश आदमियों को आने जाने व ठहरने का कतई अधिकार नहीं, इसी तरह इस दरबार के विरोधियों को भी यहां आने जाने व ठहरने का कतई अधिकार नहीं, अर्थात एक मात्र श्री दादाजी के भक्त लोग ही आ सकते हैं। दादाजी दरबार में सेवाधारियों को भोजन, वस्त्र व ठहरने के स्थान साथ अन्य वेतन नहीं दिया जाता है। सेवाधारियों को यथोचित सेवा का कार्य करना होता है, अर्थात कोठार सामग्री, भंडार रसोई प्याऊ पानी प्रकाश सफाई, झाडू, पोतना, मांजना धोना, रथ मोटार, गाड़ी बैल, गोशाला, घांस लकड़ी, बाग डेरे, बाजा भजन, पूजन, आरती, हवन, पाठ, पहिरा, रक्षा, व्यवस्था, निगरानी आदि का काम तन मन से करना होगा। भक्ति मुक्ति के चाहने वाले को चाहिये, कि जो कुछ उन्हें अनायास मिले, उसी व्दारा निर्वाह कर लें और प्रसन्नता को ही प्रसाद समझें पर मुख से कुछ भी न मांगे और न किसी वस्तु की इच्छा करे। जिस भक्त व सेवक को दरबार की चीजें बेकदरी से इधर उधर पड़ी हुई दिखे, वह उन्हें उसी वक्त उठाकर ठीक मुकाम पर पहुंचा देवे, इसी तरह आरक्षित चीजों को भी उसी वक्त सुरक्षित स्थान पर रख देवें। आरती पूजन के वक्त सब को खड़े होना होगा, यदि कोई खड़ा न हो सके, तो वह कहीं अन्यत्र बैठकर पूजा पाठ आदि करे। प्रत्येक व्यक्ति को बिना इजाजत कोठार, भण्डार, मोटार गृह, बैलगृह आदि रक्षित स्थानों के भीतर घूसने की सख्त मनाई है। श्री दादा दरबार के किसी मन्दिर, कोठार, भण्डार, धूनी, जलाशय आदि पवित्र स्थानों के भीतर या निकट जूता ले जाने की सख्त मनाई है, वहां पर हगने, मूतने, थूकने, जूठन आदि डालने तथा बीड़ी, चिलम, सिगरेट, गांजा, तम्बाखू आदि पीने की भी सख्त मनाई है। श्री दादा दरबार के बाहर या भीतर या देश विदेश में श्री दादा जी के प्रीत्यर्थ चन्दा आदि मांगने का अधिकार किसी भी व्यक्ति को नहीं है, इसी तरह श्री दादा जी के लिए उधारी चीजें व नगद कर्जा आदि देने लेने का अधिकारी भी किसी व्यक्ति को नहीं है एवं श्री दादा जी की प्रख्याती या मत विस्तार के नाम से चन्दा आदि वसूल करने कराने का, तथा पण्डे, पुजारी, दलाल आदि बनकर किसी प्रकार चढ़ोत्री भेंट आदि वसूल करने कराने का अधिकार भी किसी व्यक्ति को नहीं है। दादाजी दरबार में कोठार भण्डार आदि की व्यवस्था सब भक्तों के हितार्थ है, छोटे दादाजी महाराज ने दरबार के बनाए नियमों में कहा है कि यों तुम्हारे बढऩे से काम बढ़ जाता है। घटने से घट जाता है, इसलिये तुम सबों के निर्वाह के काम तुम सबोने हिल मिलजुल के स्वयं कर लेने चाहिये, बल्कि बिना कहे उन कामों में एक दूसरे को अवश्य सहायता देनी चाहिये, साथ ही काम के वक्त बिना बुलाए हाजिर हो जाना चाहिये, यों आज्ञा पालन में जरा भी देर न करनी चाहिये।


Share To:

Post A Comment: